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चित्रकथा - 21: "माइ नेम इज़ बॉन्ड...जेम्स बॉन्ड!!!"

अंक - 21

रॉजर मूर को श्रद्धांजलि

माइ नेम इज़ बॉन्ड...जेम्स बॉन्ड!!! 



’रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। बीसवीं सदी के चौथे दशक से सवाक् फ़िल्मों की जो परम्परा शुरु हुई थी, वह आज तक जारी है और इसकी लोकप्रियता निरन्तर बढ़ती ही चली जा रही है। और हमारे यहाँ सिनेमा के साथ-साथ सिने-संगीत भी ताल से ताल मिला कर फलती-फूलती चली आई है। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें बातें होंगी चित्रपट की और चित्रपट-संगीत की। फ़िल्म और फ़िल्म-संगीत से जुड़े विषयों से सुसज्जित इस पाठ्य स्तंभ में आपका हार्दिक स्वागत है। 


23 मई 2017 को ब्रिटिश अभिनेता सर रॉजर जॉर्ज मूर का निधन हो गया। यूं तो उन्होंने बहुत सी फ़िल्मों में अभिनय किया, पर वो ज़्यादा जाने गए जेम्स बॉन्ड का किरदार निभाने के लिए। 1973 से 1985 के बीच उन्होंने कुल सात जेम्स बॉन्ड फ़िल्मों में ऐसा सशक्त अभिनय किया कि वो जेम्स बॉन्ड का पर्याय बन गए। आइए आज ’चित्रकथा’ में उन्हें श्रद्धांजलि स्वरूप जेम्स बॉन्ड पर बनी समस्त फ़िल्मों की बातें करें। 



जेम्स बॉन्ड सीरीज़ एक काल्पनिक ब्रिटिश सिक्रेट सर्विस एजेन्ट पर केन्द्रित है। लेखक इआन फ़्लेमिंग् ने इस चरित्र को 1953 में पहली बार साकार किया और 1964 में उनकी मृत्यु तक उन्होंने इस सीरीज़ के 12 उपन्यास लिखे। फ़्लेमिंग् की मृत्यु के बाद आठ अन्य लेखकों ने जेम्स बॉन्ड पर उपन्यास लिखने की अनुमति प्राप्त की। ये लेखक हैं किंग्सले आमिस, क्रिस्टोफ़र वूड, जॉन गार्डनर, रेमन्ड बेन्सन, सेबास्तिआन फ़ौक्स, जेफ़री डीवर, विलियम बॉएड और ऐन्थनी होरोवित्ज़। जेम्स बॉन्ड की अन्तिम उपन्यास ’ट्रिगर मॉर्टिस’ वर्ष 2015 में आई थी जिसके लेखक थे ऐन्थनी होरोवित्ज़। इनके अलावा चार्ली हिग्सन ने बालक जेम्स बॉन्ड पर एक सीरीज़ लिखी। जेम्स बॉन्ड का चरित्र इतना ज़्यादा पसन्द किया गया कि इन उपन्यासों पर फ़िल्में बनीं, रेडियो और टीवी धारावाहिक बने, और यहाँ तक कि विडियो गेम्स और कॉमिक्स भी। जेम्स बॉन्ड की फ़िल्मों को सबसे ज़्यादा चलने वाली फ़िल्म सीरीज़ में गिना जाता है और कुल मिलाकार अब तक इन फ़िल्मों ने 7040 बिलियन अमरीकी डॉलर का कारोबार किया है। जेम्स बॉन्ड की यह फ़िल्म सीरीज़ 1962 में शुरु हुई थी फ़िल्म ’डॉक्टर नो’ से जिसमें अभिनेता सिआन कॉनेरी नज़र आए थे जेम्स बॉन्ड की भूमिका में। बॉन्ड फ़िल्मों की कुछ ख़ासियत भी है, जैसे कि उनका म्युज़िकल ऐकॉमपनीमेन्ट (कई बॉन्ड फ़िल्मों के भाव गीतों को ऑस्कर से नवाज़ा जा चुका है), फ़िल्मों में इस्तमाल होने वाली बॉन्ड की गाड़ियाँ, उनके बन्दूक और दिलचस्प गैजेट्स। इन फ़िल्मों में जेम्स बॉन्ड की नायिकाओं के साथ प्रेम संबंधों का भी दर्शकों ने लुत्फ़ उठाया। बॉन्ड की नायिकाओं को ’बॉन्ड गर्ल्स’ कह कर संबोधित किया जाता रहा है।

