स्वरगोष्ठी – 295 में आज
नौशाद के गीतों में राग-दर्शन – 8 : खमाज की छाया लिये गीत
“चुनरिया कटती जाए रे, उमरिया घटती जाए...”
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मन्ना डे |
राग खमाज : “चुनरिया कटती जाए रे...” : मन्ना डे : फिल्म – मदर इण्डिया
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पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया |
राग खमाज : बाँसुरी पर मध्य-द्रुत लय की रचना : पण्डित हरिप्रसाद चौरसिया
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’ के 295वें अंक की संगीत
पहेली में आज हम आपको लगभग 6 दशक पहले की एक क्लासिक फिल्म के राग आधारित
गीत का अंश सुनवा रहे हैं। इस गीतांश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से
किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। पहेली क्रमांक 297 के सम्पन्न
होने के उपरान्त जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की
पाँचवीं श्रृंखला (सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – गीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि आपको किस राग की अनुभूति हो रही है?
2 – प्रस्तुत रचना किस ताल में निबद्ध है? ताल का नाम बताइए।
3 – आप इस गीत के गायक-स्वर को पहचान कर उनका नाम बताइए।
आप इन तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 10 दिसम्बर, 2016 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन उत्तर भेजने की
अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 297वें
अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत किये गए गीत-संगीत, राग
अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम
सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस मंच पर स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
इस बार की पहेली के प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं, जबलपुर से क्षिति तिवारी, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज़, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी और पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया। इनके अलावा फेसबुक पर ‘स्वरगोष्ठी’ की एक नियमित संगीत-प्रेमी सदस्य जेसिका मेनेजेस, जिन्होने तीन में से एक प्रश्न का सही उत्तर देकर एक अंक अर्जित किया है। जेसिका जी का हार्दिक स्वागत करते हुए हम आशा करते हैं की आगे भी वे पहेली में भाग लेती रहेंगी, भले ही उन्हें सभी प्रश्नो में से केवल एक ही उत्तर आता हो। सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ में अपने
सैकड़ों पाठकों के अनुरोध पर जारी हमारी ताज़ा लघु श्रृंखला “नौशाद के गीतों
में राग-दर्शन” के इस अंक में हमने आपको सुनवाने के लिए राग खमाज की छाया
लिये गीत का चुनाव किया था। इस श्रृंखला के लिए हमने संगीतकार नौशाद के
आरम्भिक दो दशकों की फिल्मों के गीत चुने हैं। श्रृंखला का आलेख को तैयार
करने में हमने फिल्म संगीत के जाने-माने इतिहासकार और हमारे सहयोगी
स्तम्भकार सुजॉय चटर्जी और लेखक पंकज राग की पुस्तक ‘धुनों की यात्रा’ का
सहयोग लिया है। गीतों के चयन के लिए हमने अपने पाठकों की फरमाइश का ध्यान
रखा है। यदि आप भी किसी राग, गीत अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना
आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव
प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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