"कभी तन्हाइयों में यूं हमारी याद आएगी..." जीतेजी मुबारक बेगम की याद किसी को नहीं आई, क्या उनके जाने के बाद आएगी?
एक गीत सौ कहानियाँ - 87
'कभी तन्हाइयों में यूं हमारी याद आएगी...'
रोज़ाना रेडियो पर, टीवी पर, कम्प्यूटर पर, और न जाने कहाँ-कहाँ, जाने कितने ही गीत सुनते हैं, और गुनगुनाते हैं। ये फ़िल्मी नग़में हमारे साथी हैं सुख-दुख के, त्योहारों के, शादी और अन्य अवसरों के, जो हमारे जीवन से कुछ ऐसे जुड़े हैं कि इनके बिना हमारी ज़िन्दगी बड़ी ही सूनी और बेरंग होती। पर ऐसे कितने गीत होंगे जिनके बनने की कहानियों से, उनसे जुड़े दिलचस्प क़िस्सों से आप अवगत होंगे? बहुत कम, है न? कुछ जाने-पहचाने, और कुछ कमसुने फ़िल्मी गीतों की रचना प्रक्रिया, उनसे जुड़ी दिलचस्प बातें, और कभी-कभी तो आश्चर्य में डाल देने वाले तथ्यों की जानकारियों को समेटता है 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' का यह स्तम्भ 'एक गीत सौ कहानियाँ'।इसकी 87-वीं कड़ी में आज जानिए 1961 की फ़िल्म ’हमारी याद आएगी’ के लोकप्रिय शीर्षक गीत "कभी तन्हाइयों में यूं हमारी याद आएगी..." के बारे में जिसे मुबारक बेगम ने गाया था। गीत लिखा है किदार शर्मा ने और संगीत दिया है स्नेहल भाटकर ने। मुबारक बेगम का 22 जुलाई 2016 को 80 वर्ष की उम्र में निधन हो गया।
"कभी तन्हाइयों में यूं हमारी याद आएगी" की रेकॉर्डिंग् से पहले। गीत रेकॉर्ड हुई, गाना ख़ूब ख़ूब चला, और सिर्फ़ यही गाना नहीं, मुबारक बेगम के बहुत से गीत ख़ूब चले भले वो फ़िल्में न चली हों। पर क़िस्मत को पता नहीं उनसे क्या दुश्मनी थी, ता-उम्र यह दुश्मनी बरक़रार रही। 18 जुलाई की रात जब मुबारक बेगम इस फ़ानी दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ गईं तब मानो अफ़सोस से ज़्यादा ख़ुशी हुई यह महसूस कर कि 80 साल की जद्दोजेहद और आर्थिक संकट के बाद अब वो बेशक़ एक बेहतर दुनिया में चली गईं हैं। और पीछे छोड़ गईं वह गीत जिसे सुनते हुए आज भी दिल रो उठता है, "कभी तन्हाइयों में यूं हमारी याद आएगी, अन्धेरे छा रहे होंगे कि बिजली कौंध जाएगी..."। आज मुबारक बेगम के जाने के बाद यह गीत और भी ज़्यादा सार्थक व रूहानी बन गया है। उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए आज ’एक गीत सौ कहानियाँ’ में इसी गीत के बनने की दासतान पेश है। बरसों पहले विविध भारती के वरिष्ठ उद्घोषक कमल शर्मा के साथ बातचीत के दौरान मुबारक बेगम ने इस गीत से जुड़ी उनकी यादों के उजाले को बिखेरा था; उन्हीं के शब्दों में, "शुरू में यह गाना रेकॉर्ड पर नहीं था, सिर्फ़ कुछ लाइनों को अलग अलग हिस्सों में बतौर बैकग्राउन्ड म्युज़िक लिया जाना था। मुझे याद है बी. एन. शर्मा गीतकार थे, स्नेहल और किदार शर्मा बैठे हुए थे। रेकॉर्डिंग् पूरी होने के बाद शर्मा (किदार) जी ने मुझे चार आने दिए। मैंने उनकी तरफ़ देखा तो कहने लगे कि ख़ुशनसीबी के तौर पे रख लीजिए। ये चार आने मेरे लिए वाक़ई लकी साबित हुए। जैसा कि मैं कह रही थी कि यह गाना रेकॉर्ड पर नहीं था, गाने के रूप में रेकॉर्ड भी नहीं हुआ था, पर बाद में उन सब को यह इतना पसन्द आया कि उन लोगों ने इसे गाने का रूप देना चाहा और रेकॉर्ड पर डालना चाहा। इसके लिए दोबारा रेकॉर्डिंग् नहीं हुई बल्कि उन अन्तरों और अस्थाइयों को जोड़ कर पूरा का पूरा गाना बना दिया। मैं आपको इस वक़्त नहीं बता सकती कि वो अलग अलग हिस्से कौन से थे, पर अगर आप यह गाना बजाओगे तो मैं बता दूँगी कि किन किन जगहों पर जोड़ा गया है। मुझे नहीं पता थी कि इसे एक गाना बनाया गया है, रेकॉर्ड जारी होने के बाद मुझे पता चली। मैंने इस गीत के लिए अपना हिस्सा नहीं माँगा क्योंकि मैं उस समय नई थी, इसलिए मैंने अपना मुंह बन्द रखने में ही अपनी भलाई समझी वरना जो कुछ मिल रही थी वो भी बन्द हो जाती। और ऐसा बाद में भी जारी रहा, मुझसे दो चार लाइने गवा लेते लोग और फिर उसका पूरा गाना बना देते। फ़िल्म ’जब जब फूल खिले’ का गीत "परदेसियों से ना अखियाँ मिलाना..." पहले मैंने गाया था। एक दिन कल्याणजी भाई ने अपनी गाड़ी भेज दी और मुझे उनके घर बुलवा लिया। पहुँचने पर मुझे समझाने लगे कि जो गीत मैंने गाया है उसकी जगह एक डुएट रखा जाएगा। मैंने सिर्फ़ इतना कहा कि मुझे बेवकूफ़ बनाने की ज़रूरत नहीं है, अगर आपको मेरा गीत कैन्सल करना है तो आप बेशक़ कीजिए, मुझे मेरा पैसा दे दीजिए, मैं चली जाऊँगी। तब कल्याणजी भाई कहने लगे कि मैं किसी की बद-दुआ से डरता हूँ। मैंने कहा कि बद-दुआ तो आपको लग चुकी, और वहाँ से चली आई। बद-दुआ और "कभी तन्हाइयों में..." से जुड़ा एक और क़िस्सा याद है, एक बार मैं ट्रेन से लखनऊ जा रही थी। तो एक सवारी ने मुझे पहचान लिया और पूछा कि आप बद-दुआ क्यों दे रही हैं कि ना तू जी सकेगा और ना तुझको मौत आएगी? मैंने उन्हें समझाया कि यह सिर्फ़ एक फ़िल्मी गाना है जिसे एक गीतकार ने लिखा है और मैंने तो सिर्फ़ इसे गाया है!"
’हमारी याद आएगी’ के निर्देशक किदार शर्मा ने अपनी आत्मकथा ’The One and Lonely Kidar Sharma’ में
Kidar Sharma |
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आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
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Shukriya is nayaab post ke liye.