स्वरगोष्ठी – 135 में आज
रागों में भक्तिरस – 3
‘तुम ही हो माता पिता तुम ही हो...’


राग भैरवी : ‘तुम ही हो माता, पिता तुम ही हो...’ : लता मंगेशकर : फिल्म – मैं चुप रहूँगी

राग भैरवी : वायलिन पर गायकी अंग में दादरा : विदुषी डॉ. एन. राजम्
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ की 135वीं संगीत पहेली में हम आपको एक भक्ति रचना का अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 140वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह किस राग में निबद्ध है?
2 – यह रचना किस गायक कलासाधक की आवाज़ में प्रस्तुत की गई है? नाम बताइए।
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 137वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 133वीं संगीत पहेली में हमने आपको विदुषी परवीन सुल्ताना के स्वरों में एक सादरा का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग भैरवी और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल झपताल। इस अंक के दोनों प्रश्नो के उत्तर जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी और लखनऊ के प्रकाश गोविन्द ने दिया है। दोनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’
के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी है, लघु श्रृंखला ‘रागों में
भक्तिरस’, जिसके अन्तर्गत हमने आज की कड़ी में आपको राग भैरवी की दो रचनाओं
का रसास्वादन कराया। अगले अंक में हम आपको एक ऐसे राग में गूँथी रचनाएँ
सुनवाएँगे जिनमें भक्ति और श्रृंगार, दोनों रसों की रचनाएँ भली लगतीं हैं।
इस श्रृंखला की आगामी कड़ियों के लिए आप अपनी पसन्द के भक्तिरस प्रधान रागों
या रचनाओं की फरमाइश कर सकते हैं। हम आपके सुझावों और फरमाइशों का स्वागत
करते हैं। अगले अंक में रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर
आप सभी संगीत-रसिकों की हमें प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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