ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 741/2011/181
'ओल्ड इज गोल्ड’ के समस्त संगीत-प्रेमी पाठकों-श्रोताओं का एक बार पुनः मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक नई श्रृंखला में हार्दिक स्वागत करता हूँ। दोस्तों, अपने देश में संगीत की हजारों वर्ष पुरानी समृद्ध परम्परा है। आज नई पीढ़ी के सामने संगीत के अनेक विकल्प हैं। इस पीढ़ी ने नए विकल्पों को सहर्ष अपनाया है। नवीन विकल्पों को समझने का प्रयास करना अच्छी बात है, परन्तु प्राचीन समृद्ध संगीत परम्परा की उपेक्षा उचित नहीं है। आपने ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर परम्परागत भारतीय संगीत पर आधारित कुछ श्रृंखलाओं का आनन्द लिया है और इन्हें सराहा भी है। ऐसी श्रृंखलाओं को प्रस्तुत करने का हमारा उद्येश्य आपको संगीत का विद्वान बनाना कदापि नहीं है। हमारी अपेक्षा है कि आप संगीत के एक अच्छे श्रोता बनें और उसकी सराहना कर सकें।
आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला- ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ में भी हमारा यही प्रयास रहेगा कि शास्त्रीय संगीत आपके लिए अनबूझ पहेली बन कर न रह जाय। यह तो आप जानते ही हैं कि भारतीय संगीत के सबसे प्रमुख तत्त्व सात स्वर और इन स्वरों से बनने वाले राग होते हैं। संगीत के प्रचलित, कम प्रचलित, अप्रचलित और लुप्तप्राय रागों की संख्या हजारों में है। इन रागों को वर्गीकृत करने के लिए 'थाट' पद्यति का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन काल में रागों के वर्गीकरण के लिए मूर्च्छना पद्यति का प्रयोग किया जाता था। आधुनिक संगीत में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने रागों के वर्गीकरण के लिए दस ‘थाट’ पद्यति की स्थापना की थी। इस श्रृंखला- ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ में इन्हीं दस थाटों का सरल परिचय देने का प्रयास करेंगे।
भातखण्डे जी द्वारा निर्धारित दस थाट क्रमानुसार हैं- कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, भैरवी, और तोड़ी। इन दस थाटों के क्रम में पहला थाट है कल्याण। कल्याण थाट के स्वर होते हैं- सा, रे,ग, म॑, प ध, नि। कल्याण थाट का आश्रय राग कल्याण अथवा यमन होता है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ अन्य प्रमुख राग हैं- भूपाली, हिंडोल, हमीर, केदार, कामोद, छायानट, गौड़ सारंग आदि। इस थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन में सभी सात स्वरों का प्रयोग होता है। मध्यम स्वर तीव्र और शेष सभी छः स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं। वादी स्वर गांधार और संवादी निषाद होता है। इसका गायन-वादन समय गोधूली बेला अर्थात सूर्यास्त से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर तक होता है। राग कल्याण अथवा यमन के आरोह के स्वर हैं- सा रेग, म॑ प, ध, निसां तथा अवरोह के स्वर सांनिध, पम॑ग, रेसा होते हैं।
कल्याण थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन पर आधारित एक गीत अब हम आपको सुनवाते हैं। यह गीत १९७५ में प्रदर्शित फिल्म ‘मृगतृष्णा’ का है। रूपक ताल में निबद्ध इस गीत के संगीतकार और गीतकार हैं शम्भु सेन। मोहक साहित्यिक शब्दों से युक्त इस गीत को मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है और गीत पर अभिनेत्री हेमा मालिनी ने नृत्य किया है। लीजिए, आप भी सुनिए ‘कल्याण’ राग पर आधारित यह गीत-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. दीदी बच्चों को गीत के माध्यम से दुनिया में जीना सिखा रही है.
२. आवाज़ है लता की.
