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चित्रकथा - 57: इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 9)

अंक - 57

इस दशक के नवोदित नायक (भाग - 9)


"फ़टा पोस्टर निकला हीरो..."




’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के सभी श्रोता-पाठकों को सुजॉय चटर्जी का प्यार भरा नमस्कार! स्वागत है आप सभी का ’चित्रकथा’ स्तंभ में। समूचे विश्व में मनोरंजन का सर्वाधिक लोकप्रिय माध्यम सिनेमा रहा है और भारत कोई व्यतिक्रम नहीं। सिनेमा और सिने-संगीत, दोनो ही आज हमारी ज़िन्दगी के अभिन्न अंग बन चुके हैं। ’चित्रकथा’ एक ऐसा स्तंभ है जिसमें हम लेकर आते हैं सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े विषय। श्रद्धांजलि, साक्षात्कार, समीक्षा, तथा सिनेमा के विभिन्न पहलुओं पर शोधालेखों से सुसज्जित इस साप्ताहिक स्तंभ की आज 57-वीं कड़ी है।

हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रखते हैं। और फिर शुरु होता है संघर्ष। मेहनत, बुद्धि, प्रतिभा और क़िस्मत, इन सभी के सही मेल-जोल से इन लाखों युवक युवतियों में से कुछ गिने चुने लोग ही ग्लैमर की इस दुनिया में मुकाम बना पाते हैं। और कुछ फ़िल्मी घरानों से ताल्लुख रखते हैं जिनके लिए फ़िल्मों में क़दम रखना तो कुछ आसान होता है लेकिन आगे वही बढ़ता है जिसमें कुछ बात होती है। हर दशक की तरह वर्तमान दशक में भी ऐसे कई युवक फ़िल्मी दुनिया में क़दम जमाए हैं जिनमें से कुछ बेहद कामयाब हुए तो कुछ कामयाबी की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कुल मिला कर फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद भी उनका संघर्ष जारी है यहाँ टिके रहने के लिए। ’चित्रकथा’ के अन्तर्गत पिछले कुछ समय से हम चला रहे हैं इस दशक के नवोदित नायकों पर केन्द्रित यह लघु श्रॄंखला जिसमें हम बातें करते हैं वर्तमान दशक में अपना करीअर शुरु करने वाले नायकों की। प्रस्तुत है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की नौवीं कड़ी।





र्ष 2017 में ’इस दशक के नवोदित नायक’ नामक इस सीरीज़ के कुल आठ अंकों में हमने 90 से अधिक नायकों की बातें की हैं। यह कारवाँ 2018 में भी जारी है और तब तक जारी रहेगा जब तक कि हर नवोदित नायक का ज़िक्र हम कर ना लें। आज के इस अंक में सबसे पहले बातें चार ऐसे अभिनेताओं की जिनका नाम एक है - करण। टेलीविज़न की दुनिया का जाना पहचाना नाम है करण वाही जिनके हँसमुख स्वभाव और अच्छी मेज़बानी करने की वजह से वो घर घर में पसन्द किए जाते हैं। 