"ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन" रहा सबसे मुश्किल गाना
मन्ना डे को कामयाबी आसानी से नहीं मिली। वे कहते हैं: मैं लड़ना जानता हूँ, किसी भी हालात से जूझना सीखा है मैंने। मैंने सारी ज़िन्दगी मेहनत करी है और अब भी कर रहा हूँ। मैंने कभी हार नहीं मानी। संघर्ष में सबसे अच्छी बात होती है कि वो पल जब सब कुछ खत्म होता सा दिखाई पड़ता है उस पल ही कहीं से हिम्मत और आत्मविश्वास सा आ जाता है जो मुझे हारने नहीं देता। शास्त्रीय संगीत में रुचि रखने वाले हों या उससे अनभिज्ञ, सभी को मेरे गाने पसंद आते हैं। मेरी मेहनत, ट्रेंनिंग और अनुशासन की वजह से लोग मुझे विश्व भर में जानते हैं और सम्मान देते हैं।
मन्ना डे को इस बात से दुख नहीं होता कि बाकी गायकों के मुकाबले उन्हें कम मौके मिले। उन्होंने लगभग सभी बड़े संगीतकारों के साथ काम किया है। वे बताते हैं कि कईं बार संगीतकार उनसे गाना गवाना चाहते थे परन्तु हर बार संगीतकार ही निर्णय नहीं लेते। फिल्मी जगत में अभिनेताओं के पसंदीदा गायक हुआ करते हैं और गायक भी उसी कलाकार से पहचाने जाते रहे हैं। जैसे, रफी हमेशा नौशाद की पसंद रहे और उन्होंने दिलीप कुमार के अधिकतर गाने गाये। उसी तरह से राजकपूर के गाने मुकेश, देव आनंद और राजेश खन्ना के गाने किशोर कुमार गाया करते थे। मन्ना डे की अद्वितीय प्रतिभा बेकार नहीं गई और उन्हें हमेशा तारीफ व सम्मान मिला। संगीतकारों ने फिल्म में स्थिति के अनुरूप मन्ना डे के लिये गाने बनाये।
मशहूर गाने "लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे" के लिये मन्ना डे कहते हैं कि ये मेरे मित्र रोशन द्वारा दिया गया एक बेहतरीन गाना है। ये दुर्लभ गीतों में से एक है। मैं कहीं भी जाऊँ, देश अथवा विदेश, ये गाना जरूर गाता हूँ।
एक कठिन गीत जिसमें शास्त्रीय संगीत का माधुर्य छिपा हुआ है। ये गीत मेरे दिल और आत्मा से जुड़ा हुआ है। मैं पिछले ६० बरस से यह गा रहा हूँ और मैंने जब भी गाया है, पूरी ईमानदारी से गाया है।
जब उनसे पूछा गया कि अब तक का सबसे कठिन गाना कौन सा लगा, जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत और रियाज़ करना पड़ा। उनका जवाब था फिल्म काबुलीवाला से गाना : "ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन"। ये गाना मुझे गले के एक ही हिस्से गाना था ताकि मैं इस गीत के द्वारा लोगों के दिलों तक इस गाने के भाव पहुँचा सकूँ।
सच में मन्ना, आप इसमें सफल हुए।
आइये सुनते हैं मन्ना डे के यही दो गीत:
१.लागा चुनरी में दाग
२.ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
मन्ना डे को कामयाबी आसानी से नहीं मिली। वे कहते हैं: मैं लड़ना जानता हूँ, किसी भी हालात से जूझना सीखा है मैंने। मैंने सारी ज़िन्दगी मेहनत करी है और अब भी कर रहा हूँ। मैंने कभी हार नहीं मानी। संघर्ष में सबसे अच्छी बात होती है कि वो पल जब सब कुछ खत्म होता सा दिखाई पड़ता है उस पल ही कहीं से हिम्मत और आत्मविश्वास सा आ जाता है जो मुझे हारने नहीं देता। शास्त्रीय संगीत में रुचि रखने वाले हों या उससे अनभिज्ञ, सभी को मेरे गाने पसंद आते हैं। मेरी मेहनत, ट्रेंनिंग और अनुशासन की वजह से लोग मुझे विश्व भर में जानते हैं और सम्मान देते हैं।
मन्ना डे को इस बात से दुख नहीं होता कि बाकी गायकों के मुकाबले उन्हें कम मौके मिले। उन्होंने लगभग सभी बड़े संगीतकारों के साथ काम किया है। वे बताते हैं कि कईं बार संगीतकार उनसे गाना गवाना चाहते थे परन्तु हर बार संगीतकार ही निर्णय नहीं लेते। फिल्मी जगत में अभिनेताओं के पसंदीदा गायक हुआ करते हैं और गायक भी उसी कलाकार से पहचाने जाते रहे हैं। जैसे, रफी हमेशा नौशाद की पसंद रहे और उन्होंने दिलीप कुमार के अधिकतर गाने गाये। उसी तरह से राजकपूर के गाने मुकेश, देव आनंद और राजेश खन्ना के गाने किशोर कुमार गाया करते थे। मन्ना डे की अद्वितीय प्रतिभा बेकार नहीं गई और उन्हें हमेशा तारीफ व सम्मान मिला। संगीतकारों ने फिल्म में स्थिति के अनुरूप मन्ना डे के लिये गाने बनाये।
मशहूर गाने "लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे" के लिये मन्ना डे कहते हैं कि ये मेरे मित्र रोशन द्वारा दिया गया एक बेहतरीन गाना है। ये दुर्लभ गीतों में से एक है। मैं कहीं भी जाऊँ, देश अथवा विदेश, ये गाना जरूर गाता हूँ।
एक कठिन गीत जिसमें शास्त्रीय संगीत का माधुर्य छिपा हुआ है। ये गीत मेरे दिल और आत्मा से जुड़ा हुआ है। मैं पिछले ६० बरस से यह गा रहा हूँ और मैंने जब भी गाया है, पूरी ईमानदारी से गाया है।
जब उनसे पूछा गया कि अब तक का सबसे कठिन गाना कौन सा लगा, जिसमें सबसे ज्यादा मेहनत और रियाज़ करना पड़ा। उनका जवाब था फिल्म काबुलीवाला से गाना : "ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन"। ये गाना मुझे गले के एक ही हिस्से गाना था ताकि मैं इस गीत के द्वारा लोगों के दिलों तक इस गाने के भाव पहुँचा सकूँ।
सच में मन्ना, आप इसमें सफल हुए।
आइये सुनते हैं मन्ना डे के यही दो गीत:
१.लागा चुनरी में दाग
२.ऐ मेरे प्यारे वतन, ऐ मेरे बिछड़े चमन
Comments