३. एक अंतरे की पहली पंक्ति में शब्द है - "इल्म"
अब बताएं -
इस गीत के गीतकार - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म की नायिका कौन है - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
गीतकार और संगीतकार एक ही थे इस गीत के, अमित जी को बधाई, हिन्दुस्तानी जी स्वागत आपका
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
'ओल्ड इज गोल्ड’ के समस्त संगीत-प्रेमी पाठकों-श्रोताओं का एक बार पुनः मैं कृष्णमोहन मिश्र, एक नई श्रृंखला में हार्दिक स्वागत करता हूँ। दोस्तों, अपने देश में संगीत की हजारों वर्ष पुरानी समृद्ध परम्परा है। आज नई पीढ़ी के सामने संगीत के अनेक विकल्प हैं। इस पीढ़ी ने नए विकल्पों को सहर्ष अपनाया है। नवीन विकल्पों को समझने का प्रयास करना अच्छी बात है, परन्तु प्राचीन समृद्ध संगीत परम्परा की उपेक्षा उचित नहीं है। आपने ‘ओल्ड इज़ गोल्ड’ पर परम्परागत भारतीय संगीत पर आधारित कुछ श्रृंखलाओं का आनन्द लिया है और इन्हें सराहा भी है। ऐसी श्रृंखलाओं को प्रस्तुत करने का हमारा उद्येश्य आपको संगीत का विद्वान बनाना कदापि नहीं है। हमारी अपेक्षा है कि आप संगीत के एक अच्छे श्रोता बनें और उसकी सराहना कर सकें।
आज से आरम्भ हो रही श्रृंखला- ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ में भी हमारा यही प्रयास रहेगा कि शास्त्रीय संगीत आपके लिए अनबूझ पहेली बन कर न रह जाय। यह तो आप जानते ही हैं कि भारतीय संगीत के सबसे प्रमुख तत्त्व सात स्वर और इन स्वरों से बनने वाले राग होते हैं। संगीत के प्रचलित, कम प्रचलित, अप्रचलित और लुप्तप्राय रागों की संख्या हजारों में है। इन रागों को वर्गीकृत करने के लिए 'थाट' पद्यति का प्रयोग किया जाता है। प्राचीन काल में रागों के वर्गीकरण के लिए मूर्च्छना पद्यति का प्रयोग किया जाता था। आधुनिक संगीत में पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे ने रागों के वर्गीकरण के लिए दस ‘थाट’ पद्यति की स्थापना की थी। इस श्रृंखला- ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ में इन्हीं दस थाटों का सरल परिचय देने का प्रयास करेंगे।
भातखण्डे जी द्वारा निर्धारित दस थाट क्रमानुसार हैं- कल्याण, बिलावल, खमाज, भैरव, पूर्वी, मारवा, काफी, आसावरी, भैरवी, और तोड़ी। इन दस थाटों के क्रम में पहला थाट है कल्याण। कल्याण थाट के स्वर होते हैं- सा, रे,ग, म॑, प ध, नि। कल्याण थाट का आश्रय राग कल्याण अथवा यमन होता है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ अन्य प्रमुख राग हैं- भूपाली, हिंडोल, हमीर, केदार, कामोद, छायानट, गौड़ सारंग आदि। इस थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन में सभी सात स्वरों का प्रयोग होता है। मध्यम स्वर तीव्र और शेष सभी छः स्वर शुद्ध प्रयोग किए जाते हैं। वादी स्वर गांधार और संवादी निषाद होता है। इसका गायन-वादन समय गोधूली बेला अर्थात सूर्यास्त से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर तक होता है। राग कल्याण अथवा यमन के आरोह के स्वर हैं- सा रेग, म॑ प, ध, निसां तथा अवरोह के स्वर सांनिध, पम॑ग, रेसा होते हैं।
कल्याण थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन पर आधारित एक गीत अब हम आपको सुनवाते हैं। यह गीत १९७५ में प्रदर्शित फिल्म ‘मृगतृष्णा’ का है। रूपक ताल में निबद्ध इस गीत के संगीतकार और गीतकार हैं शम्भु सेन। मोहक साहित्यिक शब्दों से युक्त इस गीत को मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है और गीत पर अभिनेत्री हेमा मालिनी ने नृत्य किया है। लीजिए, आप भी सुनिए ‘कल्याण’ राग पर आधारित यह गीत-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. दीदी बच्चों को गीत के माध्यम से दुनिया में जीना सिखा रही है.
२. आवाज़ है लता की.
३. एक अंतरे की पहली पंक्ति में शब्द है - "इल्म"
अब बताएं -
इस गीत के गीतकार - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म की नायिका कौन है - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
गीतकार और संगीतकार एक ही थे इस गीत के, अमित जी को बधाई, हिन्दुस्तानी जी स्वागत आपका
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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