9 जून 1986 को दिल्ली के एक पंजाबी परिवार में जन्में करण वाही ने अपनी स्कूली पढ़ाई St. Mark's Senior Secondary Public School से पूरी की, और उच्च शिक्षा भी दिल्ली में ही रह कर दिल्ली विश्वविद्यालय के अधीन IILM Institute से प्रबंधन में पूरी की। अपने स्कूल के दिनों में वो बहुत अच्छा क्रिकेट खेलने लगे थे जिस वजह से उन्हें अपना करीयर क्रिकेट में नज़र आने लगा था। वर्ष 2003 में 17 वर्ष की आयु में करण का निर्वाचन दिल्ली के Under-19 क्रिकेट टीम में हो गया। कहना आवश्यक है कि इसी सीलेक्शन में विराट कोहली और शिखर धवन जैसे आज के सफल खिलाड़ियों का भी चयन हुआ था। इसी से अनुमान लगाया जा सकता है कि करण वाही भी किस स्तर के खिलाड़ी रहे होंगे। लेकिन क़िस्मत को कुछ और ही मंज़ूर थी। एक बार खेल के दौरान करण को भयानक चोट लग गई, जिसकी वजह से उनका परिवार इस खेल के खिलाफ़ हो गए और करण को क्रिकेटर बनने का सपना छोड़ना पड़ा। उच्च-माध्यमिक की परीक्षा के बाद करण ने प्रबन्धन के एक कोर्स में भर्ती हो गए इस सोच के साथ कि इस कोर्स के बाद वो अपने पिता का हाथ बँटाएंगे उनके व्यवसाय में। लेकिन फिर एक बार क़िस्मत को कुछ और मंज़ूर थी। इंसान की क़िस्मत जहाँ लिखी हो, वो वहीं जा पहुँचता है। 2004 में करण ने अभिनय में अपना हाथ आज़माने के लिए "Rose Audio Visuals" की टेलीविज़न सीरीज़ ’Remix’ में रणवीर सिसोदिया का किरदार निभाया। यह किरदार एक "angry lover boy" का किरदार था जिसे करण इतनी ख़ूबसूरती और प्राकृतिक अंदाज़ से निभाया कि वो काफ़ी मशहूर हो गए थे युवा वर्ग में। उनके इस दमदार अदाकारी ने उन्हें उस वर्ष का Best Male Newcomer का Indian Telly Award भी दिलवाया। इस तरह के फ़िक्शन शोज़ के बाद वर्ष 2009 में करण वाही मुख्य नायक के रूप में नज़र आए धारावाहिक ’मेरे घर आयी एक नन्ही परी’ में। 2010 में उनका सर्वाधिक लोकप्रिय धारावाहिक शुरु हुआ ’दिल मिल गए’ जिसमें वो करण सिंह ग्रोवर के साथ काम किया। करण सिंह ग्रोवर की चर्चा हम अपने इस सीरीज़ में पहले ही कर चुके हैं। अत: करण वाही की बातें जारी रखते हुए यह बता दें कि 2011 में करण वाही का अगला धारावाहिक आया ’कुछ तो लोग कहेंगे’। इसमें उनके साथ मोहनीष बहल जैसे दिग्गज अभिनेता भी थे। 2012 में ’तेरी मेरी लव स्टोरीज़’ और इसके बाद ’कहानी हमारी... दिल दोस्ती दीवानेपन की’ में भी मुख्य नायक का किरदार निभाया। करण वाही रियलिटी शोज़ और अवार्ड फ़ंक्शनों के सफल मेज़बान माने जाते हैं। उनकी मेज़बानी में उनका सेन्स ऑफ़ ह्युमर चार चाँद लगा देते हैं। मेज़बानी के लिए भी उन्हें कई टेलीविज़न पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। 2011 में करण ने भ्रमण पर आधारित रियलिटी शो ’Jee Le Ye Pal’ में भाग लिया और इसके विजेता बने। इसी दौरान करण वाही का रुझान फ़िल्मों की तरफ़ झुकने लगा था। इसके लिए उन्हें अपने शरीर पर काम करने की आवश्यक्ता आन पड़ी। बहुत कम समय में करण ने कड़ी मेहनत से अपना शारीरिक गठन मज़बूत किया जिसका नतीजा उन्हें हाथोंहाथ मिला। मतलब यह कि 2013 में उन्हें UK की अख़बार Eastern Eye ने "Sexiest Asian Man on the Planet" की सूची में 46-वें स्थान पर बिठा दिया, जो उनके लिए सम्मान की बात थी। अब फ़िल्मकारों की भी नज़र उन पर पड़ने लगी, और 2014 में हबीब फ़ैसल की रोमांटिक कॉमेडी फ़िल्म ’दावत-ए-इश्क़’ में आदित्य रॉय कपूर और परिनीति चोपड़ा के साथ करण वाही को भी सह-अभिनेता के रूप में कास्ट किया गया। इस फ़िल्म में उनके द्वारा निभाये गए अमजद के किरदार को दर्शकों ने हाथों हाथ ग्रहण किया और उनकी काफ़ी प्रशंसा हुई। मुख्य नायक के रूप में 2014 में ही अमृतपाल सिंह बिंद्रा की फ़िल्म ’बब्बू की जवानी’ में उन्हें मौका मिला जिसमें उनकी नायिका थीं रिया चक्रवर्ती। यह फ़िल्म नहीं चली जिस वजह से करण एक फ़िल्मी नायक के रूप में स्थापित नहीं हो सके। 2018 में करण की एक महत्वपूर्ण फ़िल्म आने जा रही है ’हेट स्टोरी 4’ जिसमें वो नायक की भूमिका में नज़र आएंगे। इस सीरीज़ की पहले की तीन फ़िल्में काफ़ी चर्चित रहीं, इसलिए यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस फ़िल्म से करण वाही को प्रसिद्धी मिलने के आसार बहुत अधिक है। अब देखना यह है कि इस फ़िल्म में राजवीर की भूमिका को करण कितना सजीव कर पाते हैं।

करण वाही के बाद अब दूसरे नंबर पर बात करते हैं करण सिंह छाबरा की। चंडीगढ़ में जन्में और पले बढ़े करण सिंह छाबरा बचपन से ही बहुत स्मार्ट और जोशीले रहे हैं। स्कूल और कॉलेज में वो बहुत लोकप्रिय रहे और तमाम प्रतियोगिताओं में भाग लिया करते थे। आकर्षक चेहरे और सुडौल कदकाठी के धनी करण ने अपने कॉलेज में एक मॉडलिंग् प्रतियोगिता में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया जिसकी वजह से उनका इस क्षेत्र में गंभीरता से पाँव रखने की इच्छा हुई। ग्लैमर जगत में शोहरत हासिल करने की ख़्वाहिश लेकर करण चंडीगढ़ से दिल्ली आ गए और संघर्ष करने लगे। 2007 में सफलता की पहली सीढ़ी उन्होंने लांघी जब Super Model Hunt प्रतियोगिता में वो विजयी बन कर निकले। इससे फ़ैशन जगत के नामचीन लोग उन्हें जानने लगे और नतीजा यह हुआ कि उन्हें काम मिलने शुरु हो गए। कई नामी ब्रैण्ड्स के रैम्प शोज़ के ऑफ़र उन्हें मिले और हर बार अपना जल्वा उन्होंने रैम्प पर दिखा कर दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित किया। उनका नाम इसलिए भी मशहूर हुआ कि वो पहले ऐसे राष्ट्रीय स्तर के मॉडल थे जिन्होंने अपनी पगड़ी को अपने से अलग नहीं किया। इस वजह से पंजाब में उनका लोग बहुत सम्मान करते हैं। हाँ, यह ज़रूर सच है कि आगे चल कर उन्हें प्रतियोगिता के चलते पगड़ी और लम्बे बालों के साथ समझौता करना पड़ा। 2007 से लगभग सात साल तक मॉडलिंग् करने के बाद फ़िल्म जगत का दरवाज़ा उनके लिए खुला जब 2014 में उन्हें ’हीरोपन्ती’ में एक किरदार निभाने का मौका मिला। इसी फ़िल्म से टाइगर श्रॉफ़ का भी फ़िल्मी सफ़र शुरु हुआ था जिनकी चर्चा हम पहले ही इस सीरीज़ में कर चुके हैं। इस फ़िल्म के बाद करण सिंह छाबरा नज़र आए 2016 की फ़िल्म ’Chalk n Duster’ में जिसमें शबाना आज़मी और जुही चावला मुख्य किरदारों में थीं। इस फ़िल्म में उनके निभाये किरदार को सराहा गया। इसके बाद 2017 की फ़िल्म ’राब्ता’ में वो दिखे। फ़िल्म शुरु