स्वरगोष्ठी – 239 में आज
रागों का समय प्रबन्धन – 8 : रात के चौथे प्रहर के राग
पण्डित मल्लिकार्जुन मंसूर से सुनिए राग परज
“अँखियाँ मोरी लागि रही...”
“अँखियाँ मोरी लागि रही...”
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“मल्लिकार्जुन
मंसूर की गायकी में आन्तरिक बेचैनी, साँस-सुर की अविश्वसनीय मजबूती और
राग-दृढ़ता का विरल संयोग सदा चमत्कृत करता है। वह भी बिना किसी औपचारिक
तामझाम के। ऐसे उस्ताद आज दुर्लभ हैं, जो पूर्वी से बचाते हुए परज का खालिस
रूप सामने रख सकें।“
राग परज : “अँखियाँ मोरी लागि रही...” : पण्डित मल्लिकार्जुन मंसूर
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राग ललित : ‘प्रीतम दरश दिखाओ...’ : मन्ना डे और लता मंगेशकर : फिल्म – चाचा ज़िन्दाबाद
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 239वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक वाद्य संगीत रचना का अंश
सुनवा रहे हैं। इस संगीतांश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं
दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 240 के सम्पन्न होने तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की चौथी श्रृंखला
(सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि इस अंश में किस राग का स्पर्श है?
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए।
3 – यह कौन सा संगीत वाद्य है? वाद्ययंत्र का नाम बताइए।
आप इन तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर ही शनिवार, 17 अक्टूबर 2015 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन अन्तिम तिथि के
बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 241वें अंक में प्रकाशित
करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, राग अथवा कलासाधक के बारे
में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते
हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए
COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
के 237वें अंक की संगीत पहेली में हमने आपको 1955 में प्रदर्शित फिल्म
‘झनक झनक पायल बाजे’ के शीर्षक गीत का अंश सुनवाया था और आपसे तीन में से
किसी दो प्रश्न का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग –
अड़ाना, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल – तीनताल और तीसरे प्रश्न का सही
उत्तर है- गायक – उस्ताद अमीर खाँ।
इस
बार की पहेली में तीनों प्रश्नों का सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं,
वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और
जबलपुर से क्षिति तिवारी। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’
की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर
हमारी लघु श्रृंखला ‘रागों का समय प्रबन्धन’ का यह समापन अंक था। इस
श्रृंखला को हमारे अनेक नये पाठकों ने पसन्द किया है। हम उन सबके प्रति
आभार व्यक्त कराते हैं। अगले अंक में हम एक नई श्रृंखला शुरू करेंगे। आप
अपनी पसन्द के गीत, संगीत और राग की फरमाइश कर सकते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के
विभिन्न अंकों के बारे में हमें पाठकों, श्रोताओं और पहेली के प्रतिभागियों
की अनेक प्रतिक्रियाएँ और सुझाव मिलते हैं। प्राप्त सुझाव और फरमार्इशों
के अनुसार ही हम अपनी आगामी प्रस्तुतियों का निर्धारण करते हैं। आप भी यदि
कोई सुझाव देना चाहते हैं तो आपका स्वागत है। अगले रविवार को प्रातः 9 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के नये अंक के साथ हम उपस्थित होंगे। हमें आपकी प्रतीक्षा
रहेगी।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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