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वापस आ गया है फ़िल्मी पहेलियों का मौसम, आपकी अपनी 'सिने पहेली'



सिने-पहेली - 61 


'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, महीने भर के विराम के बाद आज से 'सिने पहेली' का सफ़र दोबारा शुरू कर रहे हैं। इस प्रतियोगिता का 60% भाग पूरा हो चुका है, और बाकी 40% को अंजाम देने के लिए आज से यह सफ़र फिर एक बार शुरू हो रहा है अपनी मंज़िल तक पहुँचने के ख़ातिर। आशा है आप सभी प्रतियोगी उसी उत्साह के साथ फिर से इस प्रतियोगिता में जुट जायेंगे जैसा पहले किया करते थे। आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ने वाले नये खिलाड़ियों का स्वागत करते हुए हम उन्हें यह भी बताना चाहेंगे कि अभी भी कुछ देर नहीं हुई है, आज से इस प्रतियोगिता में जुड़ कर भी आप महाविजेता बन सकते हैं, यही इस प्रतियोगिता की ख़ासियत है। इस प्रतियोगिता के नियमों का नीचे किया गया है, ध्यान दीजियेगा।


कैसे बना जाए 'सिने पहेली' महाविजेता?


1. सिने पहेली प्रतियोगिता में होंगे कुल 100 एपिसोड्स। इन 100 एपिसोड्स को 10 सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। अर्थात्, हर सेगमेण्ट में होंगे 10 एपिसोड्स। इस प्रतियोगिता के 60 एपिसोड्स पूरे हो चुके हैं, आज है 61-वाँ एपिसोड।

2. प्रत्येक सेगमेण्ट में प्रत्येक खिलाड़ी के 10 एपिसोड्स के अंक जुड़े जायेंगे, और सर्वाधिक अंक पाने वाले तीन खिलाड़ियों को सेगमेण्ट विजेताओं के रूप में चुन लिया जाएगा। 

3. इन तीन विजेताओं के नाम दर्ज हो जायेंगे 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में। सेगमेण्ट में प्रथम स्थान पाने वाले को 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में 3 अंक, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2 अंक, और तृतीय स्थान पाने वाले को 1 अंक दिया जायेगा। छठे सेगमेण्ट की समाप्ति तक 'महाविजेता स्कोरकार्ड' यह रहा...





4. 10 सेगमेण्ट पूरे होने पर 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में दर्ज खिलाड़ियों में सर्वोच्च पाँच खिलाड़ियों में होगा एक ही एपिसोड का एक महा-मुकाबला, यानी 'सिने पहेली' का फ़ाइनल मैच। इसमें पूछे जायेंगे कुछ बेहद मुश्किल सवाल, और इसी फ़ाइनल मैच के आधार पर घोषित होगा 'सिने पहेली महाविजेता' का नाम। महाविजेता को पुरस्कार स्वरूप नकद 5000 रुपये दिए जायेंगे, तथा द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालों को दिए जायेंगे सांत्वना पुरस्कार।


तो आइए अब पूछा जाये 'सिने पहेली - 61' के सवाल...


आज की पहेली : बताइये ना!

1. "ना कुछ पूछे, ना कुछ बूझे, कैसा अनाड़ी लागे रे...."। गीत की इस पंक्ति में अनाड़ी किसे कहा गया है? (2 अंक)

2. "दिल को प्यार का रोग लगा के ज़ख़्म बनाने पड़ते हैं, दर्द हज़ारों उठते हैं कितने काँटे चुभते हैं"। और तब जा कर बनता है _________ । 
(2 अंक)

3. "लगा ले पेंच फिर से तू, होने दे जंग, नज़र सदा हो ऊँची सिखाती है ______________"। 
(2 अंक)

4. "तू ने मेरा नाम कभी आँखों से पुकारा नहीं, मैंने जाने कैसे सुना था"। इस पंक्ति में फ़िल्म के जिस किरदार को "तू" से संबोधित किया गया है, उस किरदार का नाम क्या था? 
(2 अंक)

5. "मोतियों जैसे तारे आँचल में है सारे, जाने ये फिर क्या माँगे", "जोगन जैसी लागे, न सोये न जागे, गली-गली में जाये"। गीत की इन पंक्तियों के माध्यम से किसे संबोधित किया गया है? 
(2 अंक)

