’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 57-वीं कड़ी है।
हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रखते हैं। और फिर शुरु होता है संघर्ष। मेहनत, बुद्धि, प्रतिभा और क़िस्मत, इन सभी के सही मेल-जोल से इन लाखों युवक युवतियों में से कुछ गिने चुने लोग ही ग्लैमर की इस दुनिया में मुकाम बना पाते हैं। और कुछ फ़िल्मी घरानों से ताल्लुख रखते हैं जिनके लिए फ़िल्मों में क़दम रखना तो कुछ आसान होता है लेकिन आगे वही बढ़ता है जिसमें कुछ बात होती है। हर दशक की तरह वर्तमान दशक में भी ऐसे कई युवक फ़िल्मी दुनिया में क़दम जमाए हैं जिनमें से कुछ बेहद कामयाब हुए तो कुछ कामयाबी की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कुल मिला कर फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद भी उनका संघर्ष जारी है यहाँ टिके रहने के लिए। ’चित्रकथा’ के अन्तर्गत पिछले कुछ समय से हम चला रहे हैं इस दशक के नवोदित नायकों पर केन्द्रित यह लघु श्रॄंखला जिसमें हम बातें करते हैं वर्तमान दशक में अपना करीअर शुरु करने वाले नायकों की। प्रस्तुत है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की नौवीं कड़ी।
हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रखते हैं। और फिर शुरु होता है संघर्ष। मेहनत, बुद्धि, प्रतिभा और क़िस्मत, इन सभी के सही मेल-जोल से इन लाखों युवक युवतियों में से कुछ गिने चुने लोग ही ग्लैमर की इस दुनिया में मुकाम बना पाते हैं। और कुछ फ़िल्मी घरानों से ताल्लुख रखते हैं जिनके लिए फ़िल्मों में क़दम रखना तो कुछ आसान होता है लेकिन आगे वही बढ़ता है जिसमें कुछ बात होती है। हर दशक की तरह वर्तमान दशक में भी ऐसे कई युवक फ़िल्मी दुनिया में क़दम जमाए हैं जिनमें से कुछ बेहद कामयाब हुए तो कुछ कामयाबी की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कुल मिला कर फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद भी उनका संघर्ष जारी है यहाँ टिके रहने के लिए। ’चित्रकथा’ के अन्तर्गत पिछले कुछ समय से हम चला रहे हैं इस दशक के नवोदित नायकों पर केन्द्रित यह लघु श्रॄंखला जिसमें हम बातें करते हैं वर्तमान दशक में अपना करीअर शुरु करने वाले नायकों की। प्रस्तुत है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की नौवीं कड़ी।
करण वाही के बाद अब दूसरे नंबर पर बात करते हैं करण सिंह छाबरा की। चंडीगढ़ में जन्में और पले बढ़े करण सिंह छाबरा बचपन से ही बहुत स्मार्ट और जोशीले रहे हैं। स्कूल और कॉलेज में वो बहुत लोकप्रिय रहे और तमाम प्रतियोगिताओं में भाग लिया करते थे। आकर्षक चेहरे और सुडौल कदकाठी के धनी करण ने अपने कॉलेज में एक मॉडलिंग् प्रतियोगिता में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया जिसकी वजह से उनका इस क्षेत्र में गंभीरता से पाँव रखने की इच्छा हुई। ग्लैमर जगत में शोहरत हासिल करने की ख़्वाहिश लेकर करण चंडीगढ़ से दिल्ली आ गए और संघर्ष करने लगे। 