स्वरगोष्ठी – 304 में आज
राग और गाने-बजाने का समय – 4 : दिन के चौथे प्रहर के राग
राग मारवा की बन्दिश - ‘गुरु बिन ज्ञान नाहीं पावे...’
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भारतीय
संगीत में रागों के गायन-वादन का समय निर्धारण करने के लिए शास्त्रकारों
ने अनेक सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया है। पिछले अंकों में हमने अध्वदर्शक
स्वर और वादी-संवादी स्वर के आधार पर रागों के समय निर्धारण की प्रक्रिया
पर चर्चा की थी। आज हम आपसे दिन के चौथे प्रहर के रागों पर चर्चा कर रहे
हैं। इस प्रहर के अन्त में ही सायंकालीन सन्धिप्रकाश रागों का समय आता है।
अध्वदर्शक स्वर सिद्धान्त के अनुसार मध्यम स्वर के प्रकार से सन्धिप्रकाश
रागों का निर्धारण भी किया जा सकता है। सन्धिप्रकाश काल उस समय को कहा जाता
है, जब अन्धकार और प्रकाश का मिलन होता है। यह स्थिति चौबीस घण्टे की अवधि
में दो बार उत्पन्न होती है। प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश और सायंकालीन
सन्धिप्रकाश जिसे गोधूलि बेला भी कहते हैं। प्रातःकालीन सन्धिप्रकाश रागों
में शुद्ध मध्यम स्वर की तथा सायंकालीन सन्धिप्रकाश रागों में रागों में
तीव्र मध्यम की प्रधानता होती है। भैरव, कलिंगड़ा, जोगिया आदि प्रातःकालीन
सन्धिप्रकाश रागों में शुद्ध मध्यम और मारवा, श्री, पूरिया आदि सायंकालीन
सन्धिप्रकाश रागों में तीव्र मध्यम स्वर का प्रयोग होता है।
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उस्ताद राशिद खाँ |
राग मारवा : “गुरु बिन ज्ञान नाहीं पावे...” : उस्ताद राशिद खाँ
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मुहम्मद रफी और लता मंगेशकर |
राग मारूबिहाग : “तुम तो प्यार हो सजना...” : लता मंगेशकर और मुहम्मद रफी : फिल्म – सेहरा
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 304थे अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। इस गीतांश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 310 के सम्पन्न होने
तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष के पहले सत्र का
विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि इस गीतांश में किस राग की छाया है?
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए।
3 – आप गायक और गायिका की आवाज़ को पहचान कर उनके नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 11 फरवरी, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन अन्तिम तिथि के
बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 306ठें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे
में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते
हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 302सरे अंक की संगीत पहेली में हमने आपको 1952 में प्रदर्शित फिल्म
‘नौबहार’ के एक गीत का अंश सुनवाया था और आपसे तीन में से किसी दो प्रश्न
का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग – भीमपलासी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायिका – लता मंगेशकर।
इस बार की पहेली में तीनों प्रश्नों के सही उत्तर देने वाली हमारी नियमित प्रतिभागी हैं, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और जबलपुर से क्षिति तिवारी। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर
हमारी लघु श्रृंखला “राग और गाने-बजाने का समय” अगले अंक में हम रात्रि के
प्रथम प्रहर के कुछ रागों पर चर्चा करेंगे और आपको कुछ रागबद्ध रचनाएँ भी
सुनवाएँगे। इस श्रृंखला के लिए आप अपनी पसन्द के गीत, संगीत और राग की
फरमाइश कर सकते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के विभिन्न अंकों के बारे में हमें
पाठकों, श्रोताओं और पहेली के प्रतिभागियों की अनेक प्रतिक्रियाएँ और सुझाव
मिलते हैं। प्राप्त सुझाव और फरमार्इशों के अनुसार ही हम अपनी आगामी
प्रस्तुतियों का निर्धारण करते हैं। आप भी यदि कोई सुझाव देना चाहते हैं तो
आपका स्वागत है। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के नये अंक के
साथ हम उपस्थित होंगे। हमें आपकी प्रतीक्षा रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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