प्लेबैक वाणी -31 -संगीत समीक्षा - रेस - 2
एल्बम की शुरुआत ही काफी धमाकेदार है जहाँ गीत का शीर्षक ही ‘पार्टी ऑन माई माईन्ड’ हो वहाँ रिदम का तूफानी होना लाजमी है. गीत धीमे धीमे जोश में चढ़ता है.शेफाली अल्विरास की मादक आवाज़ में आगाज़ अच्छा होता है जिसे के के की जोशीली आवाज़ का साथ मिलता है जल्दी ही. ताज़ा चलन के अनुरूप यो यो हनी सिंह का रैप भी है तडके के लिए. डिस्को नाईट्स और पार्टियों के लिए एक परफेक्ट गीत है ये.
आतिफ असलम और सुनिधि चौहान की आवाज़ में अगला गीत बे इन्तेहाँ एक रूमानी गीत है. मयूर पुरी ने कैच शब्द के आस पास सारा ताना बाना बुना है पर शब्द अपेक्षित असर नहीं कर पाते. हालाँकि गायकों ने अपने चिर परिचित अंदाज़ में गीत को सँभालने की भरपूर कोशिश की है. प्रीतम कुछ नया करते हुए प्रतीत नहीं होते.
‘लत लग गयी’ एक बार फिर नाचने को मजबूर करने वाला गीत है. रिदम काफी तेज है और यहाँ शब्द संगीत का तालमेल भी बढ़िया ‘मुझे तो तेरी लत लग गयी, जमाना कहे लत ये गलत लग गयी....’. बेनी दयाल की आवाज़ में काफी संभावना है और शामली खोलगडे की आवाज़ का नशा दिन बा दिन बढ़ता सा महसूस हो रहा है. इन दो युवा आवाजों में ये गीत एल्बम का सबसे बहतरीन गीत साबित होता है.
शीर्षक गीत वही है जो पहले था, यानी ‘अल्लाह दुहाई है’ मगर कुछ गायकों की टीम में नयापन है और इसके ढांचे में प्रीतम ने कुछ बदलाव कर इसे और भी कातिलाना बना दिया है. आतिफ की आवाज़ इस असर को और बढ़ा देती है, साथ में विशाल ददलानी और अनुष्का भी पूरे फॉर्म में सुनाई दिए हैं.
कुल मिलाकर रेस २ का संगीत अपनी अपेक्षाओं पर तो खरा उतरता है मगर कुछ नया लेकर नहीं आता. रेडियो प्लेबैक डे रहा है इसे ३.३ की रेटिंग.
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