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रयुनासुके अकुतागावा की संतरे

इस लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा के स्वर में सुमन पाटिल द्वारा लिखित व्यंग्य "चमचासन" सुना था।

आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं रयुनासुके अकुतागावा द्वारा लिखित हृदयस्पर्शी कहानी संतरे जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने।

प्रस्तुत व्यंग्य का गद्य "नवभारत टाइम्स" पर उपलब्ध है। "संतरे" का कुल प्रसारण समय 9 मिनट 46 सेकंड है। सुनिए और बताइये कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।






जापानी कथा (short story) के जनक माने जाने वाले प्रसिद्ध जापानी लेखक रयुनासुके अकुतागावा का जन्म 1 मार्च 1892 को हुआ था। 24 जुलाई 1927 को दुखद परिस्थितियों में उनका देहांत हुआ। जापानी साहित्य का प्रसिद्ध अकुतागावा पुरस्कार उन्हीं के सम्मान में दिया जाता है।

Ryūnosuke Akutagawa 芥川 龍之介


हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी

"यह सारा माहौल मेरी उस वक्त की मनस्थिति से बहुद हद तक मेल खाता था। ”
 (रयुनासुके अकुतागावा कृत "संतरे" से एक अंश)


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संतरे MP3

#30th Story, Santare: Ryūnosuke Akutagawa Hindi Audio Book/2013/30. Voice: Anurag Sharma

Comments

Suman said…
बहुत सुन्दर ह्रदय स्पर्शी कहानी,
कहानी सुनते समय सभी दृश्य जिवंत आंखों के सामने गुजरते गए !
Smart Indian said…
धन्यवाद सुमन जी। जीवन की कठिनाइयों से हारे बिना, प्रेम की भावना को जीवित रखने वाले इन प्यारे बच्चों की कहानी सचमुच हृदयस्पर्शी है।

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