एक गीत सौ कहानियाँ - 55
‘देखने में भोला है दिल का सलोना...’
HMV कंपनी का पहला रिटेल स्टोर लंदन के ऑक्सफ़ोर्ड स्ट्रीट में जुलाई 1921 को खोला गया था। इसके पीछे सर एडवार्ड एल्गर का महत्वपूर्ण हाथ था, जो ग्रामोफ़ोन को गम्भीरता से लेने वाले पहले कम्पोज़र थे। इस स्टोर के खुलते ही ग्रामोफ़ोन और म्युज़िक इंडस्ट्री में जैसे एक क्रान्ति की लहर दौड़ गई। HMV दुनिया के विभिन्न देशों में घूम कर वहाँ के संगीत को रेकॉर्ड करते और फिर ग्रामोफ़ोन रेकॉर्ड के माध्यम से सुधी श्रोताओं तक पहुँचाते। HMV और तमाम कंपनियाँ तवायफ़ों के कोठों पर जाकर या किसी शास्त्रीय या लोक गायक से गीत-संगीत रेकॉर्ड कर लाते। ऐसे ही एक संगीत साधक थे आन्ध्र प्रदेश के वल्लुरि जगन्नाद राव जिनके कुछ कम्पोज़िशन्स 1920 के दशक में HMV ने रेकॉर्ड किए थे। जगन्नाद राव एक संगीत शिक्षक भी थे जिनकी दो शिष्या सीता और अनसूया हुआ करती थीं। ये दो शिष्यायें आगे चलकर लोक गायिकाओं के रूप में प्रसिद्ध हुईं। 1950 की तेलुगू फ़िल्म 'श्री लक्ष्मम्मा कथा' में संगीतकार सी. आर. सुब्बुरमण ने एक कम्पोज़िशन का इस्तेमाल किया जिनके रचयिता के रूप में सीता और अनसूया को क्रेडिट दिया गया। दरअसल यह कम्पोज़िशन वल्लुरि जगन्नाद राव का कम्पोज़िशन था जो 1920 के दशक के एक ग्रामोफ़ोन रेकॉर्ड पर जारी भी हुआ था। ख़ैर, इस पर किसी का ध्यान उस समय नहीं गया। क्योंकि बहुत कम लोगों ने 1920 के दशक की वह रेकॉर्डिंग सुन रखी थी, इसलिए किसी को पता भी नहीं चल पाया कि सीता और अनसूया ने अपने शिक्षक की कम्पोज़िशन का इस्तेमाल अपने गीत में किया है। बात वहीं ख़तम हो गई।
पाँव वर्ष बाद, अर्थात् 1955 में टी. चाणक्य निर्मित एक तेलुगू फ़िल्म आई 'रोजुलु मरायी' जिसमें संगीतकार मास्टर वेणु ने अभिनेत्री वहीदा रहमान पर फ़िल्माये जाने के लिए एक नृत्य प्रधान गीत की रचना की। इस गीत के लिए उन्होंने सीता-अनसूया वाले उसी धुन का इस्तेमाल किया और इस बार गाना ज़बरदस्त हिट हुआ। कोसराजु राघवैया के लिखे और जिक्कि कृष्णावेणी के गाये "एरुवाका सगरोरन्नो चिन्नन्ना..." शीर्षक वाले इस गीत ने वहीदा रहमान के करीयर को गति प्रदान किया। आइए पहले यह गीत सुनते हैं।
तेलुगू फिल्म रोजुलु मरायी : "एरुवाका सगरोरन्नो चिन्नन्ना..." : संगीत - मास्टर वेणु
फिल्म का यह गीत काफी हिट हुआ परन्तु संगीतकार मास्टर वेणु विवाद में घिर गए, धुन चुराने का इलज़ाम उन पर लगा। लोगों ने और संगीत समीक्षकों ने भले ही उनकी आलोचना की हो, पर वेणु कानूनी कार्यवाइयों से बच गए, उन पर कोई केस नहीं किया किसी ने। कुछ दिनों में मामला ठंडा पड़ गया। बात आई गई हो गई।
इस घटना को अभी एक साल भी नहीं बीता था कि अचानक एक ज्वालामुखी जाग उठा, जैसे किसी ने बुझती हुई अग्नि में घी डाल दिया हो। 1956 में इसी तेलुगू फ़िल्म का तमिल रीमेक बना 'कालम मारिपोचु' के शीर्षक से जिअमें जेमिनी गणेशन और अंजलि देवी मुख्य किरदारों में थे। फ़िल्म के सभी गीतों की धुनें तेलुगु वर्ज़न फ़िल्म की ही रखी गईं। इस तरह से "एरुवाका चिन्नन्ना" का तमिल वर्ज़न बना "येरु पुट्टि पोवाये"। तमिल फ़िल्म में भी इस गीत को वहीदा रहमान पर ही फ़िल्माया गया और ये दोनों गीत जिक्कि ने ही गाये।
तमिल फिल्म कालम मारिपोचु : "येरु पुट्टि पोवाये..." : गायक - जिक्कि
तमिल फ़िल्म में इस गीत के आते ही निर्माता लेच्चुमनन चेट्टियार ने अपनी 1956 की ही महत्वाकांक्षी फ़िल्म 'मदुरई वीरन' के लिए इस धुन को उठा लिया और संगीतकार जी. रामनाथन ने इस धुन पर गीत कम्पोज़ कर डाला जिसके बोल थे "सुम्मा इरुंधाल सोथुक्कु नश्टम... थाणे थन्नन्ना"। डी. योगानन्द निर्देशित इस फ़िल्म में MGR यानी एम. जी. रामचन्द्रन, पी. भानुमती और पद्मिनी मुख्य भुमिकाओं में थे। यह एक बड़े बजट की फ़िल्म थी और फ़िल्म ज़बरदस्त हिट सिद्ध हुई और सभी सिनेमाघरों में इसने 100 दिन पूरे कर लिए। और यह प्रेरित गीत भी ख़ूब कामयाब रहा। पर अब कि बार धुन चुराने का यह मसला पहुँच गया अदालत की चौखट पर। 'श्री लक्ष्मम्मा कथा', 'रोजोलु मरायी' और 'कालम मारिपोचु' तो बच निकले थे पर 'मदुरई वीरन' के ख़िलाफ़ HMV ने कर दी केस कॉपीराइट ऐक्ट के तहत।
तमिल फिल्म मदुरई वीरन : "सुम्मा इरुंधाल सोथुक्कु नश्टम..." : संगीत - जी. रामनाथन्
आन्ध्र की धुन पर पंजाबी वेशभूषा |
हिन्दी फिल्म बम्बई का बाबू : "देखने में भोला है दिल का सलोना...' : संगीत - सचिनदेव बर्मन
खोज, आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र
प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र
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