२ महीने पूर्व आवाज़ ने शिवानी सिंह की कविताओं का एल्बम 'मेरे ज़ज़्बात' ज़ारी किया था, आज हम उसी कड़ी को आगे बढ़ा रहे हैं और सुनवा रहे हैं शिवानी सिंह दो संगीतमयी कविताएँ रूपेश ऋषि के स्वर में। यदि यह प्रयास श्रोताओं को भाता है तो हम इस दिशा में आगे बढ़ सकते हैं। अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें।
नाविक
बहुत आसान होता है ,
तमन्नाओं का मचल जाना !
बहक जाना ,बहल जाना ,
किसीकी चाहत में मिट जाना !
बहुत आसान होता है ,
तमन्नाओं का मचल जाना !
है मुश्किल दिल के अरमानों का
मंजिल तक पहुँच पाना !
संभल जाना ,सिमट जाना,
किसीके दिल में उतर जाना !
बहुत आसान होता है,
तमन्नाओं का मचल जाना !
बहुत कम हैं वो खुशकिस्मत,
की पूरी हों तमन्नाएं !
कब मंजिल तक पहुँच पायी हैं,
अरमानों की नौकाएं !
समुन्दर में ही रह जाती हैं,
या फंस जाती भंवर में ही !
बहुत कम होते हैं वो नाविक
जो साहिल तक पहुंचते हैं !
बहुत कम होते हैं वो नाविक
जो साहिल तक पहुंचते हैं !
मेरे आँसू
मेरे आंसू न रोके कोई
आज इन्हें बह जाने दो !
कल तक थे ये साथी मेरे,
इनको भी अब जाने दो !
मेरे आंसू न रोके कोई
आज इन्हें बह जाने दो !
टूटे रिश्तों की दुनिया में
कौन किसी का होता है
बस अपना एक साया समझो
साथ हमेशा रहता है !
टूटे रिश्तों की दुनिया में
कौन किसी का होता है !
बस अपना एक साया समझो
साथ हमेशा रहता है !
बहने पर आमादा हैं ये
इनको भी बह जाने दो !
कब तक रोकूंगा मैं इनको
जाते हैं तो जाने दो !
कब तक रोकूंगा मैं इनको
जाते हैं तो जाने दो !
नाविक
बहुत आसान होता है ,
तमन्नाओं का मचल जाना !
बहक जाना ,बहल जाना ,
किसीकी चाहत में मिट जाना !
बहुत आसान होता है ,
तमन्नाओं का मचल जाना !
है मुश्किल दिल के अरमानों का
मंजिल तक पहुँच पाना !
संभल जाना ,सिमट जाना,
किसीके दिल में उतर जाना !
बहुत आसान होता है,
तमन्नाओं का मचल जाना !
बहुत कम हैं वो खुशकिस्मत,
की पूरी हों तमन्नाएं !
कब मंजिल तक पहुँच पायी हैं,
अरमानों की नौकाएं !
समुन्दर में ही रह जाती हैं,
या फंस जाती भंवर में ही !
बहुत कम होते हैं वो नाविक
जो साहिल तक पहुंचते हैं !
बहुत कम होते हैं वो नाविक
जो साहिल तक पहुंचते हैं !
मेरे आँसू
मेरे आंसू न रोके कोई
आज इन्हें बह जाने दो !
कल तक थे ये साथी मेरे,
इनको भी अब जाने दो !
मेरे आंसू न रोके कोई
आज इन्हें बह जाने दो !
टूटे रिश्तों की दुनिया में
कौन किसी का होता है
बस अपना एक साया समझो
साथ हमेशा रहता है !
टूटे रिश्तों की दुनिया में
कौन किसी का होता है !
बस अपना एक साया समझो
साथ हमेशा रहता है !
बहने पर आमादा हैं ये
इनको भी बह जाने दो !
कब तक रोकूंगा मैं इनको
जाते हैं तो जाने दो !
कब तक रोकूंगा मैं इनको
जाते हैं तो जाने दो !
Comments
kitni gehrayi hai aapke shabdo mein.....
aapki gazal ne toh sach mein dil choo liya....
aapko meri taraf se bohot shubh kaamanayein..... issi tarha likhte rahiyega....
deepti
KYA KAROON? BOLO?