ओल्ड इस गोल्ड शृंखला # 778/2011/218
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी श्रोता-पाठकों का स्वागत है इस स्तंभ में जारी शृंखला 'जहाँ तुम चले गए' की आठवीं कड़ी में। आपको याद दिला दें कि यह शृंखला समर्पित है ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह को जिनका हाल में निधन हो गया। ७० के दशक में ग़ज़ल गायकी पर जिन कलाकारों का दबदबा था वो थे नूरजहाँ, मल्लिका पुखराज, बेगम अख़्तर, तलत महमूद, और महदी हसन। इन महारथियों के होने के बावजूद जगजीत सिंह नें अपनी पहचान बना ही ली। १९७६ में उनका पहला एल.पी रेकॉर्ड बाज़ार में आया 'The Unforgetables' के शीर्षक से। इस ऐल्बम की ख़ास बात यह थी कि उन दिनों ग़ज़ल गायकी शास्त्रीय संगीत आधारित हुआ करता था, पर जगजीत सिंह नें हल्के-फुल्के अंदाज़ में ग़ज़लों को गाया और बहुत लोकप्रिय हुईं ये ग़ज़लें। ग़ज़ल के रेकॉर्डों की बिक्री के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए उनकी गाई ग़ज़लों नें। १९६७ में जगजीत सिंह की मुलाक़ात चित्रा से हुई थी जो ख़ुद भी एक गायिका थीं। दो साल बाद दोनों नें शादी कर ली और उनकी यह जोड़ी पहली पति-पत्नी की जोड़ी थी जो गायक-गायिका के रूप में साथ में पर्फ़ॉर्म किया करते। ग़ज़ल जगत को समृद्ध करने में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन दोनों नें जिन ऐल्बमों में साथ में गाया है उनमें शामिल हैं 'Ecstasies', 'A Sound Affair', 'Passions', 'Beyond Time'.
२८ जुलाई १९९० को जगजीत-चित्रा का एकलौता बेटा विवेक एक सड़क दुर्घटना में चल बसा। इसके बाद जगजीत और चित्रा का साथ में बस एक ही ऐल्बम आया 'Someone Somewhere' और इसके बाद चित्रा सिंह नें गाना छोड़ दिया। जगजीत सिंह अक्सर "मिट्टी दा बावा" गीत गाया करते थे जो चित्रा नें किसी पंजाबी फ़िल्म में गाया था और यह गीत कहीं न कहीं उन दोनों की ही कहानी बयान करता, जिसमें कहानी थी अपने किसी प्यारे जन को बहुत ही कम उम्र में खोने की। दोस्तों, आज हम जिस गीत को सुनने जा रहे हैं, उसका संगीत जगजीत सिंह नें नहीं बनाई है, बल्कि यह एक पारम्परिक ठुमरी है, जिसे समय समय पर कई कलाकारों नें गाया है। "बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाये", जी हाँ, जगजीत सिंह और चित्रा सिंह नें यह ठुमरी १९७४ की फ़िल्म 'आविष्कार' के लिए गाई थी। बासु भट्टाचार्य निर्देशित इस फ़िल्म में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर मुख्य कलाकार थे और संगीत था कानु रॉय का। इस ठुमरी को एक पार्श्वसंगीत के रूप में फ़िल्म में ईस्तेमाल किया गया है। राग भैरवी में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की आवाज़ में यह ठुमरी एक अलग ही अहसास कराती है। आइए आनन्द लें।
चलिए अब खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
कुलदीप सिंह के संगीत में जगजीत चित्रा की जोड़ी थी इस युगल गीत में
पिछले अंक में
सही कहा अमित जी वाकई शानदार गाया है :)
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
'ओल्ड इज़ गोल्ड' के सभी श्रोता-पाठकों का स्वागत है इस स्तंभ में जारी शृंखला 'जहाँ तुम चले गए' की आठवीं कड़ी में। आपको याद दिला दें कि यह शृंखला समर्पित है ग़ज़ल सम्राट जगजीत सिंह को जिनका हाल में निधन हो गया। ७० के दशक में ग़ज़ल गायकी पर जिन कलाकारों का दबदबा था वो थे नूरजहाँ, मल्लिका पुखराज, बेगम अख़्तर, तलत महमूद, और महदी हसन। इन महारथियों के होने के बावजूद जगजीत सिंह नें अपनी पहचान बना ही ली। १९७६ में उनका पहला एल.पी रेकॉर्ड बाज़ार में आया 'The Unforgetables' के शीर्षक से। इस ऐल्बम की ख़ास बात यह थी कि उन दिनों ग़ज़ल गायकी शास्त्रीय संगीत आधारित हुआ करता था, पर जगजीत सिंह नें हल्के-फुल्के अंदाज़ में ग़ज़लों को गाया और बहुत लोकप्रिय हुईं ये ग़ज़लें। ग़ज़ल के रेकॉर्डों की बिक्री के सारे रेकॉर्ड तोड़ दिए उनकी गाई ग़ज़लों नें। १९६७ में जगजीत सिंह की मुलाक़ात चित्रा से हुई थी जो ख़ुद भी एक गायिका थीं। दो साल बाद दोनों नें शादी कर ली और उनकी यह जोड़ी पहली पति-पत्नी की जोड़ी थी जो गायक-गायिका के रूप में साथ में पर्फ़ॉर्म किया करते। ग़ज़ल जगत को समृद्ध करने में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। इन दोनों नें जिन ऐल्बमों में साथ में गाया है उनमें शामिल हैं 'Ecstasies', 'A Sound Affair', 'Passions', 'Beyond Time'.
