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Showing posts from January, 2014

रेखा भारद्वाज का स्नेह निमंत्रण ओर अरिजीत की रुमानियत भरी नई गुहार

ताज़ा सुर ताल - 2014 -04  हमें फिल्म संगीत का आभार मानना चाहिए कि समय समय पर हमारे संगीतकार हमारी भूली हुई विरासत ओर नई पीढ़ी के बीच की दूरी को कुछ इस तरह पाट देते हैं कि समय का लंबा अंतराल भी जैसे सिमट गया सा लगता है. मेरी उम्र के बहुत से श्रोताओं ने इस ठुमरी को बेगम अख्तर की आवाज़ में अवश्य सुना होगा, पर यक़ीनन उनसे पहले भी लखनऊ के नवाब वाजिद अली शाह के दरबार से निकली इस अवधी ठुमरी को बहुत से गुणी कलाकारों ने अपनी आवाज़ में ढाला होगा. लीजिए २०१४ में स्वागत कीजिये इसके एक ओर नए संस्करण का जिसे तराशा संवारा है विशाल -गुलज़ार के अनुभवी हाथों ने ओर आवाज़ के सुरमे से महकाया है रेखा भारद्वाज की सुरमई आवाज़ ने. मशहूर अभिनेत्री ओर कत्थक में निपुण माधुरी दीक्षित नेने एक बार फिर इस फिल्म से वापसी कर रही हैं रुपहले परदे पर. जी हाँ आपने सही पहचाना, देढ इश्किया  का ये गीत फिर एक बार ठुमरी को सिने संगीत में लौटा लाया है, हिंदी फिल्मों के ठुमरी गीतों पर कृष्णमोहन जी रचित पूरी सीरीस का आनंद हमारे श्रोता उठा चुके हैं. आईये सुनते हैं रेखा का ये खास अंदाज़....शब्द देखिये आजा गिलौरी खिलाय दूँ खिमामी, लाल

निराशा में डूबी रफ़ी साहब की बेखुद आवाज़ का नशा

खरा सोना गीत - हम बेखुदी में तुमको पुकारे चले गए  प्रस्तोता - अर्शना सिंह  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

‘बाँसुरी बाज रही धुन मधुर...’ : रागमाला गीत – 3

प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट रागों के रंग, रागमाला गीत के संग – 3 राग रामकली, तोड़ी, शुद्ध सारंग, भीमपलासी, यमन कल्याण, मालकौंस और भैरवी के इन्द्रधनुषी रंग ‘बाँसुरी बाज रही धुन मधुर...’ शिष्याओं को संगीत की तालीम देते उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ फिल्म : उमराव जान (1981) गायक : उस्ताद गुलाम मुस्तफा खाँ, शाहिदा खाँ और रूना प्रसाद संगीतकार : ख़ैयाम आलेख : कृष्णमोहन मिश्र स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन आपको यह प्रस्तुति कैसी लगी? अपनी प्रतिक्रिया और अपने सुझाव हमें radioplaybackindia@live.com पर भेजें।  

लता ओर मुकेश के स्वर संगम से बुना ये युगल गीत

खरा सोना गीत - एक मंजिल राही दो... प्रस्तोता - रचेता टंडन  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

गणतन्त्र दिवस पर विशेष : महात्मा गाँधी का प्रिय भजन

    स्वरगोष्ठी – 152 में आज रागों में भक्तिरस – 20 एक भजन जिसे राष्ट्रव्यापी सम्मान मिला      ‘वैष्णवजन तो तेने कहिए...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के संचालक मण्डल की ओर से सभी पाठकों-श्रोताओं को आज गणतन्त्र दिवस पर हार्दिक बधाई। आज के इस पावन राष्ट्रीय पर्व पर हम अपने साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर प्रस्तुत कर रहे हैं, एक विशेष अंक। आपको स्मरण ही होगा कि ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ जारी है। आज इस श्रृंखला की समापन कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हमने भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और कुछ प्रमुख भक्त कवियों की रचनाएँ प्रस्तुत की है। इसके साथ ही उस भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवाए। श्रृंखला की पिछली 19 कड़ियों में हमने हिन्दी के अलावा मराठी, कन्नड, गुजराती, राजस्थानी, ब्रज, अवधी आदि भाषा-बोलियों में रचे गए भक्तिगीतों का रसास्वादन कराने का प्रयास किया। आज श्रृंखला की समापन कड़ी में राष्ट्रीय

'सिने पहेली' में आज प्रस्तुत है गणतंत्र दिवस विशेष...