1962 में कनाडियन हैरी सॉल्ट्ज़मैन और अमरीकी ऐल्बर्ट ब्रॉकोली की फ़िल्म कंपनी ’इओन प्रोडक्शन्स’ ने जेम्स बॉन्ड का पहला फ़िल्म ऐडप्टेशन जारी किया ’डॉक्टर नो’ के शीर्षक से जो इसी शीर्षक के उपन्यास पर बनी फ़िल्म है। टेरेन्स यौंग् निर्देशित इस फ़िल्म में जेम्स बॉन्ड की भूमिका में सिआन कॉनेरी सफल रहे और इसके बाद एक के बाद एक कुल चार लगातार फ़िल्मों में वो 007 की भूमिका अदा की। ये फ़िल्में हैं ’फ़्रॉम रशिआ विथ लव’ (1963), 'गोल्डफ़िंगर’ (1964), 'थंडरबॉल’ (1965), और 'यू ओन्ली लिव ट्वाइस’ (1967)। इसके बाद 1969 में जॉर्ज लैज़ेनबाइ ने ’ऑन हर मजेस्टीज़ सिक्रेट सर्विस’ में बॉन्ड की भूमिका निभाई पर वो असफल रहे। इसलिए 1971 में एक बार फिर कॉनेरी को चुना गया ’डायमन्ड्स आर फ़ॉरेवर’ के लिए। कहा जाता है कि 60 के दशक में ही रॉजर मूर को जेम्स बॉन्ड के किरदार में लोग कल्पना करने लगे थे, शायद उनकी कदकाठी और पर्सोनलिटी की वजह से। पर वो उस समय टेलीविज़न जगत में अत्यन्त व्यस्त कलाकार थे। 1964 में रॉजर मूर ने जेम्स बॉन्ड की हास्य धारावाहिक ’मेन्ली मिलिसेन्ट’ में एक छोटी सी अतिथि भूमिका निभाई। मूर ने अपनी 2008 में प्रकाशित आत्मकथा ’माइ वर्ड इज़ माइ बॉन्ड’ में कहा है कि बॉन्ड की पहली फ़िल्म ’डॉक्टर नो’ में अभिनय करने के लिए उन्हें किसी ने न्योता नहीं दिया और ना ही उन्हें कभी ऐसा लगा कि इस तरह का कोई प्रस्ताव उन्हें मिलेगा। लेकिन जब 1966 में सिआन कॉनेरी ने यह ऐलान किया कि वो अब आगे बॉन्ड की भूमिका में नज़र नहीं आएँगे, तब जाकर उन्हें एक आशा की किरण दिखाई दी। लेकिन जब जॉर्ज लैज़ेनबाइ की ’ऑन हर मैजेस्टीज़ सिक्रेट सर्विस’ और कॉनेरी की ’डायमन्ड्स का फ़ॉरेवर’ आ गई, तब उन्हें फिर से लगने लगा कि वो कभी बॉन्ड की भूमिका में नज़र नहीं आ सकेंगे। लेकिन अगस्त 1972 में ऐल्बर्ट ब्रॉकोली ने रॉजर मूर को प्रस्ताव दिया बॉन्ड की अगली फ़िल्म में शीर्षक भूमिका निभाने का। अपनी अत्मकथा में मूर आगे लिखते हैं कि इस किरदार को निभाने के लिए उन्हें अपने बाल कटवाने पड़े और वज़न भी काफ़ी घटाना पड़ा। उनके द्वारा ये दोनों शर्त नामंज़ूर करने के बावजूद उन्हें 1973 की फ़िल्म ’लिव ऐण्ड लेट डाइ’ के लिए जेम्स बॉन्ड के रोल में उन्हें साइन करवा लिया गया।

