स्वरगोष्ठी – 362 में आज
दस थाट, बीस राग और बीस गीत – 1 : राग कल्याण अर्थात यमन और भूपाली
विदुषी किशोरी अमोनकर से भूपाली का खयाल और मुकेश से कल्याण में एक फिल्मी गीत सुनिए
किशोरी अमोनकर |
मुकेश |
कल्याण थाट के स्वर होते हैं- सा, रे, ग, म॑, प ध, नि,
अर्थात इस थाट में मध्यम स्वर तीव्र होता है और शेष स्वर शुद्ध प्रयोग
किया जाता है। राग कल्याण अथवा यमन, कल्याण थाट का आश्रय राग माना जाता है।
मध्यकालीन ग्रन्थों में इस राग का यमन नाम से उल्लेख मिलता है। परन्तु
प्राचीन ग्रन्थों में इसका नाम केवल कल्याण नाम से मिलता है। आधुनिक
ग्रन्थों में यमन एक सम्पूर्ण जाति का राग है। यह कल्याण थाट का आश्रय राग
होता है। आश्रय राग का अर्थ होता है, ऐसा राग, जिसमें थाट में प्रयुक्त
स्वर की उपस्थिति हो। इस थाट के अन्तर्गत आने वाले कुछ अन्य प्रमुख राग
हैं- यमन, भूपाली, हिंडोल, हमीर, केदार, कामोद, नन्द, मारू बिहाग, छायानट,
गौड़ सारंग आदि। इस थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन में सभी सात स्वरों का
प्रयोग होता है। मध्यम स्वर तीव्र और शेष सभी छः स्वर शुद्ध प्रयोग किए
जाते हैं। वादी स्वर गान्धार और संवादी निषाद होता है। इसका गायन-वादन समय
गोधूली बेला अर्थात सूर्यास्त से लेकर रात्रि के प्रथम प्रहर तक होता है।
राग कल्याण अथवा यमन के आरोह के स्वर हैं- सा, रे, ग, म॑, प, ध, नि, सां तथा अवरोह के स्वर हैं- सां, नि, ध, प, म॑, ग, रे,
सा होते हैं। अब हम प्रस्तुत कर रहे हैं, राग यमन के स्वरों पर आधारित एक
फिल्मी गीत प्रस्तुत कर रहे हैं। वर्ष 1961 में एक फिल्म प्रदर्शित हुई
थी, जिसका नाम “संजोग” था। इस फिल्म में मदन मोहन ने राग कल्याण अथवा यमन
को आधार बना कर एक गीत, “भूली हुई यादों मुझे इतना न सताओ...”
स्वरबद्ध किया था। यह गीत पार्श्वगायक मुकेश के स्वर में प्रस्तुत किया गया
है। लीजिए प्रस्तुत है, राग कल्याण अथवा यमन पर आधारित वही गीत।
राग यमन : “भूली हुई यादों मुझे इतना न सताओ...” : मुकेश : फिल्म – संजोग
कल्याण
थाट के अन्य रागों में एक प्रमुख जन्य राग भूपाली है। यह औड़व-औड़व जाति का
राग है, जिसमें मध्यम और निषाद स्वर का प्रयोग नहीं किया जाता। शेष सभी
स्वर शुद्ध प्रयोग किया जाता है। राग भूपाली का वादी स्वर गान्धार और
संवादी स्वर धैवत होता है। रात्रि का पहला प्रहर इस राग के गायन-वादन का
समय होता है। यह राग पूर्वांग प्रधान होता है, अर्थात इसका चलन अधिकतर
मन्द्र और मध्य सप्तक के पहले हिस्से में होता है। इन्हीं स्वरों को यदि
उत्तरांग प्रधान कर दिया जाए यह राग देशकार हो जाता है। इस राग में
ध्रुवपद, खयाल और तराना गाया जाता है। राग भूपाली में ठुमरी नहीं गायी
जाती। कुछ पुराने संगीतज्ञ इस राग में पंचम और ऋषभ स्वर की संगति करते है,
किन्तु अधिकतर ऐसा नहीं करते। दक्षिण भारतीय संगीत में इस राग के समतुल्य
राग मोहनम् होता है। अब हम आपको राग भूपाली के स्वरों में एक खयाल रचना
सुनवाते है। इसे प्रस्तुत कर रही हैं, जयपुर अतरौली घराने की विदुषी किशोरी
अमोनकर। तीनताल में निबद्ध इस रचना के बोल हैं; “जब से तुम संग लागली प्रीत...”। आप राग भूपाली की इस रचना का रसास्वादन कीजिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं विराम देने की अनुमति दीजिए।
राग भूपाली : “जब से तुम संग लागली प्रीत…” : विदुषी किशोरी अमोनकर
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 361वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का
अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के
लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के उत्तर देने आवश्यक हैं।
यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी
आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 370वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के दूसरे सत्र का
विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना
के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित
भी किया जाएगा।
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है?
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए।
3 – इस गीत में किस प्रसिद्ध गायक की आवाज़ है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 31 मार्च, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 364वें
अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 360वीं कड़ी में हमने आपको वर्ष 1962 में प्रदर्शित फिल्म “बीस साल बाद”
के एक रागबद्ध फिल्मी गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो
सही उत्तर की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – शिवरंजनी और कहीं-कहीं राग सोहनी का स्पर्श, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – कहरवा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर।
“स्वरगोष्ठी” की पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले सकते
हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर
ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग
ले सकते हैं।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर आज से
आरम्भ हमारी श्रृंखला “दस थाट, बीस राग और बीस गीत” की पहली कड़ी में आपने
कल्याण थाट का परिचय प्राप्त किया और इस थाट के आश्रय राग कल्याण अथवा यमन
पर आधारित एक फिल्मी गीत, पार्श्वगायक मुकेश की आवाज़ में सुना। इसके साथ ही
कल्याण थाट के जन्य राग भूपाली का शास्त्रीय स्वरूप सुविख्यात गायिका
विदुषी किशोरी अमोनकर के स्वर में रसास्वादन किया। हमें विश्वास है कि
हमारे अन्य पाठक भी “स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और
अपनी प्रतिक्रिया हमें भेजते रहेगे। आज के अंक के बारे में यदि आपको कुछ
कहना हो तो हमें अवश्य लिखें। अगले अंक से हम इस श्रृंखला का अगला अंक
प्रस्तुत करेंगे। इस नई श्रृंखला अथवा आगामी श्रृंखलाओं के लिए यदि आपका
कोई सुझाव या फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com
पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
कल्याण थाट : SWARGOSHTHI – 362 : KALYAN THAAT : 25 Mar. 2018
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