सिने पहेली –97
"जब हम ना होंगे, जब हमारी खाँक़ पे तुम रुकोगे चलते चलते,
अश्कों से भीगी चाँदनी में एक सदा सी सुनोगे चलते चलते,
वही पे कही हम तुम से मिलेंगे, बन के कली, बन के सबा, बाग-ए-वफ़ा में,
रहे ना रहे हम..."!
अभिनेत्री सुचित्रा सेन के निधन की ख़बर सुनते ही फ़िल्म 'ममता' के उन पर फ़िल्माये गीत के ये बोल जैसे कानों में गूंजने लगे। जनवरी के कड़ाके की ठंड से कंपकंपाती रात में इस वक़्त जब मैं अपने लैपटॉप पर सुचित्रा सेन की यादों को ताज़ा कर रहा हूँ, बाहर अचानक मुस्लाधार बारिश शुरू हो गई है, और जैसे सुचित्रा सेन की यादें भी बारिश के साथ घुल मिल कर छम छम बरस रही हैं। चली गईं बांगला सिनेमा की सबसे लोकप्रिय, सदाबहार व ख़ूबसूरत अभिनेत्री सुचित्रा सेन। बंगाल के बाहर के पाठकों को यह बता दूँ कि उत्तम कुमार व सुचित्रा सेन की जोड़ी बांगला सिनेमा की सर्वाधिक लोकप्रिय जोड़ी रही है, और इस जोड़ी की फ़िल्में आज पाँच -छह दशक बाद भी हर बांगला टीवी चैनल पर नियमित रूप से दिखाई जाती है। बदलते दौर के साथ-साथ जहाँ सब कुछ बदल चुका है, सुचित्रा सेन की फ़िल्मों का जादू आज भी सर चढ़ कर बोलते है। हिन्दी में उन्होंने गिनी-चुनी फ़िल्में ही कीं, पर उनका भी अपना अलग मुकाम है, अलग पहचान है। 'सिने पहली' के मेरे दोस्तों, आइए आज की 'सिने पहेली' का यह अंक हम समर्पित करें बांगला सौन्दर्य सुचित्रा सेन की पुण्य स्मृति को।
आज की पहेली : सुचित्रा सेन विशेष
आज की पहेली केन्द्रित है अभिनेत्री सुचित्रा सेन पर। तो ये रहे उनसे जुड़े कुछ सवाल। हर सवाल के सही जवाब पर 2.5 अंक आपको दिये जायेंगे।
1. सुचित्रा सेन पर फ़िल्माये आशा भोसले का गाया यह गीत है संगीतकार सी. रामचन्द्र का स्वरबद्ध किया हुआ। इस गीत को सुनते हुए आपको अहसास होगा कि सी. रामचन्द्र ने फ़िल्म 'अनारकली' के मशहूर गीत "ये ज़िन्दगी उसी की है जो किसी का हो गया" की धुन को कुछ हद तक इसी गीत की धुन पर आधारित किया था। फ़िल्म में नायक रहे देव आनन्द। क्या आप बता सकते हैं आशा भोसले और साथियों का गाया यह गीत कौन सा गीत है?
2. आशा भोसले और साथियों का ही गाया एक और गीत है सुचित्रा सेन पर फ़िल्माया हुआ। कहा जाता है कि इस गीत के मूल धुन की रचना 1920 में वी. जगन्नाथ राव ने किया था। इस धुन का इस्तमाल संगीतकार सी. आर. सुब्बुरमण ने 1950 की अपने किसी फ़िल्म के गीत में किया था। पाँच साल बाद 1955 में संगीतकार मास्टर वेणु ने इसी धुन का इस्तमाल किया अपनी फ़िल्म में, और एक बार फिर इसी धुन का इस्तमाल हुआ इसके अगले ही साल 1956 की एक फ़िल्म में, इस बार संगीतकार थे एस. दक्षिणामूर्ती। और इसी धुन का इस्तमाल आशा भोसले के गाये इस हिन्दी गीत में भी किया गया। तो अंदाज़ा लगाइये यह कौन सा गीत है भला?