सिने पहेली –98 'सिने पहेली' के सभी प्रतियोगियों व पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! दोस्तों, कल 26 जनवरी, गणतंत्र दिवस है। इस शुभवसर पर हम आप सभी को हार्दिक शुभकामनायें देते हैं और आज की 'सिने पहेली' को समर्पित करते हैं देश के नाम। हिंदी सिनेमा में शुरू से ही देशभक्ति फ़िल्मों और देशभक्ति गीतों का चलन रहा है। ब्रिटिश शासन के दौरान भले ही देश भक्ति फ़िल्मों की संख्या उतनी न रह सकी हों, पर स्वाधीनता के बाद हर दशक में बहुत सारी देशभक्ति फ़िल्में बनीं व देशभक्ति के गीत लिखे गये जिन्होंने सिनेमा के इस जौनर को समृद्ध तो किया ही, साथ ही समाज को, नई पीढ़ी को अपने देश के प्रति कर्तवियों से अवगत करवाया। ऐसे फ़िल्मकारों और गीतकारों के हम आभारी हैं जिन्होंने इस दिशा में उल्लेखनीय क़दम उठाये। आज इस अंक के माध्यम से हम उन सभी फ़िल्मकारों और गीतकारों को झुक कर सलाम करते हैं। आज की पहेली में पूछे जाने वाले सवाल भी ऐसे ही देशभक्ति फ़िल्मों और गीतों पर आधारित हैं। आशा है आप सब आसानी से इन्हें सुलझा सकेंगे। तो चलिये, शुरू किया जाये आज क

धूम मचाती कमली ओर यारियाँ का अल्लाह वारियाँ

ताज़ा सुर ताल - 2014 -03  ताज़ा सुर ताल की नई कड़ी में आप सब का स्वागत है, नए साल के पहले महीने में भी धूम ३ की धूम जारी है. कहना गलत नहीं होगा कि फिल्म की सफलता में इसके संगीत की भी जबरदस्त भूमिका रही है. धूम ३ से एक ओर धमाकेदार गीत लेकर आज हम हाज़िर हैं. सुनिधि चौहान के क्या कहने, आईटम गीतों के लिए तो वो संगीत निर्देशकों की पहली पसंद मानी जा सकती हैं. यूँ धूम ३ के इस गीत को पूरी तरह एक आईटम गीत भी नहीं कहा जा सकता, पर सुनिधि ने गीत में जो ऊर्जा फूंकी है वो अविश्वसनीय है. गीत की आरंभिक पक्तियों से ही वो श्रोताओं को अपने साथ जोड़ लेती है ओर अगले ४ मिनट तक उस पकड़ में कहीं कोई लचक नहीं छूटती. इस गीत का जिक्र हो ओर प्रीतम दा के अद्भुत संगीत संयोजन की तारीफ न हो ये संभव नहीं है. ये गीत वेस्टर्न रिदम पर शुद्ध भारतीय वाद्यों की जबरदस्त जुगलबंदी करता है. गीत के प्रिल्यूड में ओर इंटरल्यूड में सितार का प्रयोग तो लाजवाब है. सुनिए ये दमदार गीत जिसे लिखा है समीर साहब ने.     नए साल की पहली हिट फिल्म है टीनएज लव की दास्ताँ कहती टी सीरीस की यारियाँ . इस फिल्म के गीत भी खासा पसंद किये

याद करें संगीतकार जोड़ी हुस्नलाल भगतराम को इस गीत के साथ

खरा सोना गीत - चुप चुप खड़े हो  प्रस्तोता - रचेता टंडन स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