शुरु में चर्चा में रही लेकिन रिलीज़ के बाद ज़्यादा सफल सिद्ध नहीं हुई। इसी दौरान करण कुछ रियलिटी शोज़ में भी नज़र आए जैसे कि 'MTV Splitsvilla 9', 'MTV Love School' और 'Bindass Super Stud 2011'। जैसा कि नाम में सुपर स्टड है, करण सिंह छाबरा ने अपने आप को एक सुपर स्टड के रूप में ढाला और ’हर मर्द का दर्द’, ’ब्रह्मराक्षस’ और ’सबसे बड़ा कलाकार’ जैसे शोज़ में नज़र आए। इन दिनों करण चर्चे में हैं क्योंकि वो जून 2018 में प्रदर्शित होने वाली बड़ी फ़िल्म ’फ़न्ने ख़ान’ में काम कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि इस फ़िल्म में उनका एक power packed cameo रोल है। ’फ़न्ने ख़ान’ एक म्युज़िकल कॉमेडी फ़िल्म है जिसे अतुल मांजरेकर निर्देशित कर रहे हैं। अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन और राजकुमार राव जैसे सफल कलाकारों के बीच करण सिंह छाबरा अपनी छाप किस हद तक छोड़ पाएंगे यह तो 15 जून को फ़िल्म प्रदर्शित होने के बाद ही पता चल पाएगी। यह फ़िल्म वर्ष 2000 की ऑस्कर मनोनीत बेलजियन फ़िल्म ’Everybody's Famous’ का आधिकारिक रीमेक है, इस वजह से इस फ़िल्म से काफ़ी उम्मीदें लगाई जा रही हैं और इस फ़िल्म की सफलता पर कुछ हद तक करण की सफलता भी जुड़ी होंगी। हक़ीक़त वक़्त ही बयाँ करेगी।

करण कापड़िया अभिनेत्री व डिज़ाइनर सिम्पल कापड़िया (डिम्पल कापड़िया की छोटी बहन) के सुपुत्र हैं। यानी ट्विंकल खन्ना के मौसेरे भाई और अक्षय कुमार के साले साहब। फ़िल्मी परिवार से ताल्लुख़ रखने की वजह से और एक आकर्षक कदकाठी व सुन्दर चेहरे के धनी करण कापड़िया को फ़िल्म जगत में एन्ट्री आसानी से ही मिल गई। ऊपर से बचपन से ही फ़िल्म निर्माण को बहुत क़रीब से देखने की वजह से उन्हें सहायक के रूप में काम भी बड़ी आसानी से मिल गया। राहुल ढोलकिया जब ’सोसायटी काम से गई’ बना रहे थे, तब करण ने उसमें उनके सहायक के रूप में काम किया और फ़िल्म निर्माण की बारीकियाँ सीखी। उनका अभिनय सफ़र ’अज़हर’ फ़िल्म से शुरु होना था, लेकिन किसी कारण से हो ना सका। ’अज़हर’ के निर्देशक टोनी ड’सूज़ा ने अपना वादा पूरा करते हुए अपनी अगली फ़िल्म में उन्हें लौंच करने का निर्णय लिया है। यह फ़िल्म 2018 में बन कर तैयार होगी जिसका अभी तक नामकरण नहीं हुआ है। करण कापड़िया को भले एक सहायक के रूप में काम मिल गया हो लेकिन अभिनय के लिए उन्हें भी कई ऑडिशनों का सामना करना पड़ा और बहुत बार उन्हें रिजेक्ट भी किया गया यह कहते हुए कि उनमें कोई ख़ास बात नज़र नहीं आ रही। उन्होंने अपने अभिनय पर मेहनत की और बाद में उन्हें अच्छी प्रतिक्रियाएँ मिलनी शुरु हुईं। टोनी ड’सूज़ा ने निश्चित रूप से मीडिया को बताया है कि उनकी अगली फ़िल्म में करण ही नायक बनेंगे और दर्शकों एक नया स्टार मिलने वाला है। टोनी ने करण पर जो भरोसा दिखाया है, करण को इस खरा उतरने के लिए काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी जिसमें कोई संदेह नहीं है। उधर करण का ट्विंकल खन्ना और अक्षय कुमार के साथ भी बहुत अच्छी दोस्ती है; करण ने एक साक्षात्कार में बताया है कि उन दोनों को भी उनसे बहुत सारी उम्मीदें हैं। बताया जाता है कि फ़िल्म जगत में उतरने से पहले करण का वज़न 112 किलो था, लेकिन नियमित रूप से कसरत कर के अपनी वज़न को 88 किलो तक लाने में कामयाब हुए हैं। इसके अलावा तैराकी और घुड़सवारी में भी प्रशिक्षित हो कर अपने आप को एक नायक बनने के क़ाबिल बनाया है। अक्षय कुमार के नक्श-ए-क़दम पर चलते हुए करण ने भी बैंकाक का रुख़ किया और वहाँ से छह महीने मार्शल आर्ट सीखा। Jeff Goldberg Studio से अभिनय का कोर्स भी किया। दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि नवोदित नायक करण कापड़िया ने अपने आप को हर संभव तरीके से संवारा है, तैयार किया है। उधर अक्षय कुमार का टोनी डी’सूज़ा के साथ बहुत अच्छा संबंध है; दोनों ने ’ब्लू’ और ’बॉस’ जैसी फ़िल्मों में साथ काम किया है। ’बॉस’ फ़िल्म में करण ने टोनी को असिस्ट किया था जिस वजह से टोनी को उनमें एक नायक बनने के गुण दिखाई दिए। अपनी माँ सिम्पल कापड़िया के 2009 में निधन हो जाने के बाद करण पनी मासी डिम्पल कापड़िया को ही अपनी दूसरी माँ मानते हैं। करण कापड़िया को एक उज्वल भविष्य के लिए हम देते हैं ढेरों शुभकामनाएँ!

पुष्पेन्दर कुमार वोहरा के किरदार में 2017 की फ़िल्म ’भंवरे’ से फ़िल्म जगत में क़दम रखने वाले करहन देव टेलीविज़न का एक जानामाना नाम रहे हैं। हाँ, यह ज़रूर है कि टेलीविज़न पर वो करहन देव के नाम से नहीं, बल्कि करण ठाकुर के नाम से जाने गए, पहचाने गए। टीवी पर करण एक अभिनेता और एक मेज़बान, दोनों भूमिकाओं में नज़र आए। ’भाग्यविधाता’, ’बड़ी दूर से आए हैं;, ’सावधान इण्डिया’, ’CID', 'Crime Patrol' और 'Haunted Nights' जैसे शोज़ में वो देखे गए, सराहे गए। कई नामचीन ब्रैण्ड्स के विज्ञापनों में भी करण ठाकुर नज़र आए। करण ठाकुर का जन्म मुंबई में ही हुआ था, लेकिन उनके जन्म के कुछ ही समय के भीतर उनका परिवार दिल्ली स्थानान्तरित हो गया। इस वजह से करण की शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई। दिल्ली के थिएटर जगत से करण छुटपन से ही जुड़ गए और नाटकों, ड्रामाओं और अन्य कई कलात्मक क्षेत्रों में निरन्तर भाग लेते रहे। इस वजह से अभिनय के क्षेत्र में उनका आधार बहुत मज़बूत हो गया था और आगे चल कर इस क्षेत्र में गंभीरता से क़दम रखने में ज़्यादा असुविधा नहीं हुई। मुंबई में रहते उनकी स्कूली शिक्षा स्वामी विवेकानन्द स्कूल से शुरु हुई जो दिल्ली जाकर युवाशक्ति स्कूल से पूरी हुई। उच्च-माध्यमिक उत्तीर्ण करने के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के मोतीलाल नेहरु कॉलेज से करण ने बी.ए. की पढ़ाई की और स्नातक बने। यहीं पे आकर उनकी पढ़ाई का सिलसिला ख़त्म नहीं हुआ। नई दिल्ली के भारतीय विद्या भवन से ’रेडियो ऐण्ड टेलीविज़न जर्नलिज़्म’ में पोस्ट ग्रजुएशन डिप्लोमा तथा हिसार, हरियाणा के गुरु जम्बेश्वर विश्वविद्यालय से मास कमुनिकेशन में मास्टर्स (स्नातकोत्तर) किया। इस तरह से पूरी पढ़ाई अच्छी तरह से सम्पन्न होने के बाद ही करण देव व्यावसायिक रूप से अभिनेता बने। पहली ब आर टेलीविज़न के परदे पर वो नज़र आए ’ससुराल गेंदा फूल’ धारावाहिक में एक अतिथि कलाकार के रूप में। लेकिन जल्दी ही ’भाग्यविधाता’, ’बड़ी दूर से आए हैं;, ’सावधान इण्डिया’, ’CID', 'Crime Patrol' और 'Haunted Nights' में उन्होंने काम किया और लोग उन्हें पहचानने लगे। ’ना बोले तुम ना मैंने कुछ कहा’ में उन्होंने नेगेटिव रोल निभाया और उसके बाद ’वो तेरी भाभी है पगले’ में हास्य किरदार में नज़र आए। करण अपने स्कूल के दिनों से ही ऐंकरिंग् किया करते थे। स्कूल और कॉलेज के फ़ंक्शनों में उन्हें ऐंकरिंग् का भार दिया जाता था। इसलिए टेलीविज़न में भी उन्हें मेज़बानी के कई अवसर प्राप्त हुए जिनमें ’रेडियो मिर्ची म्युज़िक अवार्ड्स’ फ़ंक्शन सर्वोपरि है। 2010 से टीवी का सफ़र शुरु करने के बावजूद फ़िल्मों में क़दम रखने के लिए उन्हें पूरे सात साल का इन्तज़ार करना पड़ा। 2017 में लेखक, निर्माता, निर्देशक और अभिनेता शौर्य सिंह जब ’भंवरे’ की कहानी पर काम कर रहे थे, जो तीन दोस्तों की कहानी थी, तभी उन्होंने यह निर्णय लिया था कि इन तीन दोस्तों के किरदारों में कौन कौन होंगे। एक तो वो ख़ुद ही हैं, दूसरे हैं जशन सिंह और तीसरे करहन देव। डार्क कॉमेडी पर आधारित यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर जम नहीं पाई, लेकिन युवाओं में फ़िल्म चर्चित रही। इस फ़िल्म में करहन देव के अभिनय की भी प्रशंसा हुई। अभी तो उनका फ़िल्मी सफ़र बस शुरु ही हुआ है। उनके अभिनय क्षमता को देख कर अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि भविष्य में वो अपने अनोखे अभिनय से कई फ़िल्मों को संवारेंगे, और क्रिटिकल अक्लेम के साथ साथ कमर्शियली भी उनके फ़िल्म कामयाब होंगे।

Hasan & Himansh
चार करण के बाद अब आगे बढ़ते हैं हसन ज़ैदी के साथ। उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जन्में हसन ज़ैदी लखनऊ के पास हरदोई से ताल्लुख़ रखते हैं। ओमान की राजधानी मसकट में भी अपनी शुरुआती ज़िन्दगी का लम्बा सफ़र तय किया हसन ने। साइप्रस के Eastern Mediterranean University से Bachelor of Tourism and Hospitality Management की पढ़ाई पास करने के बाद उन्होंने माया नगरी मुंबई में अपना करीअर बनाने का निर्णय लिया। यहाँ यह बताना ज़रूरी है कि हसन के वालिद अंग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर हैं और उर्दू के जानेमाने शायर, और उनकी वालिदा हिन्दी शिक्षिका रही हैं। इस तरह से हसन ज़ैदी के अन्दर संस्कृति के अंकुर छुटपन से ही फूट पड़े थे। स्कूल के ड्रामा सोसायटी में हसन सक्रीय भूमिका निभाया करते और बहुत लोकप्रिय बन चुके थे। हसन ज़ैदी ने मुंबई में अपनी शुरुआत की टेलीविज़न धारावाहिकों के माध्यम से। उनके अभिनय से सजे उल्लेखनीय धारावाहिक रहे ’हमने ली है शपथ’, खोटे सिक्के’, ’रिश्ता.