इस तरह से शुरु हुआ रॉजर मूर का जेम्स बॉन्ड अवतार। ’लिव ऐण्ड लेट डाइ’ बॉक्स ऑफ़िस पर कामयाब रही और जनता तथा समालोचकों की अच्छी समीक्षाओं के चलने रॉजर मूर जेम्स बॉन्ड के चरित्र में कामयाब करार दिए गए। इस फ़िल्म के शीर्षक गीत "लिव ऐण्ड लेट डाइ" को उस साल के ऑस्कर में ’बेस्ट ऑरिजिनल सॉंग्’ के लिए नामांकित किया गया था, जिसे लिखा था पॉल और लिंडा मैक’कार्टने से और उनके बैण्ड ’विंग्स’ ने इसे गाया था। 1974 में मूर की दूसरी बॉन्ड फ़िल्म आई ’दि मैन विथ दि गोल्डन गन’। यह निर्देशक गाय हमिल्टन निर्देशित बॉन्ड सीरीज़ की चौथी व अन्तिम फ़िल्म थी। इस फ़िल्म को मिलीजुली प्रतिक्रियाएँ मिली। हालाँकि इस फ़िल्म ने अच्छा कारोबार किया, लेकिन फ़िल्म को बहुत अधिक कामयाबी नहीं मिली। ब्रॉकोली और सॉल्ट्ज़मैन द्वारा एक साथ निर्मित होने वाली यह अन्तिम फ़िल्म थी; इसके बाद सॉल्ट्ज़मैन ने अपना 50% हिस्सा इओन प्रोडक्शन्स के मूल कंपनी को बेच दिया। इसके बाद 1977 में आई फ़िल्म ’दि स्पाइ हु लव्ड मी’। क्रिस्टोफ़र वूड लिखित उपन्यास पर आधारित इस फ़िल्म को ऑस्कर में तीन पुरस्कारों के लिए नामांकन मिला। फ़िल्म के साउन्डट्रैक के लिए मार्विन हैमलिश को भी काफ़ी सराहना मिली। रॉजर मूर के अभिनय को भी समीक्षकों की अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिली। बॉन्ड 007 की भूमिका में मूर की अगली फ़िल्म थी 1979 की ’मूनरेकर’। यह फ़िल्म ख़ास है क्योंकि इस फ़िल्म की कल्पना इआन फ़्लेमिंग् ने 1954 में बॉन्ड की पहली उपन्यास पूरी करने से पहले ही कर ली थी। दरसल उन्होंने इसकी पटकथा उपन्यास से पहले ही लिख डाली थी। ’मूनरेकर’ के निर्माता ’फ़ॉर योर आइज़ ओन्ली’ उपन्यास पर फ़िल्म बनाना चाहते थे, पर उस समय युवाओं में साइन्स फ़िक्शन की बढ़ती दिलचस्पी के चलते उन्होंने ’मूनरेकर’ शीर्षक वाली फ़िल्म पहले बनाने की सोची ’स्टार वार्स’ के आधार पर। 34 मिलियन डॉलर की लागत से बनी इस फ़िल्म को विज़ुअल इफ़ेक्ट्स के लिए सराहना मिली। फ़िल्म ने पूरे विश्व में 210,300,000 डॉलर का कारोबार किया, जो एक रेकॉर्ड है, जिसे तोड़ा 1995 की फ़िल्म ’गोल्डन आइ’ ने।

