स्वरगोष्ठी-108 में आज
राग और प्रहर – 6
‘तेरे सुर और मेरे गीत...’ : रात्रि के अन्धकार को प्रकाशित करते राग
‘स्वरगोष्ठी’ के 108वें अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब
संगीत-प्रेमियों का इस मंच पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, इन दिनों
‘स्वरगोष्ठी’ में विभिन्न आठ प्रहरों के रागों पर चर्चा जारी है। पिछले अंक
में हमने पाँचवें प्रहर के कुछ राग प्रस्तुत किये थे। आज हम आपके सम्मुख
छठें प्रहर के कुछ आकर्षक राग लेकर उपस्थित हुए हैं। छठाँ प्रहर अर्थात
रात्रि का दूसरा प्रहर, रात्रि 9 बजे से लेकर मध्यरात्रि तक की अवधि को
माना जाता है। हमारे देश में अधिकतर संगीत सभाएँ पाँचवें और छठें प्रहर में
आयोजित होती हैं, इसलिए इस प्रहर के राग संगीत-प्रेमियों के बीच अधिक
लोकप्रिय हैं। छठें प्रहर के रागों में आज हम आपके लिए राग बिहाग, गोरख
कल्याण, बागेश्री और मालकौंस की कुछ चुनी हुई रचनाएँ प्रस्तुत करेंगे।

राग गोरख कल्याण : ‘विनती नहीं मानी सइयाँ...’ : पण्डित जगदीश प्रसाद

राग बागेश्री : 1094 सितार वादकों की समवेत प्रस्तुति : ब्रह्मनाद

राग मालकौंस : ‘नन्द के छैला ढीठ लंगरवा...’ : पण्डित दतात्रेय विष्णु पलुस्कर

राग बिहाग : ‘तेरे सुर और मेरे गीत...’ : फिल्म - गूँज उठी शहनाई : लता मंगेशकर
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 108वें अंक की पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली के 110वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 - संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 - इस गीत को किस गायक कलाकार ने स्वर दिया है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 110वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 106ठें अंक में हमने आपको 1964 में बनी फिल्म ‘चित्रलेखा’ से एक राग आधारित गीत का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग कामोद और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल सितारखानी अथवा पंजाबी। दोनों प्रश्नो के सही उत्तर बैंगलुरु के पंकज मुकेश और जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी ने दिया है। लखनऊ के प्रकाश गोविन्द ने एक ही प्रश्न का सही जवाब दिया है। इन्हें एक अंक से ही सन्तोष करना होगा। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘स्वरगोष्ठी’ पर इन दिनो
लघु श्रृंखला ‘राग और प्रहर’ जारी है। आगामी अंक में हम आपके साथ रात्रि के
तीसरे प्रहर अर्थात मध्यरात्रि से लेकर रात्रि लगभग तीन बजे के मध्य
प्रस्तुत किये जाने वाले रागों पर चर्चा करेंगे। प्रत्येक रविवार को प्रातः
साढ़े नौ बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के एक नए अंक के कृष्णमोहन मिश्र साथ उपस्थित होते हैं। आप सब
संगीत-प्रेमियों से अनुरोध है कि इस सांगीतिक अनुष्ठान में आप भी हमारे
सहभागी बनें। आपके सुझाव और सहयोग से हम इस स्तम्भ को और अधिक उपयोगी
स्वरूप प्रदान कर सकते हैं।
कृष्णमोहन मिश्र
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