कुछ एलबम्स ऐसी होती हैं जिनके बारे में लिखते हुए वाकई दिल से खुशी का अनुभव मिलता है, क्योंकि खुशियों की ही तरह अच्छे संगीत को बांटना भी बेहद सुखद सा एहसास होता है, आज हम एक ऐसे ही एल्बम का जिक्र आपसे साँझा करने वाले हैं. वैसे इन दिनों हिंदी फिल्म संगीत प्रेमियों की चांदी है. राँझना , और लूटेरा का संगीत पहले ही संगीत प्रेमियों को खूब रास आ रहा है ऐसे में एक और दमदार एल्बम की आमद हो जाए तो और भला क्या चाहिए.
दोस्तों बायोपिक यानी किसी व्यक्ति विशेष के जीवन पर हमारे यहाँ बहुत कम फ़िल्में बनी हैं, शायद इसकी वजह निर्माता निर्देशकों के विवादों और कानूनी झमेलों से बचने की प्रवर्ति है, खैर आज हम चर्चा करेंगें भाग मिल्खा भाग के संगीत पक्ष की. भाग मिल्खा...धावक मिल्खा सिंह की जीवनी है जहाँ मिल्खा बने हैं फरहान अख्तर. फिल्म का संगीत पक्ष संभाला है शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी ने और गीत लिखे हैं प्रसून जोशी ने.
एल्बम की शुरुआत दिलेर मेहदी के रूहानी स्वर में नानक नाम जहाज़ दा से होती है. मात्र डेढ़ मिनट की इस गुरबानी से बेहतर शुरुआत भला क्या हो सकती थी. इसके तुरंत बाद शुरू होता है गीत जिंदा ...शंकर महादेवन के सुपत्र सिद्धार्थ ने क्या दमदार आवाज़ में गाया है इसे, सच कहें तो इस एक गीत में उन्होंने दिखा दिया है कि उनकी क्षमताएं आपार है. गीत में ऊर्जात्मक हिस्से हैं तो कुछ नार्मोनाजुक पहलू भी हैं और कहीं से भी सिद्धार्थ नहीं लगते कि अपना पहला गीत गा रहे हों. वाह इंडस्ट्री इस जबरदस्त गायक से ढेरों संभावनाएं तलाश सकती है. लीजिए सिद्धार्थ की तारीफ में हम संगीतकार गीतकार का जिक्र तो भूल ही गए. भाई ये गीत है ही कुछ ऐसा, संगीतकार तिकड़ी और प्रसून के सबसे बहतरीन कामों में से एक. सिर्फ एक शब्द में कहें तो अद्भुत.
लेकिन रुकिए अगर जिंदा ने आपके भीतर की आग को फिर से जिन्दा कर दिया हो तो अगला गीत अलफ अल्लाह को सुनते हुए आप सुरों की स्वर लहरियों में पूरी तरह डूब जाएँ तो भी गम न करें. अब इतना मधुर हो गीत तो सब कुछ माफ है. वो नूर का झरना है मैं प्यास पुरानी जैसे शब्द और जावेद बशीर की दिलकश आवाज़ एक अलग ही समां बाँध देते हैं. हर गीत के लिए सबसे उपयुक्त गायक का चुनाव इस संगीतकार तिकड़ी की सबसे बड़ी खासियत रही है. गीत का संयोजन बेहद सधा हुआ है और बिना किसी पेचोखम के गीत दिल में उतर जाता है. इसे आप लूप में लगाकर चाहें तो पूरा दिन सुन सकते हैं.
कुछ अलग तरह के गीतों से धीरे धीरे अपनी पहचान बना रहे हैं गायक दिव्या कुमार जिनकी आवाज़ में है अगला गीत मस्तों का झुण्ड . गीत मरदाना शान का बखान है और कोरस में उपयुक्त स्वरों में वही मरदाना खिलंदडपन झलकता है. आर डी बर्मन अंदाज़ में कुछ ठेठ वाध्यों से माहौल की मस्ती को उभरा गया है. बीन जैसे किसी वाध्य का पार्श्व में शानदार इस्तेमाल हुआ है. फौजियों की घर परिवार से दूर के जीवन की झलक भी प्रसून के शब्दों में खूब झलकती है.
जिसने भी उनका जुगनी सुना वो उनका दीवाना हो गया, जी हाँ हम बात कर रहे हैं पाकिस्तानी गायक आरिफ लोहार की. सरिया वो सरिया मोड दे आग का दरिया जैसे शब्दों से प्रसून ने एक बेहद प्रेरणात्मक गीत लिखा है. जिसे खुल कर बिखर जाने दिया है आरिफ से स्वरों में शंकर एहसान लॉय ने....गायक ने गीत को गाया ही नहीं जिया है. एक बेमिसाल गीत जिसे बरसों बरसों गाया गुनगुनाया जायेगा.
लॉय मेंडोंसा के ताजगी भरे स्वरों से खुलता है स्लो मोशन अंग्रेजा गीत, जिसके बाद सुखविंदर अपने अलग ही अंदाज़ में सामने आते हैं और गीत कई करवट लेता हुआ उड़ने लगता है. वाह क्या अंदाज़ है गायन का, शब्द दिलचस्प है और संगीत में भारतीय और पाश्चात्य का मेल इतना सहज है कि कब कौन सा अंदाज़ गीत पर हावी होता है सुनते हुए श्रोता इस बात को लगभग भूल सा जाता है. ये गीत एल्बम के अन्य सभी गीतों से एकदम अलग है और एल्बम को विविधता देता है.
एल्बम का अंतिम गीत ओ रंगरेज में जावेद बशीर का साथ दिया है श्रेया घोषाल ने. जावेद द्वारा एक बहुत ही अंतरंग शुरुआत के बाद श्रेया की आवाज़ से गीत का अपेक्षाकृत सरल पहलू खुलता है. राजस्थानी लोक वाध्यों, सारंगी के स्वर और तबले की थाप पर दोनों गायकों की सुन्दर गायिकी इस गीत को बेहद खास बना देते हैं. पूरी तरह से भारतीय अंदाज़ का गीत...एक सुरीला जादू जैसा...वाह. एल्बम में शीर्षक गीत का एक रोक्क् संस्करण भी है एक बार फिर सिद्धार्थ महादेवन की आवाज़ में. क्या कहें ये गायक तो वाकई जबरदस्त है. यकीन मानिये ये रोक्क् संस्करण भी उतना ही प्रेरणादायक है.
क्या कहें इस एल्बम के बारे में, एक एक गीत जैसे तराशा हुआ हीरा हो. मेरी राय में तो ये एल्बम इस साल की अब तक सबसे जबरदस्त प्रस्तुति रही है. एक लंबे अंतराल बाद शंकर एहसान लॉय की तिकड़ी लौटी है और देखिये क्या शानदार वापसी है ये. ५/५ है हमारी रेटिंग...आपकी राय क्या है ? जरूर सुनें और बताएं...
संगीत समीक्षा - सजीव सारथी
आवाज़ - अमित तिवारी
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