सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे
Comments
क्या खूब कहा ,मज़ा आ गया !
बहुत शुभकामनाएं !
जिन्होंने फोन किया था कार्यक्रम के दौरान क्या ये वही रचना जी हैं जो यूनिकवि बनी हैं?
आप आगे बढ़ते रहें हम सभी आपके साथ है
तपन जी मै वही हूँ .बड़े हिंद युग्म मंच की एक छोटी कवियत्री .
सादर
रचना
podcast par meri abhibyakti aur geet'bideshiya ke baat' prasarit karane ke liye aapko dhanyabad dena chahunga. Main Hindyugm pratidin padhata hoon.Aapka karya bahut sarahanye hai.Main New York men ek Paediatrician hoon. swantah sukhay Hindi aur Bhojpuri dono men kavitayen likhata aur padhata hoon.Hind yugm se mera parichaya Aditya Prakash jee ne karaya. Hind yugm mere jaise pravasee Hindi premiyon ke liye ek bahut hee labhdayak aur manoranjak srot hai.
Hamaree hardik shubh kamanaye.
Kamal Kishore Singh, MD
रचना जी , आपके ही अंदाज़ में आपकी आवाज को दस में से दस ..सौ में से सौ ...
हजार में से हजार नंबर दिए .....
और आदित्य जी मुझे लगता है के आपकी ज्यादा जरूरत भारत में है.....केवल कुछ इतराए हुए उद्घोषकों के कारण यहाँ के रेडियो से बहुत पहले नाता छोड़ चुका हूँ ...वरना कभी विविध भारती और विज्ञापन प्रसारण सेवा का फरमाइशी श्रोता हुआ करता था....आज आपके अंदाज़ ने रात दस बजे आने वाले "छाया गीत" की याद ताजा कर दी .............
यहाँ तो लोगों में रेडियो पर बोलने की कोमन सेंस तक नहीं ख़तम हो रही है....मैंने अपना ब्लॉग ही इसी भडास के साथ शुरू किया था....कभी समय हो तो सबसे पहली पोस्ट देखियेगा
www.manu-uvaach.blogspot.com