स्वरगोष्ठी – 136 में आज
रागों में भक्तिरस – 4 राग दरबारी और भक्तिगीत : 'तोरा मन दर्पण कहलाए...'
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राग दरबारी कान्हड़ा : फिल्म काजल : ‘तोरा मन दर्पण कहलाए...’ : आशा भोसले
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राग दरबारी : ‘जय जय श्री दुर्गे...’ : पण्डित जसराज
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 136वें अंक की पहेली में
आज हम आपको संगीत की एक विशेष शैली में एक रचना का अंश सुनवा रहे है। इसे
सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। 140वें अंक की समाप्ति तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता
घोषित किया जाएगा।
1 – कण्ठ संगीत की यह रचना किस राग में निबद्ध है?
2 – संगीत की इस रचना में किस ताल का प्रयोग किया गया है?
आप अपने उत्तर केवल radioplaybackindia@live.com या swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 138वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा radioplaybackindia@live.com या swargoshthi@gmail.com पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 134वें अंक की पहेली में हमने आपको विदुषी डॉ. एन. राजम् की वायलिन पर पूरब अंग के दादरा का एक अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल दादरा। दोनों प्रश्नो के सही उत्तर जबलपुर से क्षिति तिवारी, लखनऊ से प्रकाश गोविन्द और जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी ने दिया है। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’
के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में
भक्तिरस’ के अन्तर्गत आज के अंक में हमने आपसे राग दरबारी के भक्तिरस के
पक्ष पर चर्चा की। आगामी अंक में हम एक और भक्तिरस प्रधान राग में गूँथी
रचनाएँ लेकर उपस्थित होंगे। अगले अंक में इस लघु श्रृंखला की पाँचवीं कड़ी
के साथ रविवार को प्रातः 9 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी
संगीत-रसिकों की प्रतीक्षा करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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