स्वरगोष्ठी – 361 में आज
पाँच स्वर के राग – 9 : “कहीं दीप जले कहीं दिल...” 
संजीव अभ्यंकर से राग शिवरंजनी में खयाल और लता मंगेशकर से फिल्मी गीत सुनिए  
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| लता मंगेशकर | 
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| संजीव अभ्यंकर | 
श्रृंखला “पाँच
 स्वरों के राग” पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार कुल आठ कड़ियों में 
सम्पन्न होनी थी। पेंसिलवेनिया, अमेरिका की हमारी नियमित पाठक विजया 
राजकोटिया ने इस श्रृंखला में एक और राग शिवरंजनी को शामिल किये जाने का 
अनुरोध किया है। उन्हीं के अनुरोध पर आज हम इस श्रृंखला की समापन कड़ी में 
राग शिवरंजनी का परिचय और इस राग के दो उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं। 
फिल्मों में राग शिवरंजनी पर आधारित कई गीत लोकप्रिय हुए हैं। इनमें से 
हमने 1961 में प्रदर्शित फिल्म “बीस साल बाद” का एक लोकप्रिय गीत –“कहीं दीप जले कहीं दिल...”
 चुना है। राग शिवरंजनी की छाया लिये इस गीत के संगीतकार हेमन्त कुमार थे 
और इसे लता मंगेशकर ने स्वर दिया है। इस गीत के बारे में फिल्म संगीत के 
विख्यात इतिहासकार पंकज राग ने अपनी पुस्तक “धुनों की यात्रा” में लिखा है,
 - फिल्मिस्तान स्टूडिओ के बन्द होने के बाद संगीतकार हेमन्त कुमार ने 
स्वयं अपनी प्रोडक्शन कम्पनी बनाने की सोची। इस कम्पनी का नाम उन्होने 
कविगुरु रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध रचना “गीतांजलि” से प्रेरित होकर 
गीतांजली पिक्चर्स रखा। हेमन्त कुमार ने इस नई प्रोडक्शन कम्पनी के बैनर 
तले रहस्य रोमांच से परिपूर्ण फिल्में बनाईं। इस श्रृंखला की पहली फिल्म थी
 सर आर्थर कॉनन डायल के प्रसिद्ध उपन्यास “The Hound of the Baskervilles” 
से प्रभावित “बीस साल बाद”। 1961 में बनी इस हिन्दी फिल्म में शरलक होम्स 
तो न थे, और चूँकि हिन्दी फिल्म थी, अतः रोमांस के अवयव भी डालने जरूरी थे।
 फिल्म के रहस्यमय वातावरण को जीवन्त करता गीत –“कहीं दीप जले कहीं दिल...”
 तो आज भी लता मंगेशकर के सर्वश्रेष्ठ रहस्य गीतों में अपना स्थान रखता है।
 यह गीत इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योकि इसी गीत से लता मंगेशकर के जीवन का एक
 बड़ा महत्वपूर्ण मोड़ जुड़ा है। दरअसल उन दिनों लता मंगेशकर काफी बीमार हो 
गईं थी और बीमारी से उठने के बाद उन्हें लगने लगा था कि उनकी आवाज़ पर भी 
बीमारी का बुरा असर पड़ा है। लता को लग रहा था कि रिहर्सलों में बात बन नहीं
 पा रही है। परन्तु हेमन्त कुमार ने उन्हें बिना बताए एक रिहर्सल को 
रिकार्ड कर लिया और उसी को रिकार्डिंग मान कर लता मंगेशकर को सुनाया और 
विश्वास दिला दिया कि उनकी आवाज़ पहले जैसी ही है। इस मुश्किल गीत को जब वे 
सफलतापूर्वक गा सकी तो उन्हें अपना खोया हुआ आत्मविश्वास वापस मिल गया। इस 
गीत को लता मंगेशकर द्वारा 1967 में उद्घोषित अपने दस सर्वश्रेष्ठ गीतों 
में स्थान दिया। राग शिवरंजनी की छाया लिये यह गीत आज भी संगीतप्रेमियों को
 बेसुध कर देता है। फिल्म के गीतकार शकील बदायूनी ने दृश्य की माँग के 
अनुकूल गीत रचे और हेमन्त कुमार ने लगभग सभी गीतों में विभिन्न रागों का 
आधार दिया। लीजिए, अब आप फिल्म “बीस साल बाद” का राग शिवरंजनी का आधार लिये
 गीत –“कहीं दीप जले कहीं दिल...” सुनिए। 
राग शिवरंजनी : “कहीं दीप जले कहीं दिल...” : लता मंगेशकर : फिल्म – बीस साल बाद 
ग कोमल संवाद प स, म नि सुर दिए हटाय, 
मध्य-रात्रि औड़व मधुर, शिवरंजनी सुहाय। 
राग
 शिवरंजनी काफी थाट के अन्तर्गत माना जाता है। इस राग में मध्यम और निषाद 
स्वर वर्जित होता है। शेष पाँच स्वर होने के कारण यह औड़व-औड़व जाति का राग 
होता है। इस राग में गान्धार स्वर कोमल प्रयोग किया जाता है। राग का वादी 
स्वर पंचम और संवादी स्वर षडज होता है। आरोह के स्वर हैं; सा, रे, ग(कोमल), प, ध, सां और अवरोह के स्वर हैं; सां, ध, प, ग(कोमल),
 रे, सा। इस राग के कोमल गान्धार स्वर को यदि शुद्ध गान्धार बना कर प्रयोग 
किया जाए तो राग भूपाली की अनुभूति होगी। यह ठुमरी अंग का राग माना जाता 
है। अतः इस राग में ठुमरी, दादरा, सुगम संगीत और फिल्म संगीत अधिक गाये 
जाते हैं। इस राग का गायन-वादन रात्रि के दूसरे प्रहर से लेकर मध्यरात्रि 
तक किया जाना उपयुक्त होता है। परन्तु ठुमरी रात्रि के पहले प्रहर में भी 
गायी जा सकती है। राग शिवरंजनी में श्रृंगार, विरह और भक्तिरस की रचनाएँ 
