स्वरगोष्ठी – 305 में आज
राग और गाने-बजाने का समय – 5 : रात के प्रथम प्रहर के राग
राग भूपाली की बन्दिश - ‘जब से तुम संग लागली प्रीत...’
‘रेडियो
प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी
श्रृंखला- “राग और गाने-बजाने का समय” की पाँचवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन
मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय
रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के
प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात
संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत
किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु
में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर
रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही
राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का
प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ
प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के चार प्रहर को दिन
के और सूर्यास्त से लेकर अगले सूर्योदय से पहले के चार प्रहर को रात्रि के
प्रहर कहे जाते हैं। उत्तर भारतीय संगीत के साधक कई शताब्दियों से विविध
प्रहर में अलग-अलग रागों का परम्परागत रूप से प्रयोग करते रहे हैं। रागों
का यह समय-सिद्धान्त हमारे परम्परागत संस्कारों से उपजा है। विभिन्न रागों
का वर्गीकरण अलग-अलग प्रहर के अनुसार करते हुए आज भी संगीतज्ञ व्यवहार करते
हैं। राग भैरव का गायन-वादन प्रातःकाल और मालकौंस मध्यरात्रि में ही किया
जाता है। कुछ राग ऋतु-प्रधान माने जाते हैं और विभिन्न ऋतुओं में ही उनका
गायन-वादन किया जाता है। इस श्रृंखला में हम विभिन्न प्रहरों में बाँटे गए
रागों की चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में आज हम आपसे दिन के
पाँचवें प्रहर के रागों पर चर्चा करेंगे और इस प्रहर के एक प्रमुख राग
भूपाली की बन्दिश सुविख्यात गायिका विदुषी किशोरी अमोनकर के स्वरों में
प्रस्तुत करेंगे। इसके साथ ही 1957 में प्रदर्शित फिल्म ‘नरसी भगत’ से राग
केदार पर आधारित एक गीत भी सुनवा रहे हैं।
विदुषी किशोरी अमोनकर |
राग भूपाली : “जब से तुम संग लागली प्रीत...” : विदुषी किशोरी अमोनकर
हेमन्त कुमार, मन्ना डे और सुधा मल्होत्रा |
राग केदार : ‘दर्शन दो घनश्याम...’ : हेमन्त कुमार, मन्ना डे और सुधा मल्होत्रा : फिल्म नरसी भगत
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 305वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1955 में प्रदर्शित
फिल्म के राग आधारित गीत का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको
निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
‘स्वरगोष्ठी’ के 310वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के
सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष के पहले सत्र का विजेता घोषित किया
जाएगा।
1 – संगीत का यह अंश सुन कर बताइए कि यह गीत किस राग पर आधारित है?
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – गीतांश में गायिका के स्वरों को पहचानिए और हमे उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 25 फरवरी, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम
‘स्वरगोष्ठी’ के 307वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 303 की संगीत पहेली में हमने 1963 में प्रदर्शित फिल्म ‘सेहरा’ के
एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो
प्रश्न का उत्तर देना था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग मारू बिहाग, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल कहरवा तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायिका लता मंगेशकर और गायक मुहम्मद रफी।
इस बार की पहेली में हमारे नियमित प्रतिभागी पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर से क्षिति तिवारी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने भी सही उत्तर दिये हैं। पाँचो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर लघु
श्रृंखला “राग और गाने-बजाने का समय” का यह पाँचवाँ अंक था। अगले अंक में
हम रात के दूसरे प्रहर के रागों पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे।
पिछले सप्ताह कुछ अपरिहार्य कारणों से हम ‘स्वरगोष्ठी’ का अंक प्रकाशित
नहीं कर सके, जिसके लिए हमे खेद है। हमारे पिछले अंक के बारे में
पेंसिलवानिया, अमेरिका से हमारी एक नियमित पाठक विजया राजकोटिया ने एक
टिप्पणी की है –
Krishnamohan
Ji, Ustad Rashid Khan has presented superb composition in Raag Marwa.
The same composition is sung by Ustad Amir Khan. I just have a
suggestion that it would have been appropriate to post Marwa by Amir
Khan Ji as it was his death anniversary recently.
इस
सुझाव के लिए विजया जी का हार्दिक आभार। यदि आप भी किसी राग, गीत,
श्रृंखला अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना आलेख या गीत हमें शीघ्र
भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको
हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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