Skip to main content

सिने-पहेली में आज : ऋतु के अनुकूल गीतों को पहचानिए



प्रसारण तिथि – फरवरी 23, 2013
सिने-पहेली – 60 में आज 

ऋतु के अनुकूल गीतों को पहचानिए और सुलझाइये पहेलियाँ


'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी पाठकों और श्रोताओं को आज कृष्णमोहन मिश्र का प्यार भरा नमस्कार। दोस्तों, सुजॉय चटर्जी की व्यस्तता के कारण सिने-पहेली का यह अंक प्रस्तुत करने का दायित्व मुझ पर आ गया है। इन दिनों शीत ऋतु अपनी प्रभुता को समेटने लगा है और ग्रीष्म ऋतु आगमन की आहट देने लगा है। ऋतु परिवर्तन का यह काल बहुत सुहाना होता है। इसे ही बसन्त ॠतु कहा जाता है। इसी ऋतु को ऋतुराज के विशेषण से अलंकृत भी किया जाता है। आजकल परिवेश में मन्द-मन्द बयार, चारों ओर फूलों की छटा, पंछियों का कलरव व्याप्त है। आज की 'सिने-पहेली' को हमने ऐसे ही परिवेश को चित्रित करते कुछ गीतों से सुवासित करने का प्रयास किया है।

आज की पहेली : ऋतु प्रधान गीतों को पहचानिए

आज की पहेली में हम आपको निम्नलिखित दस फिल्मी गीतों के अंश सुनवाते हैं। प्रत्येक गीतांश के साथ क्रमशः गीत से सम्बन्धित प्रश्न पूछे गए हैं। आपको क्रमानुसार इन प्रश्नों के उत्तर देने हैं। आइए शुरू करते हैं गीतांश और उनसे सम्बन्धित प्रश्नों का सिलसिला।

प्रश्न 1- इस गीतांश को सुनिए और गीत को पहचान कर बताइए कि यह गीत किस अभिनेता / अभिनेत्री पर फिल्माया गया है?




प्रश्न 2- इसे सुन कर पहचानिए कि यह गीत किस फिल्म से लिया गया है?




प्रश्न 3- इस गीत के अन्तराल संगीत (इंटरल्यूड) सुन कर गीत पहचानिए और गीतकार का नाम बताइए।




प्रश्न 4- इस गीत के संगीतकार को पहचानिए और उनका नाम बताइए।





प्रश्न 5- गीत का जितना हिस्सा आपको सुनवाया जा रहा है, केवल उतना हिस्सा किस राग पर आधारित है?





प्रश्न 6- इस आरम्भिक संगीत को सुन कर गीत पहचानिए और पूरे गीत में जिन दो तालों का प्रयोग हुआ है, उनके नाम लिखिए।





प्रश्न 7- यह एक फिल्मी गीत का आरम्भिक संगीत है। इसे सुन कर आपको फिल्म का नाम बूझना है।




प्रश्न 8- यह एक श्वेत-श्याम फिल्म के गीत का आरम्भिक संगीत अंश है, इसे सुन कर गीत का अनुमान लगाइए और संगीतकार का नाम बताइए।




प्रश्न 9- यह भी श्वेत-श्याम युग की एक फिल्म के बेहद लोकप्रिय गीत का अंश है, इसे सुन का आपको इस गीत के गायक कलाकारों के नाम बताने हैं।




प्रश्न 10- गीत के अंश को सुन कर आपने गायक कलाकार को तो पहचान लिया होगा। परन्तु हम आपसे गायक का नहीं बल्कि गीतकार का नाम पूछ रहे है। क्या आप वह नाम बताएँगे?




यदि आप इन पहेलियों को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
जवाब भेजने का तरीका

उपर पूछे गए सवालों के क्रमानुसार जवाब एक ही ई-मेल में टाइप करके cine.paheli@yahoo.com के पते पर भेजें। 'टिप्पणी' में जवाब कतई न लिखें, वो मान्य नहीं होंगे। ईमेल के सब्जेक्ट लाइन में "Cine Paheli # 60" अवश्य लिखें, और अंत में अपना नाम व स्थान लिखें। आपका ईमेल हमें बृहस्पतिवार 28 फ़रवरी शाम 5 बजे तक अवश्य मिल जाने चाहिए। इसके बाद प्राप्त होने वाली प्रविष्टियों को शामिल नहीं किया जाएगा।

पिछली पहेली का हल



चित्र में दिये गए दस फूलों के नाम इस प्रकार है :-

गुलाब, रजनीगंधा, केतकी, बनफूल, कमल, गेंदा, जूही, चम्‍पा, सूरजमुखी, चमेली


गीत 1. आ लग जा गले दिलरुबा.....कहां रूठ के चली ओ गुलाब की कलि, तेरे कदमो मे दिल है मेरा......( फिल्‍म - दस लाख)  (शाब्दिक उल्लेख - गुलाब)

