Skip to main content

मेरी आगोश में आज है...कहकशां....

मैं देखता हूँ तुम्हारे हाथ
चटख नीली नसों से भरे
और
उंगलियों में भरी हुई उड़ान
मैं सोचता हूँ
तुम्हारी अनवरत देह की सफ़ेद धूप
और उसकी गर्म आंचश
मैं जीत्ताता हूँ तुमको
तुम्हारे व्याकरण और
नारीत्व की शर्तो के साथ
मैं हारता हूँ
एक पूरी उम्र
तुम्हारे एवज में!

हिंद युग्म के इस माह के यूनिकवि डॉ मनीष मिश्रा की इन पक्तियों में छुपे कुछ भाव लिए है हमारे दूसरे सत्र का ये २२ वां गीत जहाँ "जीत के गीत" की तिकडी ऋषि एस, बिस्वजीत नंदा और सजीव सारथी लौटे हैं लेकर एक नया गीत "तू रूबरू" लेकर. सुनिए ये ताज़ा तरीन गीत और अपने विचार देकर हमारा मार्गदर्शन/ प्रोत्साहन करें.




The composer singer and lyricist trio Rishi S, Biswajith Nanda, and Sajeev Sarathie of super successful "jeet ke geet" fame is back again with their new creation called "tu ru-ba-ru". This time the mood is much more romantic with a bit sufiayana feel in it. so enjoy this brand new offering from the awaaz team, and leave your valuable comments.




Lyrics- गीत के बोल

तू रूबरू....
चार सू....सिर्फ़ तू....
रूबरू....

तू है मेरे रूबरू, मुझे हासिल है दोनों जहाँ,
मेरी आगोश में आज है...कहकशां....
तू रूबरू....
चार सू....सिर्फ़ तू....
रूबरू....

सजदों इबादत में,
इश्कों मोहब्बत में,
देखूं तुझे ही मैं...मेहरबां.....
तू रूबरू....
चार सू....सिर्फ़ तू....
रूबरू....

सुरमई उदासियों के सायों में,
चम्पई उम्मीदों की आमद तू,
बेरंगों बेज़ार सी मेरी आँखों में,
ख्वाबों की हसीन जन्नत तू...
तू रूबरू....
चार सू....सिर्फ़ तू....
रूबरू....

शिकवे तुझसे हैं, तुझसे चाहतें,
दर्द भी तुझ से है, तुझसे राहतें...
तू ही हर खुशी, तू ही जिंदगी,
तू ही धडकनों की है बंदगी
तू रूबरू....
चार सू....सिर्फ़ तू....
रूबरू....
तू है मेरे रूबरू, मुझे हासिल है दोनों जहाँ,
मेरी आगोश में आज है...कहकशां....

दूसरे सत्र के २२ वें गीत का विश्व व्यापी उदघाटन आज
SONG # 22, SEASON # 02, "TU RU-BA-RU", OPENED ON AWAAZ ON 28/11/2008.
Music @ Hind Yugm, Where music is a passion.


Comments

kya baat hai... madhur sangeet... badhiya aawaaz... aur sunder bol.. hamesha ki tarah..
rishi, biswajeet aur sajeev ji aapko shuru se sunta aa rhaa hun... har baar nayee taazgi....
overall 8/10 meri taraf se.. :-)
Petra said…
aap ki awaz bahot sundar hai dost music bi kaamal ka hai from jogi surinder,
Arjun said…
Biswajit bhai, aap kya gaate ho, ye gaana to ekdam dilko chugaya.
suman said…
Awesome... great song, congrats to the singer and composer. u both rock
Anonymous said…
lyrics, composition singing all perfect

-- hind yugm rocks

dola
Anonymous said…
Darun...
soni said…
bhaiya, aap bahut achha gaye ho...
Pravas said…
This song is great especially the last part is very very well crafted...
Ramesh said…
Hi Biswa
Excallent grate song. Keep singing
Subhojit said…
new refreshing song hain
आवाज़ पर मैं जिन फ़नकारों का पंखा हूँ, उनमें तीन नाम सबसे ऊपर आते हैं-
१) सजीव जी
२) ॠषि जी
३) बिस्वजीत भाई
और जब तीनों लोग साथ आ जाएँ तो सोने पर सुहागा का मुहावरा भी छोटा हो जाता है(सोने पर सुहागा में दो हीं चीजें हैं ना, यहाँ तो तीन हैं)।

हर क्षेत्र में बेमिसाल!
बधाई स्वीकारें।
ShashankDT said…
Question : Sabse achcha Singer Kaun ?

Answer : Biswajit Bhai


Shashank
Ashwini said…
Mellifluous!!!

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

कल्याण थाट के राग : SWARGOSHTHI – 214 : KALYAN THAAT

स्वरगोष्ठी – 214 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 1 : कल्याण थाट राग यमन की बन्दिश- ‘ऐसो सुघर सुघरवा बालम...’  ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर आज से आरम्भ एक नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ के प्रथम अंक में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। आज से हम एक नई लघु श्रृंखला आरम्भ कर रहे हैं। भारतीय संगीत के अन्तर्गत आने वाले रागों का वर्गीकरण करने के लिए मेल अथवा थाट व्यवस्था है। भारतीय संगीत में 7 शुद्ध, 4 कोमल और 1 तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग होता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 स्वरों में से कम से कम 5 स्वरों का होना आवश्यक है। संगीत में थाट रागों के वर्गीकरण की पद्धति है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार 7 मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते हैं। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल प्रचलित हैं, जबकि उत्तर भारतीय संगीत पद्धति में 10 थाट का प्रयोग किया जाता है। इसका प्रचलन पण्डित विष्णु नारायण भातखण्डे जी ने प्रारम्भ किया

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की