एक तुम हो एक मैं हूँ, और नदी का किनारा है....जब सुर्रैया ने याद किया अपने शुरूआती रेडियो के दिनों को
ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 584/2010/284
ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार! 'तेरा ख़याल दिल से भुलाया ना जाएगा' लघु शृंखला की चौथी कड़ी में आज हम फिर एक बार सुरैया के बचपन के दिनों में चलना चाहेंगे, जब वो रेडियो से जुड़ी हुई थीं। दोस्तों, १९७१ में 'विशेष जयमाला' के अलावा भी १९७५ में सुरैया जी को विविध भारती के स्टुडिओज़ में आमंत्रित किया गया था एक इंटरव्यु के लिए। उसी इंटरव्यु से चुनकर एक अंश यहाँ हम पेश कर रहे हैं। सुरैया से बातचीत कर रहे हैं शमीम अब्बास।
शमीम: सुरैया जी, आदाब!
सुरैया: आदाब!
शमीम: सुरैया जी, मुझे आप बता सकती हैं कि कितने दिनों के बाद विविध भारती के स्टुडियो में आप फिर आयी हैं?
सुरैया: देखिए अब्बास साहब, मेरे ख़याल से, वैसे तो मैं सालों के बाद आयी हूँ, लेकिन आपको मैं एक बात बताऊँगी कि मैं पाँच की उम्र से रेडियो स्टेशन में आ गई थी और मेरे लिए यह कोई नयी जगह नहीं है। मैं कैसे आयी यह आपको ज़रूर बताऊँगी। संगीतकार मदन मोहन जी मेरे पड़ोसी हुआ करते थे, और वो बच्चों के कार्यक्रम में हमेशा हिस्सा लिया करते थे। तो वे मुझे खींचकर यहाँ ले आये।
शमीम: विविध भारती तो नहीं था उस वक़्त?
सुरैया: ना! विविध भारती नहीं था, ज़ेड. ए. बुख़ारी साहब स्टेशन डिरेक्टर हुआ करते थे रेडिओ स्टेशन के, और तब से मैं कई साल, हर सण्डे को वह प्रोग्राम हुआ करता था।
शमीम: किस तरह के प्रोग्राम? गानें या ड्रामे?
सुरैया: नहीं, हम तो, मैं, मदन मोहन, राज कपूर, हम सब हिस्सा लिया करते थे और फ़िल्मों के गानें कॊपी करके गाया करते थे।
शमीम: आज भी कुछ गानें कॊपी किए जाते हैं!
सुरैया: (ज़ोर से हँसती हैं)
शमीम: तो आपकी शुरुआत रेडिओ से ही हुई?
सुरैया: जी हाँ! सिंगिंग् करीयर रेडिओ से ही शुरु हुआ था।
शमीम: आपने एक बार किसी रेडिओ प्रोग्राम में कहा था कि आप ने बाक़ायदा गाना किसी से सीखा नहीं, क्या यह सच है?
सुरैया: जी हाँ! सही बात है। मैंने कोई तालीम नहीं ली।
शमीम: जिस वक़्त आपने गाना शुरु किया था, उस वक़्त तो प्लेबैक नहीं था या नया नया शुरु हुआ था!
सुरैया: प्लेबैक सिस्टम तो था लेकिन ज़्यादातर जो काम करते थे वो ख़ुद ही गाते थे।
शमीम: आपने भी कभी किसी का प्लेबैक दिया है?