जवाब भेजने का तरीका


उपर पूछे गए सवालों के जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे। ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 61" अवश्य लिखें, और अंत में अपना नाम व स्थान लिखें। आपका ईमेल हमें बृहस्पतिवार 11 अप्रैल शाम 5 बजे तक अवश्य मिल जाने चाहिए। इसके बाद प्राप्त होने वाली प्रविष्टियों को शामिल नहीं किया जाएगा।


'सिने पहेली' को और भी ज़्यादा मज़ेदार बनाने के लिए अगर आपके पास भी कोई सुझाव है तो 'सिने पहेली' के ईमेल आइडी पर अवश्य लिखें। आप सब भाग लेते रहिए, इस प्रतियोगिता का आनन्द लेते रहिए, क्योंकि महाविजेता बनने की लड़ाई अभी बहुत लम्बी है। आज के एपिसोड से जुड़ने वाले प्रतियोगियों के लिए भी 100% सम्भावना है महाविजेता बनने का। इसलिए मन लगाकर और नियमित रूप से (बिना किसी एपिसोड को मिस किए) सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, आज के लिए मुझे अनुमति दीजिए, अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी, नमस्कार!

Comments

Pankaj Mukesh said…
Prashan 5, vivadaspad hai. kripaya prashna badalein, gana bhale hi wahi rahne dein!!!!
main agar is gaane ke sandarbh mein kuchh bhi sachhai bataunga to prasha ka saundary bigad sakta hai, isliye jaldi hi dhyaan diya jana vhahiye!!!
shukriya!!!
Sujoy Chatterjee said…
Pankaj ji, keval geet ki panktiyon par dhyaan deejiye, bas! film se sawaal ka kuch lena dena nahi hai.
AVADH said…
भाई, मैं तो एक बात जानता हूँ. प्रश्न बिलकुल भी विवादास्पद नहीं है और इसलिए इसका उत्तर भी सीधा है.
जैसा सुजॉय जी ने कहा है, ध्यान इस पर होना चाहिए कि गीतकार ने किसे केंद्रित कर यह गीत लिखा है.उत्तर स्पष्ट हो जायेगा.
अवध लाल
Pankaj Mukesh said…
Avadh and Sujoy ji!!
ye geet film se hata liya gaya hai, film release ke 1 st week ke baad!!!
rahi baat sawaal ki to sambodhan to nikala hi jaa sakta hai, magar ise ek kavita ke roop mei lekar!!!
AVADH said…
प्रिय पंकज जी,
आपकी फिल्म और संगीत दोनों क्षेत्रों में गहन जानकारी का मैं विशेष रूप से कायल हूँ.
यदि आपने लिखा है तो सही ही होगा कि गीत फिल्म की रिलीज़ के एक सप्ताह बाद हटा लिया गया था. मुझे इस तथ्य की पुष्टि नहीं थी. जानकारी के लिए धन्यवाद.
परन्तु इस बात से पहेली में पूछे गए प्रश्न के उत्तर में कोई अंतर नहीं पड़ता. जैसा आपने स्वयं ही लिखा है कि कविता से स्पष्ट है कि कविता का क्या शीर्षक होना चाहिए अथवा यह किसे संबोधित है.
प्रसंगवश मैं यह कहने का लोभ नहीं छोड़ पा रहा हूँ कि प्रस्तुत गीत मेरे पसंदीदा गीतों में से एक है गीत में प्रयुक्त उपमाओं के कारण. और क्यों न हो गीतकार अपनी विशिष्ट (signature) शैली (अनूठी उपमा, रूपक आदि)के लिए विख्यात हैं. यहाँ तक कि कोई रोचक और अनोखी शब्दावली सुनने पर यह आसानी से बताया जा सकता है कि यह उनकी रचना जान पड़ती है.
अवध लाल
woooooooooooow avadh bhaiyaaaaa! hmmm toh yahaan sb aate hain?? kya fir purani team jma hoti hai?? iss baar ki paheliyon ke jwab bhi bde aasan the aur.....prashn.......alg andaz me wow.

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