भारतीय सिनेमा के सौ साल – 36
एक गीत सौ कहानियाँ – 22
शमशाद बेगम की पहली हिन्दी फिल्म ‘खजांची’ का एक गीत : ‘सावन के नज़ारे हैं...’
एक गीत सौ कहानियाँ – 22
शमशाद बेगम की पहली हिन्दी फिल्म ‘खजांची’ का एक गीत : ‘सावन के नज़ारे हैं...’
आपके प्रिय स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी ने 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' पर गत वर्ष
'एक गीत सौ कहानियाँ' नामक स्तम्भ आरम्भ किया था, जिसके अन्तर्गत हर अंक
में वे किसी फिल्मी या गैर-फिल्मी गीत की विशेषताओं और लोकप्रियता पर चर्चा
करते थे। यह स्तम्भ 20 अंकों के बाद मई 2012 में स्थगित कर दिया गया था।
गत माह से हमने इस स्तम्भ का प्रकाशन ‘भारतीय सिनेमा के सौ साल’ श्रृंखला
के अन्तर्गत पुनः शुरू किया है। आज 'एक गीत सौ कहानियाँ' स्तम्भ की 22वीं कड़ी में सुजॉय चटर्जी प्रस्तुत कर रहे हैं, सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका
शमशाद बेगम की पहली हिन्दी ‘खजांची’ में गाये उनके पहले गीत "सावन के
नज़ारे हैं…" की चर्चा।
दोस्तों, आज ‘एक गीत सौ कहानियाँ’ का अंक समर्पित है फ़िल्म संगीत के सुनहरे दौर की एक लाजवाब पार्श्वगायिका को। ये वो गायिका हैं दोस्तों जिनकी आवाज़ की तारीफ़ में संगीतकार नौशाद साहब नें कहा था कि इसमें पंजाब की पाँचों दरियाओं की रवानी है। उधर ओ.पी. नैयर ने इनकी शान में कहा था कि इस आवाज़ को सुन कर ऐसा लगता है जैसे किसी मन्दिर में घंटियाँ बज रही हों। इस अज़ीम गुलुकारा नें कभी हमसे अपना नाम बूझने को कहा था, लेकिन हक़ीक़त तो यह है कि आज भी जब हम इनका गाया कोई गीत सुनते हैं तो इनका नाम बूझने की ज़रूरत ही नहीं पड़ती, क्योंकि इनकी खनकती आवाज़ ही इनकी पहचान है। प्रस्तुत है फ़िल्म जगत की सुप्रसिद्ध पार्श्वगायिका शमशाद बेगम पर केन्द्रित 'एक गीत सौ कहानियाँ' का आज का यह अंक। शमशाद बेगम के गाये गीतों की लोकप्रियता का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आज 6 दशक बाद भी उनके गाये हुए गीतों के रीमिक्स जारी हो रहे हैं। आइए इस अंक में उनके गाये पहले हिन्दी फिल्म ‘खजांची’ में उनके गाये गीत को सुनने के साथ-साथ उनके जीवन और करीयर से जुड़ी कुछ बातें भी जानें, और शमशाद जी के व्यक्तित्व को ज़रा करीब से जानने की कोशिश करें।
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फिल्म खजांची : ‘सावन के नज़ारे हैं...’ : गायिका शमशाद बेगम
आपको 'एक गीत सौ कहानियाँ' का यह अंक कैसा लगा, हमें अवश्य लिखिएगा। आप अपनी प्रतिक्रिया, अपने सुझाव और अपनी फरमाइश हमें radioplaybackindia@live.com पर भेज सकते हैं। इस स्तम्भ के अगले अंक में हम किसी अन्य गीत और उससे जुड़ी कहानियों के साथ पुनः उपस्थित होंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
यादें मूक फिल्मों की
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