सुरैया: जी हाँ, नौशाद साहब की एक दो फ़िल्में थीं - 'शारदा', 'कानून' और 'स्कूल मास्टर'। ये तीन फ़िल्में थीं जिनमें मैंने प्लेबैक दिया था।
दोस्तों, इन तीन फ़िल्मों में से फ़िल्म 'शारदा' का गीत हमने पहले अंक में सुना था। आइए आज इन्हीं में से फ़िल्म 'कानून' का एक मशहूर गीत सुनते हैं। "एक तुम हो एक मैं हूँ, और नदी का किनारा हो, समा प्यारा प्यारा हो"। 'कानून' १९४३ की फ़िल्म थी ए. आर. कारदार की। इस फ़िल्म में निर्मला और सुरैया के गाये गीत छाये रहे। आपको बता दें कि ये वही निर्मला देवी हैं जो अभिनेता गोविंदा की माँ हैं और प्रसिद्ध ठुमरी गायिका भी। निर्मला जी ने 'कानून' में "सैंया खड़े मोरे द्वार में" और "आ मोरे सैंया" गाया था तो सुरैया ने आज का पोरस्तुत गीत गाकर ख़ूब लोकप्रियता बटोरी थी। इसी फ़िल्म में सुरैया ने श्याम के साथ "आए जवानी" गीत भी गाया था। बरसों बाद नौशाद साहब ने ही सुरैया और श्याम से फिर एक बार एक युगल गीत गवाया था फ़िल्म 'दिल्लगी' में जो बहुत बहुत हिट हुआ था, गीत था "तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी"। १९४३ में सुरैया ने कारदार साहब के कुछ और फ़िल्मों में गीत गाये जैसे कि 'संजोग' और 'नाटक'। तो लीजिए सुनिए फ़िल्म 'कानून' का यह गीत, गीतकार हैं ......
क्या आप जानते हैं...
कि १९४२ की फ़िल्म 'तमन्ना' में गायक मन्ना डे ने पहली बार गीत गाया था और वह भी सुरैया के साथ गाया हुआ एक युगल-गीत
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 09
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र -बेहद आसान.
सवाल १ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - १ अंक
सवाल ३ - गीतकार कौन हैं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
वाह क्या मुकाबला है, अंजाना जी बधाई....अमित जी और अवध जी तत्पर मिले
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
ओल्ड इज़ गोल्ड' के दोस्तों नमस्कार! 'तेरा ख़याल दिल से भुलाया ना जाएगा' लघु शृंखला की चौथी कड़ी में आज हम फिर एक बार सुरैया के बचपन के दिनों में चलना चाहेंगे, जब वो रेडियो से जुड़ी हुई थीं। दोस्तों, १९७१ में 'विशेष जयमाला' के अलावा भी १९७५ में सुरैया जी को विविध भारती के स्टुडिओज़ में आमंत्रित किया गया था एक इंटरव्यु के लिए। उसी इंटरव्यु से चुनकर एक अंश यहाँ हम पेश कर रहे हैं। सुरैया से बातचीत कर रहे हैं शमीम अब्बास।
शमीम: सुरैया जी, आदाब!
सुरैया: आदाब!
शमीम: सुरैया जी, मुझे आप बता सकती हैं कि कितने दिनों के बाद विविध भारती के स्टुडियो में आप फिर आयी हैं?
सुरैया: देखिए अब्बास साहब, मेरे ख़याल से, वैसे तो मैं सालों के बाद आयी हूँ, लेकिन आपको मैं एक बात बताऊँगी कि मैं पाँच की उम्र से रेडियो स्टेशन में आ गई थी और मेरे लिए यह कोई नयी जगह नहीं है। मैं कैसे आयी यह आपको ज़रूर बताऊँगी। संगीतकार मदन मोहन जी मेरे पड़ोसी हुआ करते थे, और वो बच्चों के कार्यक्रम में हमेशा हिस्सा लिया करते थे। तो वे मुझे खींचकर यहाँ ले आये।
शमीम: विविध भारती तो नहीं था उस वक़्त?
सुरैया: ना! विविध भारती नहीं था, ज़ेड. ए. बुख़ारी साहब स्टेशन डिरेक्टर हुआ करते थे रेडिओ स्टेशन के, और तब से मैं कई साल, हर सण्डे को वह प्रोग्राम हुआ करता था।
शमीम: किस तरह के प्रोग्राम? गानें या ड्रामे?
सुरैया: नहीं, हम तो, मैं, मदन मोहन, राज कपूर, हम सब हिस्सा लिया करते थे और फ़िल्मों के गानें कॊपी करके गाया करते थे।
शमीम: आज भी कुछ गानें कॊपी किए जाते हैं!
सुरैया: (ज़ोर से हँसती हैं)
शमीम: तो आपकी शुरुआत रेडिओ से ही हुई?
सुरैया: जी हाँ! सिंगिंग् करीयर रेडिओ से ही शुरु हुआ था।
शमीम: आपने एक बार किसी रेडिओ प्रोग्राम में कहा था कि आप ने बाक़ायदा गाना किसी से सीखा नहीं, क्या यह सच है?