गीत 2. रजनीगंधा फूल तुम्‍हारे, महके यूं ही जीवन में......( फिल्‍म - रजनीगंधा )  (शाब्दिक उल्लेख - रजनीगंधा)

गीत 3. केतकी गुलाब जूही, चंपक बनफूले .....( फिल्‍म - बसन्‍त बहार)  (शाब्दिक उल्लेख - केतकी)

गीत 4. मैं जहां चला जाऊँ, बहार चली आऐ......महक जाए राहों की धूल, मैं बनफूल, बन का फूल ( फिल्‍म - बनफूल )  (शाब्दिक उल्लेख - बनफूल)

गीत 5. कमल के फूल जैसा, बदन तेरा चिकना चिकना.....( फिल्‍म - दो आंखें ) (शाब्दिक उल्लेख - कमल)

गीत 6. सैंया छेड देवे, ननद चुटकी लेवे, ससुराल गेंदा फूल......( फिल्‍म - दिल्‍ली-6)   (शाब्दिक उल्लेख - गेंदा)

गीत 7. जूही की कली मेरी लाडली, नाजों की पली मेरी लाडली......( फिल्‍म - दिल एक मंदिर)   (शाब्दिक उल्लेख - जूही)

गीत 8. चम्‍पा खिली डार, पलक झूले प्‍यार, मिलन ऋतु आई सजनियां.....( फिल्‍म - फैसला )  (शाब्दिक उल्लेख - चम्‍पा)
गीत 9. सूरजमुखी मुखडा तेरा, चमका दे तूं जीवन मेरा......( फिल्‍म - कलाकार )  (शाब्दिक उल्लेख - सूरजमुखी)

गीत 10. लेई लो चम्‍पा, चमेली, गुलाब लेई लो......( फिल्‍म - सोने के हाथ )  (शाब्दिक उल्लेख - चमेली)


पिछली पहेली का परिणाम

इस बार 'सिने पहेली' में कुल 6 प्रतियोगियों ने भाग लिया। सबसे पहले १००% सही जवाब भेज कर इस सप्ताह सरताज प्रतियोगी बने हैं बीकानेर के श्री विजय कुमार व्यास। बहुत बहुत बधाई आपको। आइए अब नज़र डालते हैं इस सेगमेण्ट के अब तक के सम्मिलित स्कोरकार्ड पर।




नये प्रतियोगियों का आह्वान 
नये प्रतियोगी, जो इस मज़ेदार खेल से जुड़ना चाहते हैं, उनके लिए हम यह बता दें कि अभी भी देर नहीं हुई है। इस प्रतियोगिता के नियम कुछ ऐसे हैं कि किसी भी समय जुड़ने वाले प्रतियोगी के लिए भी पूरा-पूरा मौका है महाविजेता बनने का। अगले सप्ताह से नया सेगमेण्ट शुरू हो रहा है, इसलिए नये खिलाड़ियों का आज हम एक बार फिर आह्वान करते हैं। अपने मित्रों, दफ़्तर के साथी, और रिश्तेदारों को 'सिने पहेली' के बारे में बताएँ और इसमें भाग लेने का परामर्श दें। नियमित रूप से इस प्रतियोगिता में भाग लेकर महाविजेता बनने पर आपके नाम हो सकता है 5000 रुपये का नगद इनाम।


कैसे बना जाए 'सिने पहेली महाविजेता’
1. सिने पहेली प्रतियोगिता में होंगे कुल 100 एपिसोड्स। इन 100 एपिसोड्स को 10 सेगमेण्ट्स में बाँटा गया है। अर्थात्, हर सेगमेण्ट में होंगे 10 एपिसोड्स।


2. प्रत्येक सेगमेण्ट में प्रत्येक खिलाड़ी के 10 एपिसोड्स के अंक जुड़े जायेंगे, और सर्वाधिक अंक पाने वाले तीन खिलाड़ियों को सेगमेण्ट विजेताओं के रूप में चुन लिया जाएगा।


3. इन तीन विजेताओं के नाम दर्ज हो जायेंगे 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में। सेगमेण्ट में प्रथम स्थान पाने वाले को 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में 3 अंक, द्वितीय स्थान पाने वाले को 2 अंक, और तृतीय स्थान पाने वाले को 1 अंक दिया जायेगा। पाँचवें सेगमेण्ट की समाप्ति तक 'महाविजेता स्कोरकार्ड' यह रहा...




