साहित्यप्रेमियो,
हिन्द-युग्म विगत 20 महीनों से प्रकाशन में सक्रिय है। हम अपने यहाँ से प्रकाशित पुस्तकों के ऑनलाइन विमोचन का अनूठा कार्यक्रम संयोजित करते हैं, जिससे हर पाठक लोकार्पण करने का सुख प्राप्त कर लेता है।
आज हम हिन्द-युग्म प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक 'अनुगूँज' का ऑनलाइन विमोचन कर रहे हैं। इस पुस्तक में 28 कवियों की प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं। संग्रह के लिए कविताओं का संकलन और संपादन रश्मि प्रभा ने किया है। रश्मि प्रभा संग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहती हैं-
एक कदम के साथ मिलते क़दमों की गूँज अनुगूँज हिंदी साहित्य की साँसों को प्रकृति से जोड़ता है.... वैसे सच तो ये है कि हिंदी के बीज हम क्या लगायेंगे, हिंदी तो हमारा गौरव है- हिंदी साहित्य की जड़ें इतनी पुख्ता रही हैं कि इसे कितना भी काटो, पर इसके पनपने की क्षमता अक्षुण है .... हिन्दुस्तान की मिट्टी हमेशा उर्वरक रही है, बस बीज डालना है और उस पर उग आए अनचाहे विचारों को हटाना है- यही इन्कलाब अनुगूँज है और इसमें शामिल क़दमों को देखकर- साहित्य से जुड़े स्वर कह उठते हैं -
'नहीं है नाउम्मीद इकबाल अपनी किश्ते वीरां से
ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बड़ी ज़रखेज है साकी'
इस मिट्टी पर उभरे कुछ पदचिन्ह साहित्य के अमरत्व को दुहराते हैं -
अंजना दयाल
अंजु चौधरी
अभिषेक 'निशांत'
आनन्द कुमार द्विवेदी
आशीष अवस्थी 'सागर'
एम वर्मा
किशोर खोरेन्द्र
देवेन्द्र कुमार शर्मा
निपुण पाण्डेय
नीलम पुरी
पूजा
प्रतीक महेश्वरी
बाबुषा कोहली
मुकेश कुमार सिन्हा
रश्मि प्रभा
राजेंद्र तेला 'निरंतर'
रामपति
वाणभट्ट
वाणी शर्मा
वीणा श्रीवास्तव
शोभना चौरे
शोभा सारड़ा
सत्यम शिवम
सरस्वती प्रसाद
सीमा सदा
सुमन सिन्हा
सुषमा आहुति
हेमंत कुमार दुबे
शब्दों की शंख ध्वनि, शब्दों के मंगलाचार में आइये इस 'अनुगूँज ' को हम अपनी अर्चना का स्पर्श दें ... खोलें द्वार .... आप सबका भावनाओं के इस मंदिर में स्वागत है ....
(यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें)
पुस्तक का फेसबुक-पेज
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आज हम हिन्द-युग्म प्रकाशन की नवीनतम पुस्तक 'अनुगूँज' का ऑनलाइन विमोचन कर रहे हैं। इस पुस्तक में 28 कवियों की प्रतिनिधि कविताएँ संकलित हैं। संग्रह के लिए कविताओं का संकलन और संपादन रश्मि प्रभा ने किया है। रश्मि प्रभा संग्रह पर टिप्पणी करते हुए कहती हैं-
एक कदम के साथ मिलते क़दमों की गूँज अनुगूँज हिंदी साहित्य की साँसों को प्रकृति से जोड़ता है.... वैसे सच तो ये है कि हिंदी के बीज हम क्या लगायेंगे, हिंदी तो हमारा गौरव है- हिंदी साहित्य की जड़ें इतनी पुख्ता रही हैं कि इसे कितना भी काटो, पर इसके पनपने की क्षमता अक्षुण है .... हिन्दुस्तान की मिट्टी हमेशा उर्वरक रही है, बस बीज डालना है और उस पर उग आए अनचाहे विचारों को हटाना है- यही इन्कलाब अनुगूँज है और इसमें शामिल क़दमों को देखकर- साहित्य से जुड़े स्वर कह उठते हैं -
'नहीं है नाउम्मीद इकबाल अपनी किश्ते वीरां से
ज़रा नम हो तो यह मिट्टी बड़ी ज़रखेज है साकी'
इस मिट्टी पर उभरे कुछ पदचिन्ह साहित्य के अमरत्व को दुहराते हैं -
अंजना दयाल
अंजु चौधरी
अभिषेक 'निशांत'
आनन्द कुमार द्विवेदी
आशीष अवस्थी 'सागर'
एम वर्मा
किशोर खोरेन्द्र
देवेन्द्र कुमार शर्मा
निपुण पाण्डेय
नीलम पुरी
पूजा
प्रतीक महेश्वरी
बाबुषा कोहली
मुकेश कुमार सिन्हा
रश्मि प्रभा
राजेंद्र तेला 'निरंतर'
रामपति
वाणभट्ट
वाणी शर्मा
वीणा श्रीवास्तव
शोभना चौरे
शोभा सारड़ा
सत्यम शिवम
सरस्वती प्रसाद
सीमा सदा
सुमन सिन्हा
सुषमा आहुति
हेमंत कुमार दुबे
शब्दों की शंख ध्वनि, शब्दों के मंगलाचार में आइये इस 'अनुगूँज ' को हम अपनी अर्चना का स्पर्श दें ... खोलें द्वार .... आप सबका भावनाओं के इस मंदिर में स्वागत है ....
(यहाँ से फीटा काटकर विधिवत लोकार्पण करें)
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Comments
काव्य संग्रह अनुगूंज के विमोचन पर ..बधाई के साथ शुभकामनाएं ...आशा करते हैं की अपने इस प्रयास में आप औरो की भी जोड़ते जायेंगे ।
ashok arora
काव्य संग्रह अनुगूंज के विमोचन पर ..बधाई के साथ शुभकामनाएं ...आशा करते हैं की अपने इस प्रयास में आप औरो की भी जोड़ते जायेंगे ।
सादर...
और सभी को अनुगूँज की .. बहुत बहुत बधाई
--
anu
और रश्मि जी को ख़ास शुक्रिया मेरी कृतियों को भी शामिल करने के लिए..
भगवान आपको स्वस्थ रखें और लंबी आयु दें |
और रश्मि जी को ख़ास शुक्रिया मेरी कृतियों को भी शामिल करने के लिए..:)