खूब निखरती हैं। राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने के लिए अब हम इस राग में
 एक भक्तिपरक् रचना प्रस्तुत कर रहे हैं। इसे प्रस्तुत कर रहे हैं, युवा 
गायक पण्डित संजीव अभ्यंकर। आप यह रचना सुनिए और मुझे आज के इस अंक को यहीं
 विराम देने की अनुमति दीजिए। अगले अंक से हम आपके अनुरोध पर एक नई 
श्रृंखला आरम्भ करेंगे।
राग शिवरंजिनी : “तुम बिन कौन लेत खबर मोरी...” : पण्डित संजीव अभ्यंकर 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 361वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको एक राग आधारित फिल्मी गीत का
 अंश सुनवा रहे हैं। गीत के इस अंश को सुन कर आपको दो अंक अर्जित करने के 
लिए निम्नलिखित तीन में से कम से कम दो प्रश्नों के उत्तर देने आवश्यक हैं।
 यदि आपको तीन में से केवल एक अथवा तीनों प्रश्नों का उत्तर ज्ञात हो तो भी
 आप प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। 370वें अंक की ‘स्वरगोष्ठी’ तक जिस 
प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें वर्ष 2018 के दूसरे सत्र का 
विजेता घोषित किया जाएगा। इसके साथ ही पूरे वर्ष के प्राप्तांकों की गणना 
के बाद वर्ष के अन्त में महाविजेताओं की घोषणा की जाएगी और उन्हें सम्मानित
 भी किया जाएगा।   
1 – इस गीतांश को सुन कर बताइए कि इसमें किस राग की छाया है? 
2 – इस गीत में प्रयोग किये गए ताल को पहचानिए और उसका नाम बताइए। 
3 – इस गीत में किस प्रसिद्ध गायक की आवाज़ है? 
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार, 24 मार्च, 2018 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
 देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर, 
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 363वें अंक
 में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक 
के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना 
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे 
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 की 359वीं कड़ी में हमने आपको वर्ष 1985 में प्रदर्शित फिल्म “सुर संगम” के
 एक रागबद्ध फिल्मी गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन में से कम से कम दो सही 
उत्तर की अपेक्षा की थी। पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है; राग – कलावती, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है; ताल – सितारखानी और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है; स्वर – लता मंगेशकर और सुरेश वाडकर। 
“स्वरगोष्ठी” की पहेली प्रतियोगिता में तीनों अथवा तीन में से दो प्रश्नो के सही उत्तर देकर विजेता बने हैं; वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, बीकानेर, राजस्थान से लक्ष्मीनारायण सोनी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी।
 उपरोक्त सभी पाँच प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से 
हार्दिक बधाई। इस पहेली प्रतियोगिता में हमारे नये प्रतिभागी भी हिस्सा ले 
सकते हैं। यह आवश्यक नहीं है कि आपको पहेली के तीनों प्रश्नों के सही उत्तर
 ज्ञात हो। यदि आपको पहेली का कोई एक उत्तर भी ज्ञात हो तो भी आप इसमें भाग
 ले सकते हैं। 
अपनी बात 
मित्रों,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर जारी हमारी
 श्रृंखला “पाँच स्वर के राग” की नौवीं और समापन कड़ी में आपने राग शिवरंजनी
 का परिचय प्राप्त किया। इसके साथ ही राग के शास्त्रीय स्वरूप को समझने लिए
 पण्डित संजीव अभ्यंकर से एक खयाल रचना का रसास्वादन किया था। साथ ही आपने 
फिल्म “बीस साल बाद” से राग शिवरंजनी के स्वरों में पिरोया एक मधुर गीत लता
 मंगेशकर के स्वर में सुना। हमें विश्वास है कि हमारे अन्य पाठक भी 
“स्वरगोष्ठी” के प्रत्येक अंक का अवलोकन करते रहेंगे और अपनी प्रतिक्रिया 
हमें भेजते रहेगे। आज के अंक के बारे में यदि आपको कुछ कहना हो तो हमें 
अवश्य लिखें। अगले अंक से हम एक नई श्रृंखला शुरू करेंगे। इस नई श्रृंखला 
अथवा आगामी श्रृंखलाओं के लिए यदि आपका कोई सुझाव या फरमाइश हो तो हमें  swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 7 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 
इसी मंच पर एक बार फिर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
  
 
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