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संजय अनेजा की कहानी "इंतज़ार" का नाट्य रूपांतर

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अभिषेक ओझा की कहानी "प्रेम गली अति..." का पॉडकास्ट उन्हीं की आवाज़ में सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं संजय अनेजा की कहानी "इंतज़ार" का नाट्य रूपांतर। कलाकार हैं अर्चना चावजी और सलिल वर्मा। संगीत सहयोग पद्मसिंह का है और नाट्य रूपांतरण किया है सलिल वर्मा ने।

कहानी "इंतज़ार" का कुल प्रसारण समय 17 मिनट 53 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

इस कथा का टेक्स्ट मो सम कौन ब्लॉग पर उपलब्ध है।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।


आशा है महाजनस्य पंथे गिरतम सम्भलतम हम भी घुटनों पर चलना सीख लेंगे!
~ संजय अनेजा

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनें एक नयी कहानी
"विराजिये ऋषिवर! निश्चिंत रहिये, मैं कोई मेनका नहीं जो आपका ध्यान भंग करूंगी।"
(संजय अनेजा की "इंतज़ार" से एक अंश)


नीचे के प्लेयर से सुनें.
(प्लेयर पर एक बार क्लिक करें, कंट्रोल सक्रिय करें फ़िर 'प्ले' पर क्लिक करें।)

यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
VBR MP3
#139th Story, Intezar : Sanjay Aneja/Hindi Audio Book/2011/20. Voice: Archana Chaoji & Salil Varma 

Comments

आवाज़ के पटल पर संजय अनेजा का स्वागत है।

अर्चना जी, सलिल जी और पद्म जी - आप तीनों की यह नई पहल प्रशंसनीय है। आशा है आगे इस दिशा में और काम होगा। आभार!
वाह वाह, क्या बात है, एक बहुत ही बढ़िया पहल मज़ा आ गया
Archana said…
@अनुराग जी ...आपका सहयोग अपेक्षित है ...काम तो होगा ही ....

@संजीव जी शुक्रिया ....
anshumala said…
सुन कर अच्छा लगा , पर एक समस्या थी जब कहानी में नायक कुछ सोच रहा है तो इस बात का पता नहीं चला रहा है की नायक संवाद को मन में ही सोच रहा है या नायिका से बोल रहा है चुकि मैंने कहानी पढ़ी है इसलिए मुझे पता है किन्तु पहली बार सुनने वालो को थोडा कन्फ्यूजन हो गया जैसे मेरी मित्र को हो गया |
Archana said…
@anshumala ji, koshish karenge agli baar ye shikayat n rahe ...aapne suna -shukriya ..
अर्चना जी और सलिल भैया इंतजार से संबंधित कुछ रच रहे हैं, ये मालूम था लेकिन नहीं जानता था कि और भी महानुभाव इस साजिश में शामिल हैं:)

इस गौरवशाली मंच पर उपस्थिति संभव हो सकी, हृदय से आप सबका आभारी हूँ।

अपने सिस्टम पर आज सुनना संभव हो पाया है, इसीलिये आज आभार प्रकट कर रहा हूँ।

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