ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 735/2011/175
'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शमशाद बेगम की खनकती आवाज़ इन दिनों गूंज रही है उन्हीं को समर्पित लघु शृंखला 'बूझ मेरा क्या नाव रे' में। आज हम जिस संगीतकार की रचना सुनवाने जा रहे हैं, उन्होंने भी शमशाद बेगम को एक से एक लाजवाब गीत दिए, और उनकी आवाज़ को 'टेम्पल बेल वॉयस' की उपाधि देने वाले ये संगीतकार थे ओ. पी. नय्यर। नय्यर साहब के अनुसार दो गायिकाएँ जिनकी आवाज़ ऑरिजिनल आवाज़ें हैं, वे हैं गीता दत्त और शमशाद बेगम। दोस्तों, विविध भारती पर नय्यर साहब की एक लम्बी साक्षात्कार प्रसारित हुआ था 'दास्तान-ए-नय्यर' शीर्षक से। उस साक्षात्कार में कई कई बार शमशाद जी का ज़िक्र छिड़ा था। आज और अगली कड़ी में हम उसी साक्षात्कार के चुने हुए अंशों को पेश करेंगे जिनमें नय्यर साहब शमशाद जी के बारे में बताते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो अपना पहला पॉपुलर गीत "प्रीतम आन मिलो" को मानते हैं, तो नय्यर साहब का जवाब था, ""कभी आर कभी पार लागा तीर-ए-नज़र", 'आर-पार' का पहला सुपरहिट गाना शमशाद जी का"। शमशाद बेगम के गाये गीतों में नय्यर साहब डबल बेस का ख़ूब इस्तमाल किया करते थे, इस बारे में भी जानिये उन्हीं से - "मैं जब जैसे चाहता था, एक दिन मुझे एक रेकॉर्डिस्ट नें कम्प्लिमेण्ट दिया कि नय्यर साहब, आप रेकॉर्डिंग् करवाना जानते हो, बाकी किसी को पता नहीं! ये आपने सुना "ज़रा हट के ज़रा बच के, ये है बॉम्बे मेरी जान", और उसमें, शमशाद जी के गानों में "लेके पहला पहला प्यार", "कभी आर कभी पार", "बूझ मेरा क्या नाव रे", ये डबल बेस का खेल है सब!"
नय्यर साहब के इंटरव्यूज़ में एक कॉमन सवाल जो होता था, वह था लता से न गवाने का कारण। 'दास्तान-ए-नय्यर' में जब यह बात चली कि मदन मोहन के कम्पोज़िशन्स को कामयाब बनाने के लिये लता जी का बहुत बड़ा हाथ है, उस पर नय्यर साहब नें कहा, "लता मंगेशकर का बहुत बड़ा हाथ था, और हम हैं वो कम्पोज़र जिन्होंने लता मंगेशकर की आवाज़ पसंद ही नहीं की। वो गायिका नंबर एक हैं, पसंद क्यों नहीं की, क्योंकि हमारे संगीत को सूट नहीं करती। 'थिन थ्रेड लाइक वॉयस' हैं वो। मुझे चाहिये थी सेन्सुअस, फ़ुल ऑफ़ ब्रेथ, जैसे गीता दत्त, जैसे शमशाद बेगम। टेम्पल बेल्स की तरह वॉयस है उसकी। शमशाद जी की आवाज़ इतनी ऑरिजिनल है कि बस कमाल है।" तो आइए दोस्तों, नय्यर साहब और शमशाद जी के सुरीले संगम से उत्पन्न तमाम गीतों में से आज हम एक सुनते हैं। फ़िल्म 'सी.आइ.डी' का यह गीत है "कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना"। मजरूह सुल्तानपुरी के बोल हैं, और आपको बता दें कि इस गीत की धुन पर अनु मलिक नें 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' फ़िल्म का अल्का याज्ञ्निक का गाया "दिल का दरवाज़ा खुल्ला है राजा, आठ रोज़ की तू छुट्टी लेके आजा" गीत तैयार किया था। "कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना", इस जुमले का इस्तमाल आज भी लोग करते हैं अपने दोस्तों यारों को चिढ़ाने के लिए, किसी की खिंचाई करने के लिए, हास्य-व्यंग के लिए। आइए सुना जाये वहीदा रहमान पर फ़िल्माया १९५६ की 'सी.आइ.डी' फ़िल्म का यह सदाबहार नग़मा।
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. मीना कुमारी पर है ये गीत.
२. आवाज़ है शमशाद बेगम की.
