नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
मित्रों,
नव-वर्ष के शुभ अवसर पर आवाज़ और हिंद-युग्म की ओर से आप सभी का हार्दिक अभिनन्दन! ईश्वर आपके इस नए वर्ष में आपको सुख-समृद्धि, आनंद, और सफलता दे. हम सब इस संसार को एक बेहतर स्थान बना सकें. आईये सुनते हैं नव-वर्ष के इस अवसर पर आवाज़ की ओर से एक छोटी सी पेशकश.
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स्वागत नव वर्ष [श्रीमती लावण्या शाह]
स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष!
बीते दुख भरी निशा, प्रात: हो प्रतीत,
जन जन के भग्न ह्र्दय, होँ पुनः पुनीत
स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष!
भेद कर तिमिराँचल फैले आलोकवरण,
भावी का स्वप्न जिये, हो धरा सुरभित
स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष!
कोटी जन मनोकामना, हो पुनः विस्तिर्ण,
निर्मल मन शीतल हो, प्रेमानँद प्रमुदित
स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष!
ज्योति कण फहरा दो, सुख स्वर्णिम बिखरा दो,
है भावना पुनीत, सदा कृपा करेँ ईश
स्वागत नव वर्ष, है अपार हर्ष, है अपार हर्ष!
*****
नव-वर्ष [डा. महेंद्र भटना़गर] नूतन वर्ष आया है!
अमन का; चैन का उपहार लाया है!
आतंक के माहौल से अब मुक्त होंगे हम,
ऐसा घना अब और छाएगा नहीं भ्रम-तम,
नूतन वर्ष आया है!
मधुर बंधुत्व का विस्तार लाया है!
सौगन्ध है — जन-जन सदा जाग्रत रहेगा अब,
संकल्प है — रक्षित सदा भारत रहेगा अब,
नूतन वर्ष आया है!
सुरक्षा का सुदृढ़ आधार लाया है!
Comments
दीपक भारतदीप
आवाज़ हमेशा जितनी साफ नहीँ थी
पर शब्द यहाँ दिये हैँ -
आभार उनका !
श्रोताओँ से सच्चे ह्र्दय से इतना ही कहना है कि भौगोलिक दूरियाँ और तकनीकी अक्षमता कुछ नहीँ जब प्रयोजन व प्रयास
इतने आत्मीयता से भरे भरे हैँ -
आप सभी साथियोँ को
२००९ के वर्ष मेँ खुशियाँ मिलेँ,
चिँताएँ ना रहेँ
और अमनो चैन का विस्तार हो -
हिन्दी -युग्म की पूरी टीम,
अनुराग भाई तथा सभी कवियोँ को पुन: बधाई
सादर स-स्नेह,
-लावण्या
नये साल में आपने बहुत सुंदर प्रस्तुति दी है। महेन्द्र जी की प्रस्तुति भी बहुत सुंदर है।
आवाज़ के सभी श्रोताओं को मेरी ओर से नये साल की शुभकामनाएँ।
अभी-अभी सुनी आपकी नव वर्ष की प्रस्तुति. बहुत ही सुंदर भावों में अपनी साफ़ और सधी हुई आवाज़ में जो कुछ कहा व सभी को जो संदेश दिया वह बहुत ही सुंदर लगा. धन्यबाद. मृदुल जी, लावण्या जी, महेंद्र जी और अन्य सभी लोगों के संदेश व भावनाएं भी बहुत ही अच्छी लगीं. काश यह नया साल हर जगह हर किसी के जीवन में सुख-शान्ति व अच्छी सदभावनाएँ लाये.
