ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 716/2011/156
आज रविवार की शाम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक नए सप्ताह के साथ हम हाज़िर हैं, नमस्कार! पिछले हफ़्ते आपनें सजीव सारथी की लिखी कविताओं की किताब 'एक पल की उम्र लेकर' से चुन कर पाँच कविताओं पर आधारित पाँच फ़िल्मी गीत सुनें, इस हफ़्ते पाँच और कविताओं तथा पाँच और गीतों को लेकर हम तैयार हैं। तो स्वागत है आप सभी का, लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर' की छठी कड़ी में। इस कड़ी के लिए हमने चुनी है कविता 'लम्स तुम्हारा'।
उस एक लम्हे में
जिसे मिलता है लम्स तुम्हारा
दुनिया सँवर जाती है
मेरे आस-पास
धूप छूकर गुज़रती है किनारों से
और जिस्म भर जाता है
एक सुरीला उजास
बादल सर पर छाँव बन कर आता है
और नदी धो जाती है
पैरों का गर्द सारा
हवा उड़ा ले जाती है
पैरहन और कर जाती है मुझे बेपर्दा
खरे सोने सा, जैसा गया था रचा
उस एक लम्हे में
जिसे मिलता है लम्स तुम्हारा
कितना कुछ बदल जाता है
मेरे आस-पास।
हमारी ज़िंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे मिल कर अच्छा लगता है, जिनके साथ हम दिल की बातें शेयर कर सकते हैं। और ऐसे लोगों में एक ख़ास इंसान ऐसा होता है जो बाकी सब से ख़ास होता है, जिसके ज़िक्र से ही होठों पर मुस्कान आ जाती है, जिसके बारे में किसी को कहते वक़्त आँखों में चमक आ जाती है, जिसकी बातें करते हुए होंठ नहीं थकते। और जब उस ख़ास शख़्स से मुलाक़ात होती है तो उस मुलाक़ात की बात ही कुछ और होती है। ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में कोई तनाव नहीं है, कोई दुख नहीं है। उसकी आँखों की चमक सारे दुखों पर जैसे पर्दा डाल देती हैं। उसकी वो नर्म छुवन जैसे सारे तकलीफ़ों पर मरहम लगा जाती है। उसकी भीनी भीनी ख़ुशबू ज़िंदगी को यूं महका जाती है कि फिर बहारों का भी इंतेज़ार नहीं रहता। वक़्त कैसे गुज़र जाता है उसके साथ पता ही नहीं चलता। बहुत ख़ुशनसीब होते हैं वो लोग जिन्हें किसी का प्यार मिलता है, सच्ची दोस्ती मिलती है। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला की पहली कड़ी में फ़िल्म 'नीला आकाश' का एक गीत बजा था, आज इसी फ़िल्म से सुनिये आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी का गाया "तेरे पास आके मेरा वक़्त गुज़र जाता है, दो घड़ी के लिए ग़म जाने कहाँ जाता है"। राजा मेहंदी अली ख़ान के बोल और मदन मोहन की तर्ज़।
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
और अब वक्त है आपके संगीत ज्ञान को परखने की. अगले गीत को पहचानने के लिए हम आपको देंगें ३ सूत्र जिनके आधार पर आपको सही जवाब देना है-
सूत्र १ - फिल्म के नायक किसी ज़माने में समानांतर सिनेमा के अहम् स्तम्भ रहे हैं.
सूत्र २ - इस फिल्म के गीतकार को फिल्म के एक अन्य गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
सूत्र ३ - एक अंतरे की पहली पंक्ति में "कोहरे" का जिक्र है.