2007 में सफलता की पहली सीढ़ी उन्होंने लांघी जब Super Model Hunt प्रतियोगिता में वो विजयी बन कर निकले। इससे फ़ैशन जगत के नामचीन लोग उन्हें जानने लगे और नतीजा यह हुआ कि उन्हें काम मिलने शुरु हो गए। कई नामी ब्रैण्ड्स के रैम्प शोज़ के ऑफ़र उन्हें मिले और हर बार अपना जल्वा उन्होंने रैम्प पर दिखा कर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। उनका नाम इसलिए भी मशहूर हुआ कि वो पहले ऐसे राष्ट्रीय स्तर के मॉडल थे जिन्होंने अपनी पगड़ी को अपने से अलग नहीं किया। इस वजह से पंजाब में उनका लोग बहुत सम्मान करते हैं। हाँ, यह ज़रूर सच है कि आगे चल कर उन्हें प्रतियोगिता के चलते पगड़ी और लम्बे बालों के साथ समझौता करना पड़ा। 2007 से लगभग सात साल तक मॉडलिंग् करने के बाद फ़िल्म जगत का दरवाज़ा उनके लिए खुला जब 2014 में उन्हें ’हीरोपन्ती’ में एक किरदार निभाने का मौका मिला। इसी फ़िल्म से टाइगर श्रॉफ़ का भी फ़िल्मी सफ़र शुरु हुआ था जिनकी चर्चा हम पहले ही इस सीरीज़ में कर चुके हैं। इस फ़िल्म के बाद करण सिंह छाबरा नज़र आए 2016 की फ़िल्म ’Chalk n Duster’ में जिसमें शबाना आज़मी और जुही चावला मुख्य किरदारों में थीं। इस फ़िल्म में उनके निभाये किरदार को सराहा गया। इसके बाद 2017 की फ़िल्म ’राब्ता’ में वो दिखे। फ़िल्म शुरु शुरु में चर्चा में रही लेकिन रिलीज़ के बाद ज़्यादा सफल सिद्ध नहीं हुई। इसी दौरान करण कुछ रियलिटी शोज़ में भी नज़र आए जैसे कि 'MTV Splitsvilla 9', 'MTV Love School' और 'Bindass Super Stud 2011'। जैसा कि नाम में सुपर स्टड है, करण सिंह छाबरा ने अपने आप को एक सुपर स्टड के रूप में ढाला और ’हर मर्द का दर्द’, ’ब्रह्मराक्षस’ और ’सबसे बड़ा कलाकार’ जैसे शोज़ में नज़र आए। इन दिनों करण चर्चे में हैं क्योंकि वो जून 2018 में प्रदर्शित होने वाली बड़ी फ़िल्म ’फ़न्ने ख़ान’ में काम कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस फ़िल्म में उनका एक power packed cameo रोल है। ’फ़न्ने ख़ान’ एक म्युज़िकल कॉमेडी फ़िल्म है जिसे अतुल मांजरेकर निर्देशित कर रहे हैं। अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन और राजकुमार राव जैसे सफल कलाकारों के बीच करण सिंह छाबरा अपनी छाप किस हद तक छोड़ पाएंगे यह तो 15 जून को फ़िल्म प्रदर्शित होने के बाद ही पता चल पाएगी। यह फ़िल्म वर्ष 2000 की ऑस्कर मनोनीत बेलजियन फ़िल्म ’Everybody's Famous’ का आधिकारिक रीमेक है, इस वजह से इस फ़िल्म से काफ़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं और इस फ़िल्म की सफलता पर कुछ हद तक करण की सफलता भी जुड़ी होंगी। हक़ीक़त वक़्त ही बयाँ करेगी।
