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सुनो कहानी: प्रेमचंद की "वरदान"

उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की लघु कहानी 'वरदान'

'सुनो कहानी' इस स्तम्भ के अंतर्गत हम आपको सुनवा रहे हैं उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की प्रसिद्ध कहानियाँ। पिछले सप्ताह आपने अनुराग शर्मा की आवाज़ में प्रेमचंद की रचना 'कौशल' का पॉडकास्ट सुना था। आवाज़ की ओर से आज हम लेकर आये हैं प्रेमचंद की एक छोटी किंतु प्रेरणादायी कहानी "वरदान", जिसको स्वर दिया है अनुराग शर्मा ने। सुनें और बतायें कि हम अपने इस प्रयास में कितना सफल हुए हैं। कहानी का कुल प्रसारण समय है: तीन मिनट और बाईस सेकंड।

यदि आप भी अपनी मनपसंद कहानियों, उपन्यासों, नाटकों, धारावाहिको, प्रहसनों, झलकियों, एकांकियों, लघुकथाओं को अपनी आवाज़ देना चाहते हैं हमसे संपर्क करें। अधिक जानकारी के लिए कृपया यहाँ देखें।




मैं एक निर्धन अध्यापक हूँ...मेरे जीवन मैं ऐसा क्या ख़ास है जो मैं किसी से कहूं
~ मुंशी प्रेमचंद (१८८०-१९३६)

हर शनिवार को आवाज़ पर सुनिए प्रेमचंद की एक नयी कहानी

माता! मैंने सैकड़ों व्रत रखे, देवताओं की उपासनाएं की, तीर्थयाञाएं की, परन्तु मनोरथ पूरा न हुआ। तब तुम्हारी शरण आयी। अब तुम्हें छोड़कर कहां जाऊं? तुमने सदा अपने भक्तो की इच्छाएं पूरी की है। क्या मैं तुम्हारे दरबार से निराश हो जाऊं? (प्रेमचंद की "वरदान" से एक अंश)



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VBR MP364Kbps MP3Ogg Vorbis


#Twelfth Story, Vardaan: Munsi Premchand/Hindi Audio Book/2008/11. Voice: Anuraag Sharma

Comments

Anonymous said…
Bahut sundar, badai.
प्रेमचंद की यही विशेषता रही है। उनकी प्रत्येक कहानी की अपनी विशेषता है। यह कहानी भी उस समय का आदर्श दिखाती है।

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