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दीपक मशाल की लघुकथा निमंत्रण

लोकप्रिय स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको सुनवाते रहे हैं नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछली बार आपने पूजा अनिल के स्वर में संतोष श्रीवास्तव की कथा "शहतूत पक गये हैं" का पाठ सुना था।

24 सितम्बर को दीपक मशाल को जन्मदिन की शुभकामनाओं के साथ प्रस्तुत है उनकी लघुकथा निमंत्रण, जिसे स्वर दिया है पूजा अनिल ने।

प्रस्तुत लघुकथा "निमंत्रण" का कुल प्रसारण समय 4 मिनट 55 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।

कुछ बड़े लोगों से मिला था कभी,
तबसे कोई बड़ा नहीं लगता
इतनी बौनी है दुनिया कि कोई,
खड़ा हुआ भी खड़ा नहीं लगता
 ~ दीपक मशाल

हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी

"सेठजी के लिये यह बात अनुभवों की गिनती में इजाफा भर नहीं थी।”
 (दीपक मशाल की लघुकथा "निमंत्रण" से एक अंश)


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यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
निमंत्रण MP3

#Eighteenth Story, Nimantran; Dipak Mashal; Hindi Audio Book/2016/18. Voice: Pooja Anil

Comments

Archana Chaoji said…
बहुत ही बढ़िया कहानी और अच्छा वाचन
Unknown said…
सोशल मीडिया पर यह पहल स्वागत योग्य है | रेडियो पर नीलेश मिश्रा को अक्सर सुनते आ रहे हैं | इस मंच पर यह प्रयास अच्छा लगा |.....भाई दीपक मशाल एक उम्दा लघुकथाकार हैं | पूजा अनिल की पुरकशिश आवाज़ में दीपकजी की लघुकथा बेहद श्रवणीय रही | आप सब को बधाई |
Usha Chhabra said…
बहुत ही सुंदर, मार्मिक कथा।

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