स्वरगोष्ठी – 296 में आज
नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 9 : राग सोहनी का गीत
“प्रेम जोगन बन के, सुन्दर पिया ओर चली...”
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उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ |
राग सोहनी : ‘प्रेम जोगन बन के...’ : उस्ताद बड़े गुलाम अली खाँ : फिल्म – मुगल-ए-आजम
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पण्डित उल्हास कशालकर |
राग सोहनी : “जियरा रे...” और “देख वेख मन ललचाए...” पण्डित उल्हास कशालकर
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 296वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वर्ष 1960 में प्रदर्शित राग
आधारित गीतों की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हिन्दी फिल्म के एक गीत का अंश
सुनवाते हैं। इस गीत के अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं
दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 297वें अंक की पहेली का
उत्तर सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस
वर्ष की पाँचवीं श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। नये वर्ष
2017 के पहले और दूसरे अंक में हम वर्ष के महाविजेताओं की घोषणा करेंगे।
1 – गीत का यह अंश सुन कर बताइए कि इसमें किस राग का स्पर्श है?
2 – गीत के इस अंश में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप इस पार्श्वगायक की आवाज़ को पहचान सकते हैं? हमे उनका नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 17 दिसम्बर 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम
‘स्वरगोष्ठी’ के 298वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
इस बार की पहेली में हमारे नियमित प्रतिभागियों में से वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी। आप सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर अपने
सैकड़ों पाठकों के अनुरोध पर जारी लघु श्रृंखला “नौशाद के गीतों में
राग-दर्शन” के आज के अंक में आपने राग सोहनी के स्वरों में पिरोये एक गीत
और खयाल का रसास्वादन किया। इस श्रृंखला के लिए हमने संगीतकार नौशाद के
आरम्भिक दो दशकों की फिल्मों के गीत चुने हैं। श्रृंखला के आलेख को तैयार
करने के लिए हमने फिल्म संगीत के जाने-माने इतिहासकार और हमारे सहयोगी
स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी और लेखक पंकज राग की पुस्तक ‘धुनों की यात्रा’ का
सहयोग लिया है। गीतों के चयन के लिए हमने अपने पाठकों की फरमाइश का ध्यान
रखा है। यदि आप भी किसी राग, गीत अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना
आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव
प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments
आप और आपके सहयोगी सुजाॅय चेटर्जीका भी बहुत धन्यवाद।
विजया राजकोटिया