रागमाला गीत -2 : प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट

प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट रागो के रंग, रागमाला गीत के संग – 2 राग भटियार, रामकली, देशी, शुद्ध सारंग, मुलतानी, यमन, बागेश्री और चन्द्रकौंस की छटा बिखेरता रागमाला गीत दो उस्तादों के गायन और वादन की अनूठी जुगलबन्दी फिल्म : गूँज उठी शहनाई संगीतकार : बसन्त देसाई गायक : उस्ताद अमीर खाँ शहनाई वादक : उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ आलेख : कृष्णमोहन मिश्र स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन 

लघु बोधकथा: मुनीश शर्मा

इस साप्ताहिक स्तम्भ "बोलती कहानियाँ" के अंतर्गत हम हर सप्ताह आपको हिन्दी में मौलिक और अनूदित, नई और पुरानी, प्रसिद्ध कहानियाँ और छिपी हुई रोचक खोजें सुनवाते रहे हैं। पिछली बार आपने अर्चना चावजी के स्वर में मनमोहन भाटिया की कथा " बड़ी दादी " का पाठ सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं मुनीश शर्मा द्वारा शब्दबद्ध आजके राजनीतिक परिदृश्य पर खरी उतरती एक लघु बोधकथा जिसे स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। इस "लघु बोधकथा" का कुल प्रसारण समय 2 मिनट 16 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें। अपनी मनमोहक वाणी के लिए प्रसिद्ध मुनीश शर्मा आजकल रेडियो जापान के हिन्दी विभाग में कार्यरत हैं और टोक्यो में रहते हैं। उनका ब्लॉग मयखाना है। हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी हिन्दी कहानी वह आने जाने वालों को सीं

मदन मोहन का रचा एक मास्टरपीस गीत

खरा सोना गीत - आप क्यों रोये  प्रस्तोता - मीनू सिंह  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

पण्डित पलुस्कर और तुलसी के राम

    स्वरगोष्ठी – 151 में आज रागों में भक्तिरस – 19 राम की बाललीला के चितेरे तुलसीदास को पलुस्कर जी ने गाया  ‘ठुमक चलत रामचन्द्र बाजत पैजनिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘रागों में भक्तिरस’ की उन्नीसवीं कड़ी के साथ मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-रसिकों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। मित्रों, इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम आपके लिए भारतीय संगीत के कुछ भक्तिरस प्रधान राग और कुछ प्रमुख भक्त कवियों की रचनाएँ प्रस्तुत कर रहे हैं। साथ ही उस भक्ति रचना के फिल्म में किये गए प्रयोग भी आपको सुनवा रहे हैं। श्रृंखला की पिछली कड़ी में हमने आपको सोलहवीं शताब्दी के कृष्णभक्त कवि सूरदास के एक लोकप्रिय पद- ‘मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो...’ पर सांगीतिक चर्चा की थी। यह पद कृष्ण की माखन चोरी लीला का वात्सल्य भाव से अभिसिंचित है। इसी क्रम में आज की कड़ी में हम राम की बाललीला का आनन्द लेंगे। गोस्वामी तुलसीदास अपने राम को ठुमक कर चलते हुए और पैजनी की मधुर ध्वनि बिखेरते हुए देखते हैं। तुलसीदास के इस पद को भारतीय संगीत क

"रहे न रहे हम महका करेंगे...", सुचित्रा सेन की पुण्य स्मृति को नमन करती है आज की 'सिने पहेली'