सुरैया: जी हाँ! सही बात है। मैंने कोई तालीम नहीं ली।
शमीम: जिस वक़्त आपने गाना शुरु किया था, उस वक़्त तो प्लेबैक नहीं था या नया नया शुरु हुआ था!
सुरैया: प्लेबैक सिस्टम तो था लेकिन ज़्यादातर जो काम करते थे वो ख़ुद ही गाते थे।
शमीम: आपने भी कभी किसी का प्लेबैक दिया है?
सुरैया: जी हाँ, नौशाद साहब की एक दो फ़िल्में थीं - 'शारदा', 'कानून' और 'स्कूल मास्टर'। ये तीन फ़िल्में थीं जिनमें मैंने प्लेबैक दिया था।
दोस्तों, इन तीन फ़िल्मों में से फ़िल्म 'शारदा' का गीत हमने पहले अंक में सुना था। आइए आज इन्हीं में से फ़िल्म 'कानून' का एक मशहूर गीत सुनते हैं। "एक तुम हो एक मैं हूँ, और नदी का किनारा हो, समा प्यारा प्यारा हो"। 'कानून' १९४३ की फ़िल्म थी ए. आर. कारदार की। इस फ़िल्म में निर्मला और सुरैया के गाये गीत छाये रहे। आपको बता दें कि ये वही निर्मला देवी हैं जो अभिनेता गोविंदा की माँ हैं और प्रसिद्ध ठुमरी गायिका भी। निर्मला जी ने 'कानून' में "सैंया खड़े मोरे द्वार में" और "आ मोरे सैंया" गाया था तो सुरैया ने आज का पोरस्तुत गीत गाकर ख़ूब लोकप्रियता बटोरी थी। इसी फ़िल्म में सुरैया ने श्याम के साथ "आए जवानी" गीत भी गाया था। बरसों बाद नौशाद साहब ने ही सुरैया और श्याम से फिर एक बार एक युगल गीत गवाया था फ़िल्म 'दिल्लगी' में जो बहुत बहुत हिट हुआ था, गीत था "तू मेरा चाँद मैं तेरी चाँदनी"। १९४३ में सुरैया ने कारदार साहब के कुछ और फ़िल्मों में गीत गाये जैसे कि 'संजोग' और 'नाटक'। तो लीजिए सुनिए फ़िल्म 'कानून' का यह गीत, गीतकार हैं ......
क्या आप जानते हैं...
कि १९४२ की फ़िल्म 'तमन्ना' में गायक मन्ना डे ने पहली बार गीत गाया था और वह भी सुरैया के साथ गाया हुआ एक युगल-गीत
दोस्तों अब पहेली है आपके संगीत ज्ञान की कड़ी परीक्षा, आपने करना ये है कि नीचे दी गयी धुन को सुनना है और अंदाज़ा लगाना है उस अगले गीत का. गीत पहचान लेंगें तो आपके लिए नीचे दिए सवाल भी कुछ मुश्किल नहीं रहेंगें. नियम वही हैं कि एक आई डी से आप केवल एक प्रश्न का ही जवाब दे पायेंगें. हर १० अंकों की शृंखला का एक विजेता होगा, और जो १००० वें एपिसोड तक सबसे अधिक श्रृंखलाओं में विजय हासिल करेगा वो ही अंतिम महा विजेता माना जायेगा. और हाँ इस बार इस महाविजेता का पुरस्कार नकद राशि में होगा ....कितने ?....इसे रहस्य रहने दीजिए अभी के लिए :)
पहेली 05/शृंखला 09
गीत का ये हिस्सा सुनें-
अतिरिक्त सूत्र -बेहद आसान.
सवाल १ - फिल्म का नाम बताएं - १ अंक
सवाल २ - संगीतकार बताएं - १ अंक
सवाल ३ - गीतकार कौन हैं - २ अंक
पिछली पहेली का परिणाम -
वाह क्या मुकाबला है, अंजाना जी बधाई....अमित जी और अवध जी तत्पर मिले
खोज व आलेख- सुजॉय चटर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
Comments
Pratibha Kaushal-Sampat
Ottawa, Canada
Kishore Sampat "Kish"
CANADA
बहुत ही सुने गीत
गीतों के कुबेर के खजाने में से गीत
धन्यवाद