3. सुचित्रा सेन पर फ़िल्माये लता मंगेशकर के गाये इस बेहद मशहूर गीत के लिए एक सिचुएशन ऐसी बनी थी कि जिसमें बचपन, जवानी और बुढापा को दर्शाना था संगीत के माध्यम से। और संगीतकार ने क्या ख़ूब उतारा उम्र के इन तीन पड़ावों को इस गीत में! ज़रा सोचिये कि यह मशहूर गीत भला कौन सा हो सकता है?
4. सुचित्रा सेन पर फ़िल्माया हुआ लता मंगेशकर का गाया यह एक बहुत ही कर्णप्रिय गीत है हेमन्त कुमार का स्वरबद्ध किया हुआ। इसका एक बांग्ला संस्करण भी है हेमन्त कुमार का गाया हुआ। गीत का एक दृश्य नीचे दिया गया है। क्या इसे देख कर आप गीत पहचान सकते हैं?
अपने जवाब आप हमें cine.paheli@yahoo.com पर 23 जनवरी शाम 5 बजे तक ज़रूर भेज दीजिये।
पिछली पहेली का हल
1. ख़ूबसूरत
2. ग़ज़ल
3. नैना
4. एक शोला
5. दिल
6. ज़िन्दगी
7. आँचल
8. काजल
9. धड़कन
10. शबनम
गीत - ये नैना ये काजल ये ज़ुल्फ़ें ये आँचल.....ख़ूबसूरत सी हो तुम ग़ज़ल, कभी दिल हो कभी धड़कन कभी शोला कभी शबनम, तुम ही हो तुम मेरी हमदम........ज़िन्दगी..... तुम मेरी, मेरी तुम ज़िन्दगी.........(फिल्म - दिल से मिले दिल)
पिछली पहेली के विजेता
और अब इस सेगमेण्ट के सम्मिलित स्कोर कार्ड पर एक नज़र...
इस सेगमेण्ट की समाप्ति पर जिन पाँच प्रतियोगियों के 'महाविजेता स्कोर कार्ड' पर सबसे ज़्यादा अंक होंगे, वो ही पाँच खिलाड़ी केवल खेलेंगे 'सिने पहेली' का महामुकाबला और इसी महामुकाबले से निर्धारित होगा 'सिने पहेली महाविजेता'।
एक ज़रूरी सूचना:
'महाविजेता स्कोर कार्ड' में नाम दर्ज होने वाले खिलाड़ियों में से कौछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो इस खेल को छोड़ चुके हैं, जैसे कि गौतम केवलिया, रीतेश खरे, सलमन ख़ान, और महेश बसन्तनी। आप चारों से निवेदन है (आपको हम ईमेल से भी सूचित कर रहे हैं) कि आप इस प्रतियोगिता में वापस आकर महाविजेता बनने की जंग में शामिल हो जायें। इस सेगमेण्ट के अन्तिम कड़ी तक अगर आप वापस प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुए तो महाविजेता स्कोर कार्ड से आपके नाम और अर्जित अंख निरस्त कर दिये जायेंगे और अन्य प्रतियोगियों को मौका दे दिया जायेगा।
तो आज बस इतना ही, नये साल में फिर मुलाक़ात होगी 'सिने पहेली' में। लेकिन 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के अन्य स्तंभ आपके लिए पेश होते रहेंगे हर रोज़। तो बने रहिये हमारे साथ और सुलझाते रहिये अपनी ज़िंदगी की पहेलियों के साथ-साथ 'सिने पहेली' भी, अनुमति चाहूँगा, नमस्कार!
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
Comments
koi pics available nahi hai.
ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद। अब चित्र लगा दिया गया है।