ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 743/2011/183
शृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र सभी संगीत अनुरागियों का स्वागत करता हूँ। इन दिनों हम भारतीय संगीत के दस थाटों पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले अंकों में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि संगीत के रागों के वर्गीकरण के लिए थाट प्रणाली को अपनाया गया। थाट और राग के विषय में कभी-कभी यह भ्रम हो जाता है कि पहले थाट और फिर उससे राग की उत्पत्ति हुई होगी। दरअसल ऐसा है नहीं। रागों की संरचना अत्यन्त प्राचीन है। रागों में प्रयुक्त स्वरों के अनुकूल मिलते स्वर जिस थाट के स्वरों में मौजूद होते हैं, राग को उस थाट विशेष से उत्पन्न माना गया है। मध्य काल में राग-रागिनी पद्यति प्रचलन में थी। बाद में इस पद्यति की अवैज्ञानिकता सिद्ध हो जाने पर थाट-वर्गीकरण के अन्तर्गत समस्त रागों को विभाजित किया गया। हमारे शास्त्रकारों ने थाट के नामकरण के लिए ऐसे रागों का चयन किया, जिसके स्वर थाट के स्वरों से मेल खाते हों। थाट के नामकरण के उपरान्त सम्बन्धित राग को उस थाट का आश्रय राग कहा गया।
खमाज थाट के स्वर होते हैं- सा, रे ग, म, प ध, नि॒। इस थाट का आश्रय राग ‘खमाज’ कहलाता है। ‘खमाज’ राग में निषाद कोमल और शेष सभी स्वर शुद्ध होते हैं। इसका आरोह- सा, गम, प, ध नि सां और अवरोह- सांनि धप, मग, रेसा होता है। वादी स्वर गांधार और संवादी स्वर निषाद होता है। इस राग के गायन-वादन का समय रात्रि का दूसरा प्रहर होता है। खमाज थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग है- झिंझोटी, तिलंग, रागेश्वरी, गारा, देस, जैजैवन्ती, तिलक कामोद आदि।
आज हम आपको राग ‘खमाज’ पर आधारित जो गीत सुनवाने जा रहे हैं, वह १९६३ में प्रदर्शित फिल्म ‘आरती’ से लिया गया है। इस फिल्म के संगीत निर्देशक रोशन थे। हिन्दी फिल्म के जिन संगीतकारों ने राग आधारित गीतों की उत्तम रचनाएँ की हैं, उनमें रोशन का नाम सर्वोपरि है। रोशन द्वारा संगीतबद्ध अनेक राग आधारित गीत आज कई दशक बाद भी लोकप्रिय हैं। आज हमने राग ‘खमाज’ पर आधारित, फिल्म ‘आरती’ का जो गीत आपको सुनवाने के लिए चुना है, उसे रोशन ने ही संगीतबद्ध किया था। गीत के बोल हैं- ‘अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की...’। इसके गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी हैं और इसे मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है। आइए सुनते हैं, राग ‘खमाज’ पर आधारित यह गीत-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. ये फिल्म का क्लाइमेक्स गीत है.
२. लता की दिव्य आवाज़ है.
३. गीतकार ने मुखड़े से पहले कुछ सुन्दर पंक्तियाँ जोड़ी है जिसकी पहली पंक्ति में शब्द है - "उजियारा"
अब बताएं -
किस राग पर आधारित है गीत - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
इंदु जी पहेली तो बेहद आसान हम पूछते हैं, आप तो यूहीं भोले बनते हैं :)
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
शृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की तीसरी कड़ी में, मैं कृष्णमोहन मिश्र सभी संगीत अनुरागियों का स्वागत करता हूँ। इन दिनों हम भारतीय संगीत के दस थाटों पर चर्चा कर रहे हैं। पिछले अंकों में हम यह चर्चा कर चुके हैं कि संगीत के रागों के वर्गीकरण के लिए थाट प्रणाली को अपनाया गया। थाट और राग के विषय में कभी-कभी यह भ्रम हो जाता है कि पहले थाट और फिर उससे राग की उत्पत्ति हुई होगी। दरअसल ऐसा है नहीं। रागों की संरचना अत्यन्त प्राचीन है। रागों में प्रयुक्त स्वरों के अनुकूल मिलते स्वर जिस थाट के स्वरों में मौजूद होते हैं, राग को उस थाट विशेष से उत्पन्न माना गया है। मध्य काल में राग-रागिनी पद्यति प्रचलन में थी। बाद में इस पद्यति की अवैज्ञानिकता सिद्ध हो जाने पर थाट-वर्गीकरण के अन्तर्गत समस्त रागों को विभाजित किया गया। हमारे शास्त्रकारों ने थाट के नामकरण के लिए ऐसे रागों का चयन किया, जिसके स्वर थाट के स्वरों से मेल खाते हों। थाट के नामकरण के उपरान्त सम्बन्धित राग को उस थाट का आश्रय राग कहा गया।
खमाज थाट के स्वर होते हैं- सा, रे ग, म, प ध, नि॒। इस थाट का आश्रय राग ‘खमाज’ कहलाता है। ‘खमाज’ राग में निषाद कोमल और शेष सभी स्वर शुद्ध होते हैं। इसका आरोह- सा, गम, प, ध नि सां और अवरोह- सांनि धप, मग, रेसा होता है। वादी स्वर गांधार और संवादी स्वर निषाद होता है। इस राग के गायन-वादन का समय रात्रि का दूसरा प्रहर होता है। खमाज थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग है- झिंझोटी, तिलंग, रागेश्वरी, गारा, देस, जैजैवन्ती, तिलक कामोद आदि।
आज हम आपको राग ‘खमाज’ पर आधारित जो गीत सुनवाने जा रहे हैं, वह १९६३ में प्रदर्शित फिल्म ‘आरती’ से लिया गया है। इस फिल्म के संगीत निर्देशक रोशन थे। हिन्दी फिल्म के जिन संगीतकारों ने राग आधारित गीतों की उत्तम रचनाएँ की हैं, उनमें रोशन का नाम सर्वोपरि है। रोशन द्वारा संगीतबद्ध अनेक राग आधारित गीत आज कई दशक बाद भी लोकप्रिय हैं। आज हमने राग ‘खमाज’ पर आधारित, फिल्म ‘आरती’ का जो गीत आपको सुनवाने के लिए चुना है, उसे रोशन ने ही संगीतबद्ध किया था। गीत के बोल हैं- ‘अब क्या मिसाल दूँ मैं तुम्हारे शबाब की...’। इसके गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी हैं और इसे मोहम्मद रफी ने स्वर दिया है। आइए सुनते हैं, राग ‘खमाज’ पर आधारित यह गीत-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. ये फिल्म का क्लाइमेक्स गीत है.
२. लता की दिव्य आवाज़ है.
३. गीतकार ने मुखड़े से पहले कुछ सुन्दर पंक्तियाँ जोड़ी है जिसकी पहली पंक्ति में शब्द है - "उजियारा"
अब बताएं -
किस राग पर आधारित है गीत - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
इंदु जी पहेली तो बेहद आसान हम पूछते हैं, आप तो यूहीं भोले बनते हैं :)
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
बाबु! मैं कोशिश करती हूँ सुन्दर सा सत्य बोलू.बोलती हूँ शिव जानते हैं.फिर भी गलती कर दूँ तो......माफ कर दो भीगलती हो जाती है क्या करूं ऐसिच हूँ मैं तो
Shailendra