साइन्स फ़िक्शन को फ़ोकस में रख कर बनने वाली फ़िल्म ’मूनरेकर’ के बाद ’इओन प्रोडक्श्न्स’ बॉन्ड की मूल शैली में वापस जाना चाहा जैसा फ़्लेमिंग् ने अपने उपन्यासों में साकार किया था। इसे ध्यान में रख कर अगली फ़िल्म आई 1981 की ’फ़ॉर योर आइज़ ओन्ली’। इसमें भी रॉजर मूर ने जादू चलाया और फ़िल्म को व्यापक कामयाबी मिली और फ़िल्म ने विश्वभर में कुल 195.3 मिलियन डॉलर का कारोबार किया। 1983 में रॉजर मूर अभिनीत अगली बॉन्ड फ़िल्म आई ’ऑक्टोपुसी’। यह शीर्षक इआन फ़्लेमिंग् की 1966 में लिखी लघु कहानी संग्रह ’ऑक्टोपुसी ऐण्ड दि लिविंग् डेलाइट्स’ से लिया गया है। फ़िल्म का कथानक मौलिक है पर एक सीन फ़्लेमिंग् की लघुकथा ’दि प्रोपर्टी ऑफ़ ए लेडी’ से प्रेरित है। ’ऑक्टोपुसी’ फ़िल्म को कई पुरस्कारों के लिए नामांकन मिला जैसे कि ’अकादमी ऑफ़ साइन्स फ़िक्शन, फ़ैन्टसी ऐण्ड हॉरर फ़िल्म्स अवार्ड’, मौड ऐडम्स को ’बेस्ट फ़ैन्टसी सपोर्टिंग् ऐक्ट्रेस’ का ’सैटर्ण अवार्ड’। फ़िल्म की अभिनेत्री मौड ऐडम्स को सर्वश्रेष्ठ "बॉन्ड गर्ल" का ख़िताब दिया ’एन्टरटेनमेण्ट वीकली’ पत्रिका ने। जर्मनी में इस फ़िल्म को ’गोल्डन स्क्रीन अवार्ड’ व बेस्ट साउण्ड एडिटिंग्’ के लिए ’गोल्डन रील अवार्ड’ से नवाज़ा गया। 1985 में रॉजर मूर के अभिनय से सजी अन्तिम बॉन्ड फ़िल्म आई ’ए विउ टु ए किल’ जो इस सीरीज़ की चौदहवीं फ़िल्म थी। फ़िल्म का शीर्षक फ़्लेमिंग् की लघुकथा ’फ़्रॉम ए विउ टु ए किल’ से लिया गया है, लेकिन फ़िल्म का कथानक बिल्कुल मौलिक है। इसमें बॉन्ड का सामना मैक़ ज़ोरिन से होता है जो कैलिफ़ोर्णिआ सिलिकन वैली को तबाह करने की योजना बनाता है। जॉन ग्लेन निर्देशित यह तीसरी बॉन्ड फ़िल्म है और मिस मनीपेनी की भूमिका में लोइस मैक्सवेल की अन्तिम फ़िल्म। इस फ़िल्म को दर्शकों की अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली, पर फ़िल्म ने व्यावसायिक तौर पर अच्छा वाणिज्य किया। फ़िल्म के भाव गीत को सर्वश्रेष्ठ गीत का ’गोल्डन ग्लोब अवार्ड’ का नामांकन मिला था। मूर के साथ साथ क्रिस्टोफ़र वाल्केन को भी एक "क्लासिक बॉन्ड विलेन" के अवतार में अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिली। 1985 के बाद रॉजर मूर के जेम्स बॉन्ड की भूमिका से सेवानिवृत्ति लेने के बाद इओन प्रोडक्शन्स के तहत कुल 10 फ़िल्में और बनीं। बॉन्ड के किरदार में तिमोथी डाल्टन अभिनीत दो फ़िल्में थीं ’दि लिविंग् डेलाइट्स’ (1987), और 'लाइसेन्स टु किल’ (1989)। पिअर्स ब्रोसनान अभिनीत चार सफल फ़िल्में थीं ’गोल्डन आइ’ (1995), ’टुमोरो नेवर डाइज़’ (1997), ’दि वर्ल्ड इज़ नॉट एनफ़’ (1999), और ’डाइ अनादर डे’ (2002)। और डैनिएल क्रेग अभिनीत चार फ़िल्में हैं ’कासिनो रोयाल’ (2006), ’क्वान्टम ऑफ़ सोलेस’ (2008), ’स्काइफ़ॉल’ (2012), और ’स्पेक्टर’ (2015)। इओन प्रोडक्शन्स के बाहर भी दो बॉन्ड फ़िल्में बनी हैं। 1967 में ’कासिनो रोयाल’ उपन्यास का ऐडप्टेशन जिसमें डेविड निवेन ने बॉन्ड की भूमिका निभाई थी। बताना आवश्यक है कि निवेन फ़्लेमिंग् के चहेते अभिनेता थे बॉन्ड के किरदार में। 1963 के एक कोर्ट के फ़ैसले के बाद केविन मैक-क्लोरी को ’थंडरबॉल’ का रीमेक बनाने का अधिकार प्राप्त हुआ जिसका शीर्षक रखा गया ’सेवर से नेवर अगेन’। यह फ़िल्म बनी थी 1983 में और इसमें फिर एक बार सिआन कॉनेरी ने बॉन्ड की भूमिका अदा की थी। फ़िल्म को कामयाबी तो मिली पर उसी साल इओन की ’ऑक्टोपुसी’ जैसी सफलता इसे नहीं मिली। इस तरह से जेम्स बॉन्ड पर बनने वाली फ़िल्मों में सर्वाधिक बार बॉन्ड की भूमिका में नज़र आए सिआन कॉनेरी और रॉजर मूर। दोनों ने सात बार बॉन्ड का किरदार निभाया। अपनी अपनी राय है लेकिन व्यावसायिक सफलता की बात करें तो रॉजर मूर द्वारा अभिनीत फ़िल्मों ने सबसे ज़्यादा कारोबार किया है।