शन्नो
कभी की तंज की बातें कभी हम मुस्कराए भी
कभी तुम थे कभी मैं था कभी मैं था कभी तुम थे
कभी हम बन के एक साया बड़े नजदीक आये भी
कभी खामोश बैठे हम कभी की ढेर सी बातें
कभी लिए हाथ हाथों में राहों में हम गुनगुनाये भी
कभी ली प्यार की कसमें कभी किये प्यार के वादे
कभी तोडी हमने कुछ कसमें तो कुछ वादे निभाए भी
कभी बन के खुदा हमने बड़ा होके भी देखा है
कभी इन्सान बनकर हम खुदा को आजमाए भी
चलो एक बार फिर हम तुम नई दुनिया में चलते हैं
ये गया साल जैसा भी था चलो उसको भुलाएँ भी
ram dixit
हर्षित साल हों साथी मेरे
मौर पंख सा पुलकित तन हों
पथ ना भूले, अकम्पित मन हों
तेरे लिए संसार खडा हों
अक्षय ज्वाल सा बड़ा हों
दूर तिमिर और दूर अँधेरे
उज्ज्वल छाँह सिक्त सवेरे ...
दीप जले मंगल कों तेरे ....
सिन्धु सा हों उज्जवल पथ तेरा
सुधि गंगा बने ह्रदय तेरा
पदचिह्न पावन बीच धरा पर
अश्रु की सरिता आज हराकर
नव वर्ष सुखमय प्रकम्पित व्यथा
नई दिशाए मन अचंचल बहता
हर साँसों में झुलसे अँधेरे
दीप जले मंगल कों तेरे ......
देश धर्म करूणा मन मन में झूले
माटी का उपकार ना भूले
स्पन्दन चिर स्नेह कसे धागे
स्नेह रस तेरा भागे
सजग पीर 'हकीम' के तीरे
संचित प्यार हों मन मन फेरे
दीप जले मंगल कों तेरे.....................हे प्रिये वैसे तो संसार के समस्त दिन एक जैसे होते है हर दिन कों अगर नया दिन समझो तो संसार सुखमय दिखाई देता है .. फिर भी दुनिया दारी की रीत निभानी ही चाहिए सो नव वर्ष आपके लिए जहा भर की खुशिया लाये ... आप और आपका परिवार खुशियों से झुनता रहे .. ..आपका अपना ...गुरु कवि हकीम..
thanks
ram dixit"romeo"
लगता है सिर से हटी, शीतल चन्दन-छाँव.
नए साल पर आ रही, माँ की हर पल याद.
कौन कर सका दर्द औ', पीड़ा का अनुवाद?
आँख मुंदे तो यूँ लगे, माँ देती आवाज.
आँख खुले तो माँ बिना,भाता कोई न काज.
ऐसा साल न जाए फ़िर, जो मैया ले छीन.
ऐसा साल न आए फ़िर,फिरे 'सलिल' हो दीन
क्या दूँ मंगल कामना, झेल अमंगल आप.
माँ न किसी की छीनना, प्रभु दे मत संताप.
सबका दुःख मुझको मिले,सबको मेरा हर्ष.
हे हरि! इतनी ही विनय 'सलिल' करे इस वर्ष.
आपकी कविता में माँ को खोने की पीड़ा, उसकी ममता के आँचल का जो अभाव झलकता है वह अहसास इतना दिल को छूने वाला है कि मेरी आंखों में आंसू भर आए. कितने ही बड़े हो जाओ पर जब कभी माँ की याद आती है तो मन उदास हो जाता है. माँ के प्यार को शब्दों में बयान करना बड़ा ही मुश्किल होता है. माँ शब्द से ही ममता का अहसास होता है. आपके लिए नव वर्ष शुभ हो ऐसी कामना करती हूँ.
शन्नो
जैसा कि शन्नो जी ने कहा, बहुत ही मार्मिक रचना है. ईश्वर आपको शक्ति दें और आपके देशसेवा के प्रण में आपको अनेकों हाथ मिलते रहें, यही कामना है!
'कवितांजलि' में आपकी बातें सुनी आदित्य जी के साथ......... क्या बात कही आपने, शाबाश! 'लक्ष्य छोटे हों या बड़े, पूरे होने चाहिए'. हिन्दी भाषा और संस्कृति को जिस लगन से सम्मानित करने का प्रयास कर रहे हैं वह बहुत ही तारीफ के काबिल है. बधाई आपको और ढेर सारी शुभकामनाएं.
शन्नो