३. मुखड़े में "रात" का जिक्र है
अब बताएं -
इस गीत के गीतकार - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म का नाम - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
सही कहा आपने इंदु जी लगता है सबने अमित के आगे हाथ खड़े कर दिए हैं
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
'ओल्ड इज़ गोल्ड' में शमशाद बेगम की खनकती आवाज़ इन दिनों गूंज रही है उन्हीं को समर्पित लघु शृंखला 'बूझ मेरा क्या नाव रे' में। आज हम जिस संगीतकार की रचना सुनवाने जा रहे हैं, उन्होंने भी शमशाद बेगम को एक से एक लाजवाब गीत दिए, और उनकी आवाज़ को 'टेम्पल बेल वॉयस' की उपाधि देने वाले ये संगीतकार थे ओ. पी. नय्यर। नय्यर साहब के अनुसार दो गायिकाएँ जिनकी आवाज़ ऑरिजिनल आवाज़ें हैं, वे हैं गीता दत्त और शमशाद बेगम। दोस्तों, विविध भारती पर नय्यर साहब की एक लम्बी साक्षात्कार प्रसारित हुआ था 'दास्तान-ए-नय्यर' शीर्षक से। उस साक्षात्कार में कई कई बार शमशाद जी का ज़िक्र छिड़ा था। आज और अगली कड़ी में हम उसी साक्षात्कार के चुने हुए अंशों को पेश करेंगे जिनमें नय्यर साहब शमशाद जी के बारे में बताते हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या वो अपना पहला पॉपुलर गीत "प्रीतम आन मिलो" को मानते हैं, तो नय्यर साहब का जवाब था, ""कभी आर कभी पार लागा तीर-ए-नज़र", 'आर-पार' का पहला सुपरहिट गाना शमशाद जी का"। शमशाद बेगम के गाये गीतों में नय्यर साहब डबल बेस का ख़ूब इस्तमाल किया करते थे, इस बारे में भी जानिये उन्हीं से - "मैं जब जैसे चाहता था, एक दिन मुझे एक रेकॉर्डिस्ट नें कम्प्लिमेण्ट दिया कि नय्यर साहब, आप रेकॉर्डिंग् करवाना जानते हो, बाकी किसी को पता नहीं! ये आपने सुना "ज़रा हट के ज़रा बच के, ये है बॉम्बे मेरी जान", और उसमें, शमशाद जी के गानों में "लेके पहला पहला प्यार", "कभी आर कभी पार", "बूझ मेरा क्या नाव रे", ये डबल बेस का खेल है सब!"
नय्यर साहब के इंटरव्यूज़ में एक कॉमन सवाल जो होता था, वह था लता से न गवाने का कारण। 'दास्तान-ए-नय्यर' में जब यह बात चली कि मदन मोहन के कम्पोज़िशन्स को कामयाब बनाने के लिये लता जी का बहुत बड़ा हाथ है, उस पर नय्यर साहब नें कहा, "लता मंगेशकर का बहुत बड़ा हाथ था, और हम हैं वो कम्पोज़र जिन्होंने लता मंगेशकर की आवाज़ पसंद ही नहीं की। वो गायिका नंबर एक हैं, पसंद क्यों नहीं की, क्योंकि हमारे संगीत को सूट नहीं करती। 'थिन थ्रेड लाइक वॉयस' हैं वो। मुझे चाहिये थी सेन्सुअस, फ़ुल ऑफ़ ब्रेथ, जैसे गीता दत्त, जैसे शमशाद बेगम। टेम्पल बेल्स की तरह वॉयस है उसकी। शमशाद जी की आवाज़ इतनी ऑरिजिनल है कि बस कमाल है।" तो आइए दोस्तों, नय्यर साहब और शमशाद जी के सुरीले संगम से उत्पन्न तमाम गीतों में से आज हम एक सुनते हैं। फ़िल्म 'सी.आइ.डी' का यह गीत है "कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना"। मजरूह सुल्तानपुरी के बोल हैं, और आपको बता दें कि इस गीत की धुन पर अनु मलिक नें 'मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी' फ़िल्म का अल्का याज्ञ्निक का गाया "दिल का दरवाज़ा खुल्ला है राजा, आठ रोज़ की तू छुट्टी लेके आजा" गीत तैयार किया था। "कहीं पे निगाहें कहीं पे निशाना", इस जुमले का इस्तमाल आज भी लोग करते हैं अपने दोस्तों यारों को चिढ़ाने के लिए, किसी की खिंचाई करने के लिए, हास्य-व्यंग के लिए। आइए सुना जाये वहीदा रहमान पर फ़िल्माया १९५६ की 'सी.आइ.डी' फ़िल्म का यह सदाबहार नग़मा।
और अब एक विशेष सूचना:
२८ सितंबर स्वरसाम्राज्ञी लता मंगेशकर का जनमदिवस है। पिछले दो सालों की तरह इस साल भी हम उन पर 'ओल्ड इज़ गोल्ड' की एक शृंखला समर्पित करने जा रहे हैं। और इस बार हमने सोचा है कि इसमें हम आप ही की पसंद का कोई लता नंबर प्ले करेंगे। तो फिर देर किस बात की, जल्द से जल्द अपना फ़ेवरीट लता नंबर और लता जी के लिए उदगार और शुभकामनाएँ हमें oig@hindyugm.com के पते पर लिख भेजिये। प्रथम १० ईमेल भेजने वालों की फ़रमाइश उस शृंखला में पूरी की जाएगी।
इन तीन सूत्रों से पहचानिये अगला गीत -
१. मीना कुमारी पर है ये गीत.
२. आवाज़ है शमशाद बेगम की.
३. मुखड़े में "रात" का जिक्र है
अब बताएं -
इस गीत के गीतकार - ३ अंक
संगीतकार बताएं - २ अंक
फिल्म का नाम - २ अंक
सभी जवाब आ जाने की स्तिथि में भी जो श्रोता प्रस्तुत गीत पर अपने इनपुट्स रखेंगें उन्हें १ अंक दिया जायेगा, ताकि आने वाली कड़ियों के लिए उनके पास मौके सुरक्षित रहें. आप चाहें तो प्रस्तुत गीत से जुड़ा अपना कोई संस्मरण भी पेश कर सकते हैं.
पिछली पहेली का परिणाम -
सही कहा आपने इंदु जी लगता है सबने अमित के आगे हाथ खड़े कर दिए हैं
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
is film me teeno the.do clue aapne diya aur...ek amit ji ne ha ha ha
cheater bchcha ha ha ha
schchi ......aisich hun main to