जेम्स बॉन्ड की भूमिका अदा करने वाले अभिनेताओं में रॉजर मूर की उम्र सबसे अधिक थी। 1973 में जब उन्होंने पहली बार ’लिव ऐण्ड लेट डाइ’ में बॉन्ड का किरदार निभाया, तब उनकी उम्र थी 45 वर्ष। और जब 3 दिसंबर 1985 को उन्होंने बॉन्ड के चरित्र से संयास लिया, तब उनकी उम्र थी 58 वर्ष। रॉजर मूर के बॉन्ड की भूमिका में अभिनय की ख़ासियत यह थी कि उन्होंने इस चरित्र को वैसे नहीं निभाया जैसा कि इआन फ़्लेमिंग् ने रचा था, बल्कि उन्होंने अपना ही अलग स्टाइल रचा। पटकथा लेखक जॉर्ज मैक’डोनल्ड फ़्रेज़र ने मूर को एक अनुभवी और ख़ुशमिज़ाज प्लेबॉय के रूप में पेश किया जिसके पास हमेशा कोई छल या गैजट उपलब्ध है जब उसे उसकी ज़रूरत है। ऐसा 70 के दशक के समकालीन रुचि के अनुसार किया गया था। रॉजर मूर संस्करण में जेम्स बॉन्ड का सेन्स ऑफ़ ह्युमर कमाल का दिखाया गया है। मूर ने एक बार कहा था - "पहले के बॉन्ड्स से मेरी पर्सोनलिटी बिल्कुल अलग है, मैं उतना कोल्ड ब्लडेड किलर टाइप नहीं हूँ।" जेम्स बॉन्ड से संयास लेने के बाद 1987 में उन्होंने ’Happy Anniversary 007: 25 Years of James Bond' की मेज़बानी की थी। आज सर रॉजर जॉर्ज मूर हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उन्होंने जेम्स बॉन्ड के चरित्र को जिस तरह से जीवन्त किया है, जेम्स बॉन्ड उनमें और वो जेम्स बॉन्ड में हमेशा जीवित रहेंगे।


आख़िरी बात

’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!




शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी 
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र  



रेडियो प्लेबैक इण्डिया 

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