स्वरगोष्ठी – 107 में आज
राग और प्रहर – 5 शाम के अन्धकार को प्रकाशित करते राग
‘स्वरगोष्ठी’ के 107वें अंक में, मैं कृष्णमोहन मिश्र आप सब
संगीत-प्रेमियों का इस मंच पर हार्दिक स्वागत करता हूँ। मित्रों, पिछले
रविवार को इस स्तम्भ का अगला अंक मैं अपनी पारिवारिक व्यस्तता के कारण
प्रस्तुत नहीं कर सका था। आज के अंक में हम प्रस्तुत कर रहे हैं, पाँचवें
प्रहर के कुछ मधुर रागों में चुनी हुई रचनाएँ। तीन-तीन घण्टों की अवधि में
विभाजित दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ प्रहरों के रूप में पहचाना जाता
है। इनमें पाँचवाँ प्रहर अर्थात रात्रि का पहला प्रहर, सूर्यास्त के बाद
से लेकर रात्रि लगभग नौ बजे तक की अवधि को माना जाता है। इस प्रहर में
गाये-बजाए जाने वाले राग गहराते अन्धकार में प्रकाश के विस्तार की अनुभूति
कराते हैं। आज के अंक में हम ऐसे ही कुछ रागों पर आपसे चर्चा करेंगे।
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राग कामोद : फिल्म चित्रलेखा : ‘ए री जाने ना दूँगी...’ : लता मंगेशकर
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राग पूरिया धनाश्री : सरोद पर मध्य लय तीनताल की गत : उस्ताद अमजद अली खाँ
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राग भूपाली : सितार पर तीनताल की गत और झाला : उस्ताद शाहिद परवेज़
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राग यमन : द्रुत एकताल का तराना : विदुषी मालिनी राजुरकर
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ की 107वीं संगीत पहेली में हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 110वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 - संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 – यह गीत किस ताल में निबद्ध है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 109वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 105वें अंक में हमने आपको फिल्म ‘हमदर्द’ से राग गौड़ सारंग पर आधारित एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग गौड़ सारंग और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- तीनताल। दोनों प्रश्नो के सही उत्तर लखनऊ के प्रकाश गोविन्द, बैंगलुरु के पंकज मुकेश, जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी और मिनिसोटा, अमेरिका से दिनेश कृष्णजोइस ने दिया है। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों, ‘स्वरगोष्ठी’ पर इन दिनों ‘राग और प्रहर’ शीर्षक से लघु श्रृंखला
जारी है। श्रृंखला के आगामी अंक में हम आपके लिए दिन के छठें प्रहर अर्थात
रात्रि के दूसरे प्रहर में गाये-बजाए जाने वाले कुछ आकर्षक रागों की
प्रस्तुतियाँ लेकर उपस्थित होंगे। आप हमारे आगामी अंकों के लिए आठवें प्रहर
तक के प्रचलित रागों और इन रागों में निबद्ध अपनी प्रिय रचनाओं की फरमाइश
भी कर सकते हैं। हम आपके सुझावों और फरमाइशों को पूरा सम्मान देंगे। अगले
अंक में रविवार को प्रातः 9-30 ‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर आप सब
संगीत-रसिकों की हम प्रतीक्षा करेंगे।
कृष्णमोहन मिश्र
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