करण कापड़िया अभिनेत्री व डिज़ाइनर सिम्पल कापड़िया (डिम्पल कापड़िया की छोटी बहन) के सुपुत्र हैं। यानी ट्विंकल खन्ना के मौसेरे भाई और अक्षय कुमार के साले साहब। फ़िल्मी परिवार से ताल्लुख़ रखने की वजह से और एक आकर्षक कदकाठी व सुन्दर चेहरे के धनी करण कापड़िया को फ़िल्म जगत में एन्ट्री आसानी से ही मिल गई। ऊपर से बचपन से ही फ़िल्म निर्माण को बहुत क़रीब से देखने की वजह से उन्हें सहायक के रूप में काम भी बड़ी आसानी से मिल गया। राहुल ढोलकिया जब ’सोसायटी काम से गई’ बना रहे थे, तब करण ने उसमें उनके सहायक के रूप में काम किया और फ़िल्म निर्माण की बारीकियाँ सीखी। उनका अभिनय सफ़र ’अज़हर’ फ़िल्म से शुरु होना था, लेकिन किसी कारण से हो ना सका। ’अज़हर’ के निर्देशक टोनी ड’सूज़ा ने अपना वादा पूरा करते हुए अपनी अगली फ़िल्म में उन्हें लौंच करने का निर्णय लिया है। यह फ़िल्म 2018 में बन कर तैयार होगी जिसका अभी तक नामकरण नहीं हुआ है। करण कापड़िया को भले एक सहायक के रूप में काम मिल गया हो लेकिन अभिनय के लिए उन्हें भी कई ऑडिशनों का सामना करना पड़ा और बहुत बार उन्हें रिजेक्ट भी किया गया यह कहते हुए कि उनमें कोई ख़ास बात नज़र नहीं आ रही। उन्होंने अपने अभिनय पर मेहनत की और बाद में उन्हें अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिलनी शुरु हुईं। टोनी ड’सूज़ा ने निश्चित रूप से मीडिया को बताया है कि उनकी अगली फ़िल्म में करण ही नायक बनेंगे और दर्शकों एक नया स्टार मिलने वाला है। टोनी ने करण पर जो भरोसा दिखाया है, करण को इस खरा उतरने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी जिसमें कोई संदेह नहीं है। उधर करण का ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार के साथ भी बहुत अच्छी दोस्ती है; करण ने एक साक्षात्कार में बताया है कि उन दोनों को भी उनसे बहुत सारी उम्मीदें हैं। बताया जाता है कि फ़िल्म जगत में उतरने से पहले करण का वज़न 112 किलो था, लेकिन नियमित रूप से कसरत कर के अपनी वज़न को 88 किलो तक लाने में कामयाब हुए हैं। इसके अलावा तैराकी और घुड़सवारी में भी प्रशिक्षित हो कर अपने आप को एक नायक बनने के क़ाबिल बनाया है। अक्षय कुमार के नक्श-ए-क़दम पर चलते हुए करण ने भी बैंकाक का रुख़ किया और वहाँ से छह महीने मार्शल आर्ट सीखा। Jeff Goldberg Studio से अभिनय का कोर्स भी किया। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि नवोदित नायक करण कापड़िया ने अपने आप को हर संभव तरीके से संवारा है, तैयार किया है। उधर अक्षय कुमार का टोनी डी’सूज़ा के साथ बहुत अच्छा संबंध है; दोनों ने ’ब्लू’ और ’बॉस’ जैसी फ़िल्मों में साथ काम किया है। ’बॉस’ फ़िल्म में करण ने टोनी को असिस्ट किया था जिस वजह से टोनी को उनमें एक नायक बनने के गुण दिखाई दिए। अपनी माँ सिम्पल कापड़िया के 2009 में निधन हो जाने के बाद करण पनी मासी डिम्पल कापड़िया को ही अपनी दूसरी माँ मानते हैं। करण कापड़िया को एक उज्वल भविष्य के लिए हम देते हैं ढेरों शुभकामनाएँ!
