ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 745/2011/185
आधुनिक भारतीय संगीत में प्रचलित थाट पद्धति पर केन्द्रित श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की पाँचवीं कड़ी में आपका हार्दिक स्वागत है। इस श्रृंखला में हम पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा प्रवर्तित उन दस थाटों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके माध्यम से रागों का वर्गीकरण किया जाता है।
उत्तर और दक्षिण भारतीय संगीत की दोनों पद्धतियों में संगीत के सात शुद्ध, तीन कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल बारह स्वरों के प्रयोग में समानता है। दक्षिण भारत के ग्रन्थकार पण्डित व्यंकटमखी ने सप्तक में १२ स्वरों को आधार मान कर ७२ थाटों की रचना गणित के सिद्धान्तों पर की थी। भातखण्डे जी ने इन ७२ थाटों में से केवल उतने ही थाट चुन लिये, जिनमें उत्तर भारतीय संगीत के प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण होना सम्भव हो। इस विधि से वर्तमान उत्तर भारतीय संगीत को उन्होने पक्की नींव पर प्रतिस्थापित किया। साथ ही उन सभी विशेषताओं को भी, जिनके आधार पर दक्षिण और उत्तर भारतीय संगीत पद्धति पृथक होती है, उन्होने कायम किया। भातखण्डे जी ने पं॰ व्यंकटमखी के ७२ थाटों में से १० थाट चुन कर प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण किया। थाट सिद्धान्त पर भातखण्डे जी ने ‘लक्ष्य-संगीत’ नामक एक ग्रन्थ की रचना भी की थी।
आइए, अब हम आज के थाट ‘पूर्वी’ के विषय में थोड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग, म॑, प ध॒, नि। पूर्वी थाट का आश्रय राग पूर्वी है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग हैं- ‘पूरिया’, ‘धनाश्री’, ‘जैतश्री’, ‘परज’, ‘श्री’, ‘गौरी’, ‘वसन्त’ आदि। राग पूर्वी के आरोह के स्वर- सा, रे, ग, म॑प, ध, निसां और अवरोह के स्वर- सां, नि ध, प, म॑ ग, रे, सा होते हैं। इस राग में ऋषभ और धैवत कोमल तथा मध्यम के दोनों प्रकार प्रयोग किये जाते हैं। राग ‘पूर्वी’ का वादी स्वर गांधार और संवादी निषाद होता है तथा इसे दिन के अन्तिम प्रहर में गाया-बजाया जाता है।
आज के अंक में हम राग ‘पूर्वी’ पर आधारित जो फिल्मी-गीत आपको सुनवाने जा रहे हैं, उसे हमने १९७९ में प्रदर्शित फिल्म ‘मीरा’ से लिया है। गीतकार गुलज़ार द्वारा निर्मित और हेमा मालिनी द्वारा अभिनीत इस फिल्म की संगीत रचना पण्डित रविशंकर ने की थी। विख्यात सितार वादक के रूप में पहचाने जाने वाले पण्डित रविशंकर ने कुछ गिनी-चुनी फिल्मों में ही संगीत दिया है, परन्तु जो दिया है, वह अविस्मरणीय है। पण्डित जी इस फिल्म में लता मंगेशकर से मीरा के पदों गवाना चाहते थे, परन्तु लता जी ने अपने भाई हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में मीरा के अधिकतर पदों को लोकप्रिय बना दिया था, अतः रविशंकर जी ने फिल्म में वाणी जयराम से मीरा के पदों का गायन कराया। फिल्म के सभी गीत विविध रागों पर आधारित थे। आज प्रस्तुत किया जाने वाला पद अर्थात गीत- ‘करुणा सुनो श्याम मोरी...’ राग ‘पूर्वी’ के स्वरों पर आधारित है। सितारखानी ताल में निबद्ध ‘मीरा’ के इस भक्तिपरक गीत के सौंदर्य और माधुर्य का अनुभव आप भी कीजिये-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. श्रृंगार रस प्रधान एक नृत्य गीत है ये.
२. सायरा बानो पर फिल्माया गया है.
३. वास्तविक मुखड़े से पहले नायिका एक "दुनिया" की लंबी दास्ताँ सुनाती है.