4. 10 सेगमेण्ट पूरे होने पर 'महाविजेता स्कोरकार्ड' में दर्ज खिलाड़ियों में सर्वोच्च पाँच खिलाड़ियों में होगा एक ही एपिसोड का एक महा-मुकाबला, यानी 'सिने पहेली' का फ़ाइनल मैच। इसमें पूछे जायेंगे कुछ बेहद मुश्किल सवाल, और इसी फ़ाइनल मैच के आधार पर घोषित होगा 'सिने पहेली महाविजेता' का नाम। महाविजेता को पुरस्कार स्वरूप नकद 5000 रुपये दिए जायेंगे, तथा द्वितीय व तृतीय स्थान पाने वालों को दिए जायेंगे सांत्वना पुरस्कार।

'सिने पहेली' को और भी ज़्यादा मज़ेदार बनाने के लिए अगर आपके पास भी कोई सुझाव है तो 'सिने पहेली' के ईमेल आइडी पर अवश्य लिखें। आप सब भाग लेते रहिए, इस प्रतियोगिता का आनन्द लेते रहिए, क्योंकि महाविजेता बनने की लड़ाई अभी बहुत लम्बी है। आज के एपिसोड से जुड़ने वाले प्रतियोगियों के लिए भी 100% सम्भावना है महाविजेता बनने का। इसलिए मन लगाकर और नियमित रूप से (बिना किसी एपिसोड को मिस किए) सुलझाते रहिए हमारी सिने-पहेली, करते रहिए यह सिने मंथन, आज के लिए मुझे अनुमति दीजिए, अगले सप्ताह फिर मुलाक़ात होगी, नमस्कार।

प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र

Comments

This comment has been removed by the author.
arrrrrrrre ! kaise jwab dun----gaane sunu tb nnnnnnn
wo kya kahte hain 'player' to dikh hi nhi rha hai . 3-4 baar refresh bhi krke dekh liya. abbbbbbb???? :(
Vijay Vyas said…
सही कहा इन्‍दु जी। मैं भी इस पेज पर गाने सुन नहीं पा रहा हूँ। कृपया गानों के अंशों को सभी प्रतिभागियों को ई-मेल कर दें या अन्‍य कोई लिंक देवें जहॉं पर गाने सुन सके और जवाब प्रेषित कर सके। आभार ।
Pankaj Mukesh said…
bahut dikkat ho rahi hai, kripaya songs ke link ya phir files e- mail kar djiye!!
---aabhaar
Amit said…
आप सभी को हुई असुविधा के लिए खेद है। सभी दस पहेलियों को एक साथ जोड़कर डाऊनलोड करने के लिए लिंक दे दी गयी है।
एक निवेदन - आम सिने प्रेमी से ये अपेक्षा नहीं की जाती कि उसे संगीत के व्याकरण (राग ताल)आदि की भी जानकारी हो, ऐसे प्रश्नों के लिए दूसरे स्तम्भ तो हैं ही, अतः सिने पहेली का स्वरुप आम सिने प्रेमी के लिए रखा जाये|
Vijay Vyas said…
चन्‍द्रकांत दीक्षित जी की बात से पूर्ण सहमत। आभार।
Pankaj Mukesh said…
Main bhi chandrakan ji aur vijay ji ka samarthan karta hoon. Ye sahi rahta ki Raag aur taal vishesh prashna agar last episod/final mein poochha jata, kyonki tab aapko har tarah ke prashan ka jawaab aana chahiye, magar hum pratiyogiyon ke liye prashan banaya gaya hai to use sammanpoorvak sweekar kar jawaab dena padega.
Pankaj Mukesh said…
Kya Cine paheli-60 ka kull ank yog 10 hai??(maximum marks for CP-60). Yani 1 ank prati prashna !!
-Dhanyawaad

Popular posts from this blog

सुर संगम में आज -भारतीय संगीताकाश का एक जगमगाता नक्षत्र अस्त हुआ -पंडित भीमसेन जोशी को आवाज़ की श्रद्धांजली

सुर संगम - 05 भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चेरी बनाकर अपने कंठ में नचाते रहे। भा रतीय संगीत-नभ के जगमगाते नक्षत्र, नादब्रह्म के अनन्य उपासक पण्डित भीमसेन गुरुराज जोशी का पार्थिव शरीर पञ्चतत्त्व में विलीन हो गया. अब उन्हें प्रत्यक्ष तो सुना नहीं जा सकता, हाँ, उनके स्वर सदियों तक अन्तरिक्ष में गूँजते रहेंगे. जिन्होंने पण्डित जी को प्रत्यक्ष सुना, उन्हें नादब्रह्म के प्रभाव का दिव्य अनुभव हुआ. भारतीय संगीत की विविध विधाओं - ध्रुवपद, ख़याल, तराना, भजन, अभंग आदि प्रस्तुतियों के माध्यम से सात दशकों तक उन्होंने संगीत प्रेमियों को स्वर-सम्मोहन में बाँधे रखा. भीमसेन जोशी की खरज भरी आवाज का वैशिष्ट्य जादुई रहा है। बन्दिश को वे जिस माधुर्य के साथ बदल देते थे, वह अनुभव करने की चीज है। 'तान' को वे अपनी चे

‘बरसन लागी बदरिया रूमझूम के...’ : SWARGOSHTHI – 180 : KAJARI

स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट