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उषा छाबड़ा की लघुकथा बचपन का भोलापन

रेडियो प्लेबैक इंडिया के साप्ताहिक स्तम्भ 'बोलती कहानियाँ' के अंतर्गत हम आपको सुनवाते हैं हिन्दी की नई, पुरानी, अनजान, प्रसिद्ध, मौलिक और अनूदित, यानि के हर प्रकार की कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में उन्हीं की हिन्दी लघुकथा "खिलखिलाहट" का पॉडकास्ट सुना था। आज हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं उषा छाबड़ा की एक लघुकथा "बचपन का भोलापन", उन्हीं के स्वर में।

इस लघुकथा "बचपन का भोलापन" का टेक्स्ट उनके ब्लॉग अनोखी पाठशाला पर उपलब्ध है।

उषा जी साहित्यिक अभिरुचि वाली अध्यापिका हैं। वे पिछले उन्नीस वर्षों से दिल्ली पब्लिक स्कूल ,रोहिणी में अध्यापन कार्य में संलग्न हैं। उन्होंने कक्षा नर्सरी से कक्षा आठवीं तक के स्तर के बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें एवं व्याकरण की पुस्तक श्रृंखला भी लिखी हैं। वे बच्चों एवं शिक्षकों के लिए वर्कशॉप लेती रहती हैं। बच्चों को कहानियाँ सुनाना उन्हें बेहद पसंद है। उनकी कविताओं की पुस्तक "ताक धिना धिन" और उस पर आधारित ऑडियो सीडी प्रकाशित हो चुकी हैं। आप उनकी आवाज़ में पंडित सुदर्शन की कालजयी कहानी "हार की जीत" पहले ही सुन चुके हैं। कहानी "बचपन का भोलापन" दो बच्चियों के वार्तालाप पर आधारित है। इसका कुल प्रसारण समय 2 मिनट 32 सेकंड है। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं तो अधिक जानकारी के लिए कृपया admin@radioplaybackindia.com पर सम्पर्क करें।



इंसानियत की मशाल सब मिलकर उठाएं
जश्न मानवता का एक जुट हों मनाएं
चलो सब एक हो नया गीत गुनगुनाएं
प्रेम के संदेश को जन जन में फैलाएं
~ उषा छाबड़ा

हर सप्ताह यहीं पर सुनें एक नयी कहानी


"बच्ची रोना भूलकर उसकी ओर देखने लगी।"
(उषा छाबड़ा की "बचपन का भोलापन" से एक अंश)



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यदि आप इस पॉडकास्ट को नहीं सुन पा रहे हैं तो नीचे दिये गये लिंक से डाऊनलोड कर लें:
बचपन का भोलापन MP3

#Twenty First Story, Bachpan Ka Bholpan: Usha Chhabra/Hindi Audio Book/2015/21. Voice: Usha Chhabra

Comments

Anita said…
सुंदर कहानी..लेकिन इस कहानी में एक और पहलू भी है जो बच्चों के भोलेपन से भी ज्यादा महत्व का मुझे लग रहा है, वह है अनुभव..एक अनुभवी व्यक्ति जब कोई बात कहता है तो उसकी बात असर करती है. दूसरी बच्ची का अनुभव सच्चा था अथवा तो उसमें इतनी आत्मीयता थी कि उसने पहली बच्ची का गिरना स्वयं भी महसूस किया होगा..
Usha Chhabra said…
अनिता जी,अापने जिस पहलू को जोड़ा है, उसके लिए बहुत आभार।

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