अब बताएं -
किस राग पर आधारित है गीत - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
जी इंदु जी गुलज़ार रचित एक खूबसूरत फिल्म थी ये
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
आधुनिक भारतीय संगीत में प्रचलित थाट पद्धति पर केन्द्रित श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की पाँचवीं कड़ी में आपका हार्दिक स्वागत है। इस श्रृंखला में हम पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे द्वारा प्रवर्तित उन दस थाटों की चर्चा कर रहे हैं, जिनके माध्यम से रागों का वर्गीकरण किया जाता है।
उत्तर और दक्षिण भारतीय संगीत की दोनों पद्धतियों में संगीत के सात शुद्ध, तीन कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल बारह स्वरों के प्रयोग में समानता है। दक्षिण भारत के ग्रन्थकार पण्डित व्यंकटमखी ने सप्तक में १२ स्वरों को आधार मान कर ७२ थाटों की रचना गणित के सिद्धान्तों पर की थी। भातखण्डे जी ने इन ७२ थाटों में से केवल उतने ही थाट चुन लिये, जिनमें उत्तर भारतीय संगीत के प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण होना सम्भव हो। इस विधि से वर्तमान उत्तर भारतीय संगीत को उन्होने पक्की नींव पर प्रतिस्थापित किया। साथ ही उन सभी विशेषताओं को भी, जिनके आधार पर दक्षिण और उत्तर भारतीय संगीत पद्धति पृथक होती है, उन्होने कायम किया। भातखण्डे जी ने पं॰ व्यंकटमखी के ७२ थाटों में से १० थाट चुन कर प्रचलित सभी रागों का वर्गीकरण किया। थाट सिद्धान्त पर भातखण्डे जी ने ‘लक्ष्य-संगीत’ नामक एक ग्रन्थ की रचना भी की थी।
आइए, अब हम आज के थाट ‘पूर्वी’ के विषय में थोड़ी जानकारी प्राप्त करते हैं। इस थाट में प्रयोग होने वाले स्वर हैं- सा, रे॒, ग, म॑, प ध॒, नि। पूर्वी थाट का आश्रय राग पूर्वी है। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ प्रमुख राग हैं- ‘पूरिया’, ‘धनाश्री’, ‘जैतश्री’, ‘परज’, ‘श्री’, ‘गौरी’, ‘वसन्त’ आदि। राग पूर्वी के आरोह के स्वर- सा, रे, ग, म॑प, ध, निसां और अवरोह के स्वर- सां, नि ध, प, म॑ ग, रे, सा होते हैं। इस राग में ऋषभ और धैवत कोमल तथा मध्यम के दोनों प्रकार प्रयोग किये जाते हैं। राग ‘पूर्वी’ का वादी स्वर गांधार और संवादी निषाद होता है तथा इसे दिन के अन्तिम प्रहर में गाया-बजाया जाता है।
आज के अंक में हम राग ‘पूर्वी’ पर आधारित जो फिल्मी-गीत आपको सुनवाने जा रहे हैं, उसे हमने १९७९ में प्रदर्शित फिल्म ‘मीरा’ से लिया है। गीतकार गुलज़ार द्वारा निर्मित और हेमा मालिनी द्वारा अभिनीत इस फिल्म की संगीत रचना पण्डित रविशंकर ने की थी। विख्यात सितार वादक के रूप में पहचाने जाने वाले पण्डित रविशंकर ने कुछ गिनी-चुनी फिल्मों में ही संगीत दिया है, परन्तु जो दिया है, वह अविस्मरणीय है। पण्डित जी इस फिल्म में लता मंगेशकर से मीरा के पदों गवाना चाहते थे, परन्तु लता जी ने अपने भाई हृदयनाथ मंगेशकर के संगीत में मीरा के अधिकतर पदों को लोकप्रिय बना दिया था, अतः रविशंकर जी ने फिल्म में वाणी जयराम से मीरा के पदों का गायन कराया। फिल्म के सभी गीत विविध रागों पर आधारित थे। आज प्रस्तुत किया जाने वाला पद अर्थात गीत- ‘करुणा सुनो श्याम मोरी...’ राग ‘पूर्वी’ के स्वरों पर आधारित है। सितारखानी ताल में निबद्ध ‘मीरा’ के इस भक्तिपरक गीत के सौंदर्य और माधुर्य का अनुभव आप भी कीजिये-
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. श्रृंगार रस प्रधान एक नृत्य गीत है ये.
२. सायरा बानो पर फिल्माया गया है.
३. वास्तविक मुखड़े से पहले नायिका एक "दुनिया" की लंबी दास्ताँ सुनाती है.
अब बताएं -
किस राग पर आधारित है गीत - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
गीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
जी इंदु जी गुलज़ार रचित एक खूबसूरत फिल्म थी ये
खोज व आलेख- कृष्ण मोहन मिश्र
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
फिल्म किस सन में बनी थी या नायक कानाम ......प्लीज़...प्लीज़...प्लीज़.
1-फिल्म में यह एक श्रृंगार रस प्रधान नृत्य-गीत के रूप में शामिल है, किन्तु जिस राग पर गीत आधारित है, उस राग की प्रवृत्ति गम्भीर और उदासी भाव उत्पन्न करने वाला है।
2-अभिनेत्री सायरा बानो के साथ नायक जॉय मुखर्जी है।
3-इस गीत की गायिका की जन्म-तिथि आने वाले दिनों में हम मनाने जा रहे हैं।
कृष्णमोहन मिश्र
Shakeel Badayuni
Kishore
Ravi
Namaste,
Pratibha
गाने के बोल हैं: टूट गयी मेरे मन की मुरलिया रे
गायिका: आशा भोसले
राग पता नहीं
Namaskar!
Pratibha
http://www.youtube.com/watch?v=YtIB77il-fE
राग मारवा है.