स्वरगोष्ठी – 240 में आज
संगीत के शिखर पर – 1 : सरोद वादन
सरोद वादन में अप्रतिम उस्ताद अमजद अली खाँ
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विश्वविख्यात
संगीतज्ञ और सरोद-वादक उस्ताद अमजद अली खाँ का जन्म 9 अक्टूबर, 1945 को
ग्वालियर में संगीत के सेनिया बंगश घराने की छठी पीढ़ी में हुआ था। संगीत
इन्हें विरासत में प्राप्त हुआ था। इनके पिता उस्ताद हाफ़िज़ अली खाँ
ग्वालियर राज-दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे। इस घराने के संगीतज्ञों ने
ही ईरान के लोकवाद्य ‘रबाब’ को भारतीय संगीत के अनुकूल परिवर्द्धित कर
‘सरोद’ नामकरण किया। अमजद अली अपने पिता हाफ़िज़ अली के सबसे छोटे पुत्र हैं।
उस्ताद हाफ़िज़ अली खाँ ने परिवार के सबसे छोटे और सर्वप्रिय सन्तान को बहुत
छोटी उम्र में ही संगीत-शिक्षा देना आरम्भ कर दिया था। मात्र बारह वर्ष की
आयु में एकल सरोद-वादन का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। एक छोटे से
बालक की सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी सुन कर दिग्गज संगीतज्ञ दंग रह
गए। उस्ताद अमजद अली खाँ और उनके सरोद पर चर्चा जारी रहेगी, आइए, उस्ताद के
सरोद-वादन का एक उदाहरण सुनते हैं। उस्ताद अमजद अली खाँ प्रस्तुत कर रहे
हैं, कल्याण थाट का राग ‘श्याम कल्याण’। इस राग में दोनों मध्यम स्वर
प्रयोग किये जाते हैं और आरोह में धैवत स्वर वर्जित होता है। रचना मध्यलय
तीनताल में निबद्ध है।
राग श्याम कल्याण : मध्यलय तीनताल की रचन : उस्ताद अमजद अली खाँ
उस्ताद
अमजद अली खाँ को बचपन में ही सरोद से ऐसा लगाव हुआ कि युवावस्था तक
आते-आते एक श्रेष्ठ सरोद-वादक के रूप में पहचाने जाने लगे। उन्होने
सरोद-वादन की शैली में विकास के लिए कई प्रयोग किये। उनका एक महत्त्वपूर्ण
प्रयोग यह है कि सरोद के तारों को उँगलियों के सिरे से बजाने के स्थान पर
नाखून से बजाना। सितार की भाँति सरोद में स्वरों के पर्दे नहीं होते,
इसीलिए जब उँगलियों के सिरे के स्थान पर नाखूनों से इसे बजाया जाता है तब
स्वरों की स्पष्टता और मधुरता बढ़ जाती है। अब आप सरोद पर बजाया राग ‘कामोद’
सुनिए। राग कामोद कल्याण थाट और सम्पूर्ण जाति का राग है। इस राग में भी
दोनों मध्यम स्वर प्रयोग किये जाते हैं। इस राग का वादी स्वर पंचम और
संवादी स्वर ऋषभ होता है। रात्रि के प्रथम प्रहर में इस राग का गायन-वादन
सुखदायी होता है। आप उस्ताद अमजद अली खाँ का बजाया, चाँचर या दीपचन्दी ताल
में निबद्ध यह रचना सुनिए।
राग कामोद : चाँचर ताल में निबद्ध रचना : उस्ताद अमजद अली खाँ
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राग भैरवी : दादरा में रचना : उस्ताद अमजद अली खाँ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 240वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको भारतीय संगीत की एक मशहूर
गायिका द्वारा प्रस्तुत कण्ठ-संगीत का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर
आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं।
‘स्वरगोष्ठी’ के इस अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के
सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की चौथी श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता
घोषित किया जाएगा।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि यह गीत किस राग में निबद्ध है?
2 – गीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – गीतांश में गायिका के स्वरों को पहचानिए और हमे उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 24 अक्टूबर, 2015 की मध्यरात्रि से
पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते
है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया
जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 242वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 238 की संगीत पहेली में हमने 1959 में प्रदर्शित फिल्म ‘चाचा
ज़िन्दाबाद’ से मदन मोहन का संगीतबद्ध एक गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन
प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना था। पहले
प्रश्न का सही उत्तर है- राग ललित, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल
तीनताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- मन्ना डे और लता मंगेशकर।
इस बार की पहेली में करवार, कर्नाटक से सुधीर हेगड़े, जबलपुर से क्षिति तिवारी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने सही उत्तर दिये हैं। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
इस बार की पहेली में करवार, कर्नाटक से सुधीर हेगड़े, जबलपुर से क्षिति तिवारी, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने सही उत्तर दिये हैं। चारो प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो, ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर लघु श्रृंखला ‘संगीत के शिखर पर’ का यह पहला अंक था। अगले अंक में हम भारतीय संगीत की किसी अन्य विधा के किसी शिखर व्यक्तित्व के कृतित्व पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इस श्रृंखला के लिए यदि आप किसी राग, गीत अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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