तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी - 06
जैकी श्रॉफ़
इस तरह जयकिशन काकुभाई श्रॉफ़ बन गए जैकी श्रॉफ़
इस तरह जयकिशन काकुभाई श्रॉफ़ बन गए जैकी श्रॉफ़
’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी दोस्तों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार। दोस्तों, किसी ने सच ही कहा है कि यह ज़िन्दगी एक पहेली है जिसे समझ पाना नामुमकिन है। कब किसकी ज़िन्दगी में क्या घट जाए कोई नहीं कह सकता। लेकिन कभी-कभी कुछ लोगों के जीवन में ऐसी दुर्घटना घट जाती है या कोई ऐसी विपदा आन पड़ती है कि एक पल के लिए ऐसा लगता है कि जैसे सब कुछ ख़त्म हो गया। पर निरन्तर चलते रहना ही जीवन-धर्म का निचोड़ है। और जिसने इस बात को समझ लिया, उसी ने ज़िन्दगी का सही अर्थ समझा, और उसी के लिए ज़िन्दगी ख़ुद कहती है कि 'तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी'। इसी शीर्षक के अन्तर्गत इस नई श्रृंखला में हम ज़िक्र करेंगे उन फ़नकारों का जिन्होंने ज़िन्दगी के क्रूर प्रहारों को झेलते हुए जीवन में सफलता प्राप्त किये हैं, और हर किसी के लिए मिसाल बन गए हैं। आज का यह अंक केन्द्रित है फ़िल्म जगत के जाने माने अभिनेता जैकी श्रॉफ़ पर।
कुछ समय बाद जयकिशन को यह अहसास हुआ कि अब वक़्त आ गया है कि जीवन में कुछ उपार्जन करना चाहिए। होटलों और एयरलाइनों में उसने नौकरी की अर्ज़ियाँ दी पर सभी जगहों से "ना" ही सुनने को मिली। अन्त में ट्रेड विंग्स ट्रैवल अजेन्सी में टिकट ऐसिस्टैण्ट की एक नौकरी उसे मिली। कुछ दिनों बाद एक दिन जब वह सड़क पर से गुज़र रहा था तो एक मॉडेलिंग् एजेन्सी के एक महाशय ने उसकी कदकाठी को देखते हुए उसे मॉडेलिंग् का काम ऑफ़र कर बैठे। और इसी से जयकिशन के क़िस्मत का सितारा थोड़ा चमका। ख़ाली जेब में कुछ पैसे आने लगे। इसी मॉडेलिंग् के चलते उन्हें देव आनन्द की फ़िल्म ’स्वामी दादा’ में छोटा रोल निभाने का अवसर मिला। इस छोटे से सीन को सुभाष घई ने जब देखा तो उन्हें लगा कि इस लड़के में दम है और उन्होंने अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म ’हीरो’ में उसे हीरो बनाने का निर्णय ले लिया। और इस तरह से जयकिशन काकुभाई श्रॉफ़ बन गए जैकी श्रॉफ़। And rest is history!!! जैकी श्रॉफ़ जिस परिवार और समाज से निकल कर एक स्थापित अभिनेता बने हैं, उससे हमें यही सीख मिलती है कि ज़िन्दगी किसी पर भी मेहरबान हो सकती है, सही दिशा में बढ़ने का प्रयास करना चाहिए और बस सही समय का इन्तज़ार करना चाहिए। जैकी श्रॉफ़ के जीवन की इस कहानी को जानने के बाद यही कहा जा सकता है कि जैकी, तुझसे नाराज़ नहीं ज़िन्दगी!
खोज, आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
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