अब बताएं -
निर्देशक कौन हैं - ३ अंक
फिल्म के नायक कौन हैं - २ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
अमित, सत्यजीत और हिन्दुस्तानी जी को बधाई एक बार फिर
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
आज रविवार की शाम 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक नए सप्ताह के साथ हम हाज़िर हैं, नमस्कार! पिछले हफ़्ते आपनें सजीव सारथी की लिखी कविताओं की किताब 'एक पल की उम्र लेकर' से चुन कर पाँच कविताओं पर आधारित पाँच फ़िल्मी गीत सुनें, इस हफ़्ते पाँच और कविताओं तथा पाँच और गीतों को लेकर हम तैयार हैं। तो स्वागत है आप सभी का, लघु शृंखला 'एक पल की उम्र लेकर' की छठी कड़ी में। इस कड़ी के लिए हमने चुनी है कविता 'लम्स तुम्हारा'।
उस एक लम्हे में
जिसे मिलता है लम्स तुम्हारा
दुनिया सँवर जाती है
मेरे आस-पास
धूप छूकर गुज़रती है किनारों से
और जिस्म भर जाता है
एक सुरीला उजास
बादल सर पर छाँव बन कर आता है
और नदी धो जाती है
पैरों का गर्द सारा
हवा उड़ा ले जाती है
पैरहन और कर जाती है मुझे बेपर्दा
खरे सोने सा, जैसा गया था रचा
उस एक लम्हे में
जिसे मिलता है लम्स तुम्हारा
कितना कुछ बदल जाता है
मेरे आस-पास।
हमारी ज़िंदगी में कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनसे मिल कर अच्छा लगता है, जिनके साथ हम दिल की बातें शेयर कर सकते हैं। और ऐसे लोगों में एक ख़ास इंसान ऐसा होता है जो बाकी सब से ख़ास होता है, जिसके ज़िक्र से ही होठों पर मुस्कान आ जाती है, जिसके बारे में किसी को कहते वक़्त आँखों में चमक आ जाती है, जिसकी बातें करते हुए होंठ नहीं थकते। और जब उस ख़ास शख़्स से मुलाक़ात होती है तो उस मुलाक़ात की बात ही कुछ और होती है। ऐसा लगता है कि जैसे जीवन में कोई तनाव नहीं है, कोई दुख नहीं है। उसकी आँखों की चमक सारे दुखों पर जैसे पर्दा डाल देती हैं। उसकी वो नर्म छुवन जैसे सारे तकलीफ़ों पर मरहम लगा जाती है। उसकी भीनी भीनी ख़ुशबू ज़िंदगी को यूं महका जाती है कि फिर बहारों का भी इंतेज़ार नहीं रहता। वक़्त कैसे गुज़र जाता है उसके साथ पता ही नहीं चलता। बहुत ख़ुशनसीब होते हैं वो लोग जिन्हें किसी का प्यार मिलता है, सच्ची दोस्ती मिलती है। 'ओल्ड इज़ गोल्ड' शृंखला की पहली कड़ी में फ़िल्म 'नीला आकाश' का एक गीत बजा था, आज इसी फ़िल्म से सुनिये आशा भोसले और मोहम्मद रफ़ी का गाया "तेरे पास आके मेरा वक़्त गुज़र जाता है, दो घड़ी के लिए ग़म जाने कहाँ जाता है"। राजा मेहंदी अली ख़ान के बोल और मदन मोहन की तर्ज़।
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
और अब वक्त है आपके संगीत ज्ञान को परखने की. अगले गीत को पहचानने के लिए हम आपको देंगें ३ सूत्र जिनके आधार पर आपको सही जवाब देना है-
सूत्र १ - फिल्म के नायक किसी ज़माने में समानांतर सिनेमा के अहम् स्तम्भ रहे हैं.
सूत्र २ - इस फिल्म के गीतकार को फिल्म के एक अन्य गीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला था.
सूत्र ३ - एक अंतरे की पहली पंक्ति में "कोहरे" का जिक्र है.
अब बताएं -
निर्देशक कौन हैं - ३ अंक
फिल्म के नायक कौन हैं - २ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
अमित, सत्यजीत और हिन्दुस्तानी जी को बधाई एक बार फिर
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments