स्वरगोष्ठी-105 में आज
राग और प्रहर – 3
कृष्ण की बाँसुरी और राग वृन्दावनी सारंग
कृष्ण की बाँसुरी और राग वृन्दावनी सारंग

राग वृन्दावनी सारंग : बाँसुरी - मध्य-द्रुत तीनताल की रचना : आश्विन श्रीनिवासन्

राग शुद्ध सारंग : बाँसुरी – आलाप : पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया

राग मधुवन्ती : सरोद – मध्यलय की गत : उस्ताद अली अकबर खाँ

राग भीमपलासी : फिल्म – मेरा साया : ‘नैनों में बदरा छाए...’ : लता मंगेशकर
आज की पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ की 105वीं संगीत पहेली में हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का अंश सुनवा रहे है। इसे सुन कर आपको दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 110वें अंक तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस श्रृंखला का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 - संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 – यह गीत किस ताल में निबद्ध है?
आप अपने उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com पर ही शनिवार मध्यरात्रि तक भेजें। comments में दिये गए उत्तर मान्य नहीं होंगे। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 107वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए comments के माध्यम से अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’ के 103वें अंक में हमने आपको 1991 में बनी फिल्म ‘लेकिन’ से राग गूजरी अथवा गूर्जरी तोड़ी पर आधारित एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे दो प्रश्न पूछे थे। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग गूजरी या गूर्जरी तोड़ी और दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायक हृदयनाथ और गायिका लता मंगेशकर। दोनों प्रश्नो के सही उत्तर एकमात्र जबलपुर की क्षिति तिवारी ने ही दिया है। इन्हें पूरे दो अंक मिलते हैं। लखनऊ के प्रकाश गोविन्द ने दूसरे प्रश्न के आधे भाग का सही उत्तर दिया है, अतः इन्हें मिलते हैं .5 अंक। बैंगलुरु के पंकज मुकेश ने पहले प्रश्न का अधूरा उत्तर दिया है, अतः इन्हें मिलते हैं 1.5 अंक। जौनपुर के डॉ. पी.के. त्रिपाठी ने राग को तो सही पहचाना किन्तु गायक-गायिका को नहीं पहचान सके, अतः इन्हें एक अंक से ही सन्तोष करना होगा। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक शुभकामनाएँ।
झरोखा अगले अंक का
मित्रों,
‘स्वरगोष्ठी’ पर इन दिनों ‘राग और प्रहर’ शीर्षक से लघु श्रृंखला जारी है।
श्रृंखला के आगामी अंक में हम आपके लिए दिन के चौथे प्रहर में गाये-बजाए
जाने वाले कुछ आकर्षक रागों की प्रस्तुतियाँ लेकर उपस्थित होंगे। आप हमारे
आगामी अंकों के लिए आठवें प्रहर तक के प्रचलित रागों और इन रागों में
निबद्ध अपनी प्रिय रचनाओं की फरमाइश भी कर सकते हैं। हम आपके सुझावों और
फरमाइशों को पूरा सम्मान देंगे। अगले अंक में रविवार को प्रातः 9-30
‘स्वरगोष्ठी’ के इस मंच पर आप सब संगीत-रसिकों की हम प्रतीक्षा करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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