सिने पहेली –97 "जब हम ना होंगे, जब हमारी खाँक़ पे तुम रुकोगे चलते चलते, अश्कों से भीगी चाँदनी में एक सदा सी सुनोगे चलते चलते, वही पे कही हम तुम से मिलेंगे, बन के कली, बन के सबा, बाग-ए-वफ़ा में, रहे ना रहे हम..."! अभिनेत्री सुचित्रा सेन के निधन की ख़बर सुनते ही फ़िल्म 'ममता' के उन पर फ़िल्माये गीत के ये बोल जैसे कानों में गूंजने लगे। जनवरी के कड़ाके की ठंड से कंपकंपाती रात में इस वक़्त जब मैं अपने लैपटॉप पर सुचित्रा सेन की यादों को ताज़ा कर रहा हूँ, बाहर अचानक मुस्लाधार बारिश शुरू हो गई है, और जैसे सुचित्रा सेन की यादें भी बारिश के साथ घुल मिल कर छम छम बरस रही हैं। चली गईं बांगला सिनेमा की सबसे लोकप्रिय, सदाबहार व ख़ूबसूरत अभिनेत्री सुचित्रा सेन। बंगाल के बाहर के पाठकों को यह बता दूँ कि उत्तम कुमार व सुचित्रा सेन की जोड़ी बांगला सिनेमा की सर्वाधिक लोकप्रिय जोड़ी रही है, और इस जोड़ी की फ़िल्में आज पाँच -छह दशक बाद भी हर बांगला टीवी चैनल पर नियमित रूप से दिखाई जाती है। बदलते दौर के साथ-साथ जहाँ सब कुछ बदल चुका है, सुचित्र

बॉलीवुड के खान'दान की संगीतमयी भिडंत

ताज़ा सुर ताल - 2014 - 02 ताज़ा सुर ताल के नए अंक में आपका स्वागत है. आज हम आमने सामने ला रहे हैं बॉलीवुड के दो बड़े 'खान' को. २०१३ के अंत में आई धूम ३ ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. सबसे अधिक कमाई करने वाली इस फिल्म का संगीत भी श्रोताओं को बहुत रास आया है. प्रीतम ने एक बार फिर से साबित किया है ऐसी बड़ी फिल्मों की बागडोर सँभालने में उनसे बेहतर कोई नहीं है. समीर के शब्दों में सूफी रंग बहुत खूब जचा है. भाग मिल्खा भाग  के गीतों से अपनी दमदार उपस्तिथि दर्ज करने के बाद सिद्धार्थ महादेवन ने एक बार फिर अपनी सशक्त आवाज़ से पूरे गीत पर अपनी पकड़ बनाये रखी है, गीत का एक चौंकाने वाला पक्ष रहा शिल्पा राव की आवाज़. अमित त्रिवेदी की टीम का अहम अंग रही शिल्पा ने पिछले साल ही मुरब्बा  ओर मनमर्जियाँ  जैसे गहरे गीत गाए थे, पर मलंग  में उनका एक नया ही सुखद अंदाज़ सुनने को मिला है. कहा जाता है ये बॉलीवुड में अब तक का सबसे महंगा गीत है. देश विदेश से बड़े बड़े जिमनास्टिकों की पूरी फ़ौज है इसमें ओर इस गीत में लगभग ५ करोड का खर्चा आया है. बहरहाल गीत को परदे पर देखना वाकई सुखद है. एक ओर जानकारी आपको दे

जब दिलीप साहब को मिली तलत साहब की मखमली आवाज़

खरा सोना गीत - जब जब फूल खिले  प्रस्तोता - दीप्ती सक्सेना  स्क्रिप्ट - सुजॉय चट्टर्जी  प्रस्तुति - संज्ञा टंडन 

रागमाला गीत – 1 : प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट

  प्लेबैक इण्डिया ब्रोडकास्ट रागो के रंग, रागमाला गीत के संग – 1 राग बहार, बागेश्री, यमन कल्याण, केदार, भैरव और मेघ मल्हार के रंग बिखेरता रागमाला गीत ‘मधुर मधुर संगीत सुनाओ...’ फिल्म : संगीत सम्राट तानसेन  संगीतकार : एस.एन. त्रिपाठी  गायक : पूर्णिमा सेठ, पंढारीनाथ कोल्हापुरे और मन्ना डे आलेख : कृष्णमोहन मिश्र  स्वर एवं प्रस्तुति : संज्ञा टण्डन