सिने पहेली –95
'सिने पहेली' के सभी चाहनेवालों को सुजॉय चटर्जी का सप्रेम नमस्कार! और साथ ही नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें! दोस्तों, पिछले दिनों छुट्टियों का मौसम रहा। साल का अन्तिम सप्ताह पर्यटन का सप्ताह होता है, और आप भी ज़रूर कहीं न कहीं घूम आये होंगे। लेकिन साल के उस अन्तिम सप्ताह में अभिनेता फ़ारूख़ शेख़ के देहान्त का समाचार सुन कर दिल ग़मगीन हो गया। फ़ारूख़ शेख़ एक लाजवाब अभिनेता थे, उनका अपना ही एक अन्दाज़ था, जो सबसे अलग, सबसे जुदा था। अभिनय में इतनी सहजता थी कि उनके द्वारा निभाया हुआ कर किरदार बिल्कुल सच्चा लगता था। शारीरिक गठन, चेहरा और अभिनय, कुल मिला कर उनका व्यक्तित्व ऐसा था कि उनके द्वारा निभाया किरदार हमारे परिवार का ही कोई सदस्य जैसा जान पड़ता था। और शायद यही वजह है कि फ़ारूख़ साहब हम सब के चहेते रहे। लगता ही नहीं कि वो आज हमारे बीच मौजूद नहीं हैं। आइए इस बेमिसाल फ़नकार की पुण्य स्मृति को समर्पित करते हैं आज की यह 'सिने पहेली'। 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' की तरफ़ से फ़ारूख़ शेख़ को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि।
आज की पहेली : फ़ारूख़ शेख़ विशेष
फ़ारूख़ शेख़ को समर्पित आज की पहेली में हम आप से पूछ रहे हैं दो सवाल। नीचे फ़ारूख़ शेख़ अभिनीत दो फ़िल्मों की कहानियाँ दी गई हैं। इन कहानियों को पढ़ कर आपको इन फ़िल्मों को पहचानना होगा। 80 के दशक में दूरदर्शन पर आप ने इन फ़िल्मों को ज़रूर देखा होगा, इसलिए आज की यह पहेली ज़्यादा मुश्किल नहीं होनी चाहिये आपके लिए। है न? तो चलिए, पढ़िये इन कहानियों को झट से पहचान लीजिये इनकी फ़िल्मों को। (5 + 5 = 10 अंक)
1. ओमी और जय, दो युवक, लड़कियों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति रखते हैं। जब उनके पड़ोस में एक नई लड़की नेहा आती है, तो उसे भी प्रभावित करने की कोशिश करते हैं पर बुरी तरह से असफल होते हैं। लेकिन ओमी और जय के साथ ही रूम शेअर करने वाले तीसरे युवक हैं सिद्धार्थ, जो काफ़ी शर्मीले स्वभाव का है और किताबों में डूबा रहता है। सिद्धार्थ और नेहा एक दूसरे से प्यार करने लगते हैं। ओमी और जय से यह सहन नहीं होता, और दोनों मिल कर सिद्धार्थ और नेहा को अलग करने की हास्यास्पद तरीके इख़्तियार करते हैं। बड़ी मज़ेदार फ़िल्म रही थी यह।
2. राजाराम पी. जोशी एक मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुख़ रखने वाला क्लर्क है जो बम्बई के एक चाल में रहते हैं। वो अपने पड़ोसी संध्या से मन ही मन प्यार करते हैं, पर अपने दिल की बात उससे कह नहीं पाते। राजाराम के बातूनी दोस्त वासुदेव उसके यहाँ रहने आते हैं। वासुदेव और संध्या को एक दूसरे से प्यार हो जाता है, और राजाराम के परिवार वाले दोनों की शादी भी तय कर देते हैं। राजाराम अब भी कुछ नहीं कह पाते। लेकिन वासुदेव और संध्या के मंगनी के दिन वासुदेव गायब हो जाते हैं और मंगनी रद्द हो जाती है। संध्या टूट जाती है। राजाराम संध्या से इस क़दर प्यार करता है कि वो उससे अब भी शादी करने को तैयार हो जाता है और अपने दिल की बात उसे कह देता है। पर संध्या उसे बताती है कि वो वासुदेव के बच्चे की माँ बनने वाली है। क्या राजाराम अब भी संध्या को अपनाते हैं, या फिर क्या वासुदेव वापस आता है, यही है इस फ़िल्म की कहानी।
