एक गीत सौ कहानियाँ - 29
‘गोरी हैं कलाइयाँ, तू ला दे मुझे हरी-हरी चूड़ियाँ...’
बप्पी दा और लता जी |
1990 में एक से एक कामयाब म्युज़िकल फ़िल्में आईं, और अमीन सायानी द्वारा प्रस्तुत 'वार्षिक गीतमाला' में नामांकित होने वाले गीतों में 'किशन कन्हैया', 'चालबाज़', 'बहार आने तक', 'सौतन की बेटी', 'आशिक़ी', 'थानेदार', 'जीना तेरी गली में', 'तुम मेरे हो', 'चाँदनी', 'घर का चिराग', 'दिल', 'आयी मिलन की रात', 'मैंने प्यार किया', और 'हम' जैसी फ़िल्में शामिल थे, जिनके गानें सुपर-डुपर हिट हुए थे। ख़ुद बप्पी लाहिड़ी के तीन गीत चोटी का पायदान प्राप्त करने की लड़ाई में शामिल थे - "तम्मा तम्मा लोगे" (थानेदार), "तूतक तूतक तूतियाँ आइ लव यू" (घर का चिराग), और "गोरी हैं कलाइयाँ"। तमाम गीतों को पछाड़ता हुआ 'आज का अर्जुन' का यह गीत जा पहुँचा चोटी के पायदान पर और बन गया 'सॉंग्स ऑफ़ दि ईअर'। दूसरे पायदान पर "कबूतर जा जा" (मैंने प्यार किया) और तीसरे पायदान पर "मुझे नींद न आये" (दिल) गीत रहे।
'आज का अर्जुन' में अमिताभ बच्चन और जया प्रदा की जोड़ी नज़र आई। अभी हाल ही में फ़ेसबूक पर बिग बी ने इस गीत के बारे में अपना स्टेटस अपडेट करते हुए लिखा, "This was considered to be the piece de resistance of the movie and was filmed with such zest and energy that I had a trying time keeping in step with Jaya Prada. Bappi Lahiri’s music was winner. Gori hain kalaaiyan was such a hit in Rajasthan that I am told it was chanted throughout the streets and gullies of Jaipur, where the film producer KC Bokadia hails from." ("यह गीत इस फ़िल्म का मुख्य आकर्षण सिद्ध हुआ, और इस गीत को इतनी लगन और ऊर्जा के साथ फ़िल्माया गया कि मुझे जया प्रदा के साथ कदम से कदम मिलाने में बड़ी मुश्किल हुई। बप्पी लाहिड़ी का संगीत विजयी रहा। गोरी हैं कलाइयाँ राजस्थान में इतना ज़्यादा मक़बूल हुआ कि मुझे ऐसा बताया गया कि जयपुर की गलियों और मुहल्लों लगातार गाया गया जहाँ से के. सी. बोकाडिया ताल्लुख रखते थे")।
"गोरी हैं कलाइयाँ" गीत की एक बड़ी ख़ासीयत है मटकों का सुंदर प्रयोग। विविध भारती के 'विशेष जयमाला' कार्यक्रम को प्रस्तुत करते हुए बप्पी दा ने इस गीत के बारे में बताया, "इस गाने में मैंने पहली बार मटका, मिट्टी का, एक एक स्केल में यूज़ किया। लता जी जब स्टुडियो में आईं तो इतने सारे मटके देख कर कहा कि इतने मटके क्यों? मैंने कहा कि लता जी, मैं मटके से एक्स्पेरिमेण्ट कर रहा हूँ, तबला तरंग का। लता जी को भी बहुत पसंद आया, और यह गाना 1990 का नंबर वन सॉंग् था। और आप लोगों को भी पसंद आया"। इस गीत में राजस्थानी लोक गीत "बन्ना रे बागा में झूला गाल्या" का प्रयोग किया गया है। कोरस इस पंक्ति को गाती हैं और इस पंक्ति के जवाब में लता जी गाती हैं "आया रे छैल भँवर जी आया"। "बन्ना रे..." गीत के साथ घूमर नृत्य शैली में नृत्य किया जाता है। घूमर नृत्य राजस्थान के प्रसिद्ध लोक नृत्यों में से एक है। यह नृत्य राजस्थान में प्रचलित अत्यंत लोकप्रिय नृत्य है, जिसमें केवल स्त्रियाँ ही भाग लेती हैं। इसमें लहँगा पहने हुए स्त्रियाँ गोल घेरे में लोकगीत गाती हुई नृत्य करती हैं। जब ये महिलाएँ विशिष्ट शैली में नाचती हैं तो उनके लहँगे का घेर एवं हाथों का संचालन अत्यंत आकर्षक होता है। इस नृत्य में महिलाएँ लम्बे घाघरे और रंगीन चुनरी पहनकर नृत्य करती हैं। इसी सौन्दर्य को "गोरी हैं कलाइयाँ" गीत में दर्शाया गया है।