२८ जुलाई १९९० को जगजीत-चित्रा का एकलौता बेटा विवेक एक सड़क दुर्घटना में चल बसा। इसके बाद जगजीत और चित्रा का साथ में बस एक ही ऐल्बम आया 'Someone Somewhere' और इसके बाद चित्रा सिंह नें गाना छोड़ दिया। जगजीत सिंह अक्सर "मिट्टी दा बावा" गीत गाया करते थे जो चित्रा नें किसी पंजाबी फ़िल्म में गाया था और यह गीत कहीं न कहीं उन दोनों की ही कहानी बयान करता, जिसमें कहानी थी अपने किसी प्यारे जन को बहुत ही कम उम्र में खोने की। दोस्तों, आज हम जिस गीत को सुनने जा रहे हैं, उसका संगीत जगजीत सिंह नें नहीं बनाई है, बल्कि यह एक पारम्परिक ठुमरी है, जिसे समय समय पर कई कलाकारों नें गाया है। "बाबुल मोरा नैहर छूटो ही जाये", जी हाँ, जगजीत सिंह और चित्रा सिंह नें यह ठुमरी १९७४ की फ़िल्म 'आविष्कार' के लिए गाई थी। बासु भट्टाचार्य निर्देशित इस फ़िल्म में राजेश खन्ना और शर्मिला टैगोर मुख्य कलाकार थे और संगीत था कानु रॉय का। इस ठुमरी को एक पार्श्वसंगीत के रूप में फ़िल्म में ईस्तेमाल किया गया है। राग भैरवी में जगजीत सिंह और चित्रा सिंह की आवाज़ में यह ठुमरी एक अलग ही अहसास कराती है। आइए आनन्द लें।
चलिए अब खेलते हैं एक "गेस गेम" यानी सिर्फ एक हिंट मिलेगा, आपने अंदाजा लगाना है उसी एक हिंट से अगले गीत का. जाहिर है एक हिंट वाले कई गीत हो सकते हैं, तो यहाँ आपका ज्ञान और भाग्य दोनों की आजमाईश है, और हाँ एक आई डी से आप जितने चाहें "गेस" मार सकते हैं - आज का हिंट है -
कुलदीप सिंह के संगीत में जगजीत चित्रा की जोड़ी थी इस युगल गीत में
पिछले अंक में
सही कहा अमित जी वाकई शानदार गाया है :)
खोज व आलेख- सुजॉय चट्टर्जी
इन्टरनेट पर अब तक की सबसे लंबी और सबसे सफल ये शृंखला पार कर चुकी है ५०० एपिसोडों लंबा सफर. इस सफर के कुछ यादगार पड़ावों को जानिये इस फ्लेशबैक एपिसोड में. हम ओल्ड इस गोल्ड के इस अनुभव को प्रिंट और ऑडियो फॉर्मेट में बदलकर अधिक से अधिक श्रोताओं तक पहुंचाना चाहते हैं. इस अभियान में आप रचनात्मक और आर्थिक सहयोग देकर हमारी मदद कर सकते हैं. पुराने, सुमधुर, गोल्ड गीतों के वो साथी जो इस मुहीम में हमारा साथ देना चाहें हमें oig@hindyugm.com पर संपर्क कर सकते हैं या कॉल करें 09871123997 (सजीव सारथी) या 09878034427 (सुजॉय चटर्जी) को
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Saath Saath(1982)
starring Farooq Shaikh & Deepti Naval.
Music By Kuldeep Singh,Lyrics By Javed Akhtar.