पुष्पेन्दर कुमार वोहरा के किरदार में 2017 की फ़िल्म ’भंवरे’ से फ़िल्म जगत में क़दम रखने वाले करहन देव टेलीविज़न का एक जानामाना नाम रहे हैं। हाँ, यह ज़रूर है कि टेलीविज़न पर वो करहन देव के नाम से नहीं, बल्कि करण ठाकुर के नाम से जाने गए, पहचाने गए। टीवी पर करण एक अभिनेता और एक मेज़बान, दोनों भूमिकाओं में नज़र आए। ’भाग्यविधाता’, ’बड़ी दूर से आए हैं;, ’सावधान इण्डिया’, ’CID', 'Crime Patrol' और 'Haunted Nights' जैसे शोज़ में वो देखे गए, सराहे गए। कई नामचीन ब्रैण्ड्स के विज्ञापनों में भी करण ठाकुर नज़र आए। करण ठाकुर का जन्म मुंबई में ही हुआ था, लेकिन उनके जन्म के कुछ ही समय के भीतर उनका परिवार दिल्ली स्थानान्तरित हो गया। इस वजह से करण की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। दिल्ली के थिएटर जगत से करण छुटपन से ही जुड़ गए और नाटकों, ड्रामाओं और अन्य कई कलात्मक क्षेत्रों में निरन्तर भाग लेते रहे। इस वजह से अभिनय के क्षेत्र में उनका आधार बहुत मज़बूत हो गया था और आगे चल कर इस क्षेत्र में गंभीरता से क़दम रखने में ज़्यादा असुविधा नहीं हुई। मुंबई में रहते उनकी स्कूली शिक्षा स्वामी विवेकानन्द स्कूल से शुरु हुई जो दिल्ली जाकर युवाशक्ति स्कूल से पूरी हुई। उच्च-माध्यमिक उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरु कॉलेज से करण ने बी.ए. की पढ़ाई की और स्नातक बने। यहीं पे आकर उनकी पढ़ाई का सिलसिला ख़त्म नहीं हुआ। नई दिल्ली के भारतीय विद्या भवन से ’रेडियो ऐण्ड टेलीविज़न जर्नलिज़्म’ में पोस्ट ग्रजुएशन डिप्लोमा तथा हिसार, हरियाणा के गुरु जम्बेश्वर विश्वविद्यालय से मास कमुनिकेशन में मास्टर्स (स्नातकोत्तर) किया। इस तरह से पूरी पढ़ाई अच्छी तरह से सम्पन्न होने के बाद ही करण देव व्यावसायिक रूप से अभिनेता बने। पहली ब आर टेलीविज़न के परदे पर वो नज़र आए ’ससुराल गेंदा फूल’ धारावाहिक में एक अतिथि कलाकार के रूप में। लेकिन जल्दी ही ’भाग्यविधाता’, ’बड़ी दूर से आए हैं;, ’सावधान इण्डिया’, ’CID', 'Crime Patrol' और 'Haunted Nights' में उन्होंने काम किया और लोग उन्हें पहचानने लगे। ’ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा’ में उन्होंने नेगेटिव रोल निभाया और उसके बाद ’वो तेरी भाभी है पगले’ में हास्य किरदार में नज़र आए। करण अपने स्कूल के दिनों से ही ऐंकरिंग् किया करते थे। स्कूल और कॉलेज के फ़ंक्शनों में उन्हें ऐंकरिंग् का भार दिया जाता था। इसलिए टेलीविज़न में भी उन्हें मेज़बानी के कई अवसर प्राप्त हुए जिनमें ’रेडियो मिर्ची म्युज़िक अवार्ड्स’ फ़ंक्शन सर्वोपरि है। 2010 से टीवी का सफ़र शुरु करने के बावजूद फ़िल्मों में क़दम रखने के लिए उन्हें पूरे सात साल का इन्तज़ार करना पड़ा। 2017 में लेखक, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता शौर्य सिंह जब ’भंवरे’ की कहानी पर काम कर रहे थे, जो तीन दोस्तों की कहानी थी, तभी उन्होंने यह निर्णय लिया था कि इन तीन दोस्तों के किरदारों में कौन कौन होंगे। एक तो वो ख़ुद ही हैं, दूसरे हैं जशन सिंह और तीसरे करहन देव। डार्क कॉमेडी पर आधारित यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर जम नहीं पाई, लेकिन युवाओं में फ़िल्म चर्चित रही। इस फ़िल्म में करहन देव के अभिनय की भी प्रशंसा हुई। अभी तो उनका फ़िल्मी सफ़र बस शुरु ही हुआ है। उनके अभिनय क्षमता को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भविष्य में वो अपने अनोखे अभिनय से कई फ़िल्मों को संवारेंगे, और क्रिटिकल अक्लेम के साथ साथ कमर्शियली भी उनके फ़िल्म कामयाब होंगे।
Hasan & Himansh |
यहाँ आकर समाप्त होती है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रृंखला की नौवीं कड़ी। अगली बार फिर कुछ और नए अभिनेताओं की बातें लेकर हाज़िर होंगे। बने रहिए ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के ’चित्रकथा’ के साथ।
आख़िरी बात
’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!
शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
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