शब्बीर कुमार |
"गोरी हैं कलाइयाँ" गीत के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए जब मैं इस गीत के गायक शब्बीर कुमार से फ़ेसबूक पर सम्पर्क किया तो कुछ और रोचक तथ्य सामने आ गए। शब्बीर कुमार ने बताया, "यह गीत किसी और ने गाया था। लेकिन शायद अमिताभ बच्चन जी ने मेरा नाम सजेस्ट किया कि यह गीत शब्बीर कुमार को लता जी के साथ गवाया जाए! और गीत का अन्तरा एक ही साँस में शब्बीर कुमार से रेकॉर्ड कराया जाए! वैसे मैं किसी भी सिंगर का रेकॉर्डेड गीत डब नहीं करता, यह मेरा उसूल है, लेकिन मुझे बाद में बताया गया कि यह गीत किसी जाने-माने गायक ने गाया था। यही इस गीत के पीछे की संक्षिप्त और सही जानकारी है।" शब्बीर कुमार ने उस गायक का नाम तो नहीं बताना चाहा, पर हम कुछ कुछ अंदाज़ा ज़रूर लगा सकते हैं। इस फ़िल्म में शब्बीर कुमार के अलावा दो गीतों में अमित कुमार की आवाज़ थी - "चली आना तू पान की दुकान में" और "ना जा रे ना जा रे"; तथा एक अन्य गीत में मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ थी। इसलिए हो न हो, इन दो गायकों में से किसी एक की आवाज़ में रेकॉर्ड हुई होगी। ख़ैर, जो भी है, अन्तिम सत्य यही है कि इस गीत ने अपार शोहरत हासिल की। यह गीत न तो लता मंगेशकर का गाया सर्वश्रेष्ठ गीत है, न शब्बीर कुमार का, और न ही इसके गीतकार अंजान या संगीतकार बप्पी लाहिड़ी की श्रेष्ठ रचना। फिर भी कुछ तो बात है इस गीत में जो इसे भीड़ से अलग करती है, और आज भी जब हम इस गीत को सुनते हैं तो जैसे दिल ख़ुश हो जाता है।
फिल्म - आज का अर्जुन : 'गोरी हैं कलाइयाँ तू ला दे मुझे हरी हरी चूड़ियाँ...' : लता मंगेशकर और शब्बीर कुमार : संगीत - बप्पी लाहिड़ी
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खोज, आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
Comments
मूल गीत का यू-ट्यूब लिंक इस प्रकार है...
http://youtu.be/gtKjt8SwZ0E
is script ko jab main padhana start kiya to plan kar liya tha ki shankar ji ki tune kee copy ke bare mein comment jaroor kaunga, magar jab pahala coment sharma ji ka padha to khushi mili ki sangeet kee ruchi rkhanewale kitna bebas ho jate hain kisi geet ke satyapan ke bare mai vivechana karne mein.
main gori hai kaliyan ko bappi da's creation ke roop mein kabhi bhi sweekar nahin karta. haan but its a result of inspiration.
Moreove, i found one most important but critical song of bappi da's as TAMMA TAMMA LOGE, which was found to be a "JUDWA SONG" of LP's JUMMA CHUMMA DE DE FROM HUM. BOTH HAVE SIMILARITY IN SIGNATURE TUNE, MAIN TUNE AND WORDS/ BUT ITS A TOTALLY CO-INCIDENCE THAT BOTH SONGS HAD BEEN CREATED INDEPENDENTLY ON THE CLOSE TIME SPAN AND INSPIRED FROM AN ENGLISH SONG,WHICH IS VERY EASILY AVAILABLE ON U-TUBE.
REGARDS,