अपने जवाब आप हमें cine.paheli@yahoo.com पर 9 जनवरी शाम 5 बजे तक ज़रूर भेज दीजिये।
पिछली पहेली का हल
1. "जॉन जॉनी जनार्दन..." (नसीब) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेता इस गीत में नज़र आते हैं।
2. "गुणी जनो, भक्त जनो..." (आँसू और मुस्कान) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेताओं के नाम इस गीत में आते हैं।
3. a) "मैं लगती हूँ श्रीदेवी लगती हूँ" (नाकाबन्दी) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेत्रियों के नाम इस गीत में आते हैं।
3. b) "कभी तू छलिया लगता है" (पत्थर के फूल) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेत्रियों द्वारा अभिनीत फ़िल्मों के नाम इस गीत में आते हैं।
4. "सुन सुन सुन मेरी श्रीदेवी" (हम फ़रिश्ते नहीं) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेत्रियों के नाम इस गीत में आते हैं।
5. "देखो देखो है शाम बड़ी दीवानी" (ओम शान्ति ओम) -- चित्र में दिखाये गये अभिनेता इस गीत में नज़र आते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
इस सेगमेण्ट का सम्मिलित स्कोर कार्ड कुछ इस तरह का बना...
इस सेगमेण्ट की समाप्ति पर जिन पाँच प्रतियोगियों के 'महाविजेता स्कोर कार्ड' पर सबसे ज़्यादा अंक होंगे, वो ही पाँच खिलाड़ी केवल खेलेंगे 'सिने पहेली' का महामुकाबला और इसी महामुकाबले से निर्धारित होगा 'सिने पहेली महाविजेता'।
एक ज़रूरी सूचना:
'महाविजेता स्कोर कार्ड' में नाम दर्ज होने वाले खिलाड़ियों में से कौछ खिलाड़ी ऐसे हैं जो इस खेल को छोड़ चुके हैं, जैसे कि गौतम केवलिया, रीतेश खरे, क्षिति तिवारी, सलमन ख़ान, और महेश बसन्तनी। आप चारों से निवेदन है (आपको हम ईमेल से भी सूचित कर रहे हैं) कि आप इस प्रतियोगिता में वापस आकर महाविजेता बनने की जंग में शामिल हो जायें। इस सेगमेण्ट के अन्तिम कड़ी तक अगर आप वापस प्रतियोगिता में शामिल नहीं हुए तो महाविजेता स्कोर कार्ड से आपके नाम और अर्जित अंख निरस्त कर दिये जायेंगे और अन्य प्रतियोगियों को मौका दे दिया जायेगा।
तो आज बस इतना ही, नये साल में फिर मुलाक़ात होगी 'सिने पहेली' में। लेकिन 'रेडियो प्लेबैक इण्डिया' के अन्य स्तंभ आपके लिए पेश होते रहेंगे हर रोज़। तो बने रहिये हमारे साथ और सुलझाते रहिये अपनी ज़िंदगी की पहेलियों के साथ-साथ 'सिने पहेली' भी, अनुमति चाहूँगा, नमस्कार!
प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
Comments
आभार ।
"kabhi tu chhalia lagta hai" geet darasal prashna-3 ka uttar hai, 4 ka nahin. galti se maine prashna-4 ke jawab mein likh diya. ise correct kar doonga.
Sujoy