कॉम’, ’कुमकुम’, ’सबकी लाडली बेबो’, ’सुन यार चिल मार’, ’एक लड़की अनजानी सी’, ’नाम गुम जाएगा’, ’हमसे है ज़माना’, ’क्योंकि सास भी कभी बहू थी’, ’तुम साथ हो जब अपने’ प्रमुख। विक्रम भट्ट की नज़र उन पर पड़ने में ज़्यादा देर नहीं लगी और 2013 की उनकी फ़िल्म ’Horror Story’ में हसन को कास्ट किया गया। इस फ़िल्म में उनके साथ करण कुन्द्रा, निशान्त मलकानी और रविश देसाई भी थे।करण और निशान्त की चर्चा हम इस सीरीज़ में कर चुके हैं, रविश की बातें हम आगे करेंगे। ख़ैर, ’Horror Story’ की कहानी कुछ ऐसी थी कि सात युवक-युवतियाँ एक बार एक बहिष्कृत होटल में एक रात बिताने की सोचते हैं। किसी भी हॉरर फ़िल्म में अभिनय करने के लिए जो सबसे महत्वपूर्ण बात होती है एक अभिनेता के लिए, वह है एक्सप्रेशन। बताने की ज़रूरत नहीं कि हसन ज़ैदी ने कमाल का अभिनय किया है इस फ़िल्म में। आयुष राणा निर्देशित इस फ़िल्म से हसन का बॉलीवूड में प्रवेश हुआ और फिर इसके बाद वो कई और फ़िल्मों में नज़र आए - 2014 में ’डिश्कियाऊँ’ और 2017 में ’सरग़ोशियाँ’। कश्मीरी पार्श्व पर बनी ’सरग़ोशियाँ’ में आर्यन रैना के किरदार में हसन ज़ैदी को काफ़ी सराहन मिली थी। इसी साल उन्होंने ’For Bindiya Call Jugnu’ में भी अभिनय किया। इन सभी फ़िल्मों में हसन ज़ैदी मुख्य नायक के रोल में नज़र नहीं आए। लेकिन बहुत जल्द फ़िल्म ’कभी कभी’ आने जा रही है जिसमें हसन ज़ैदी मुख्य किरदार में नज़र आएंगे। एक और अभिनेता जो इन दिनों चर्चा में हैं, ये हैं हिमांश कोहली। टीवी धारावाहिक ’हमसे है लाइफ़’ के लोकप्रिय राघव ओबेरोय की भूमिका में हिमांश कोहली घर घर में जाने गए। 3 नवंबर 1989 को दिल्ली में जन्में हिमांश ने K. R. Mangalam World School से पढ़ाई सम्पन्न की Mass Media में स्नातक की। बचपन से ही हिमांश राजेश खन्ना से बहुत ज़्यादा मुतासिर थे। उनके मैनरिज़्म्स, उनके बोलने का अंदाज़, आँखों से बात करने का हुनर, ये सब हिमांश ग़ौर से महसूस किया करते थे और उनका कहना है कि अपने अभिनय में भी वो राजेश खन्ना को ही अपना गुरु मानते आए हैं। वैसे हिमांश ने अपना सफ़र एक RJ के रूप में 2011 में दिल्ली के Radio Mirchi में शुरु की थी। उसी साल ’हमसे है लाइफ़’ में उन्हें मौका मिल गया और 2012 तक इसमें काम करने के बाद फ़िल्म का ऑफ़र मिलते ही टेलीविज़न छोड़ दिया। 2012 में निर्देशन दिव्य कुमार आज के दौर के युवाओं को लेकर एक फ़िल्म बना रहे थे ’यारियाँ’। इसमें लक्ष्य के किरदार के लिए उन्होंने हिमांश को चुना। यह किरदार फ़िल्म के मुख्य किरदारों में से एक था। 2014 में जब यह फ़िल्म बन कर प्रदर्शित हुई तो बहुत हिट हुई और हिमांश युवावर्ग में हिट हो गए। ’यारियाँ’ की सफलता के चलते हिमांश को अगले ही साल ’अभी नहीं तो कभी नहीं’ में मुख्य नायक का रोल मिल गया। यह फ़िल्म 2016 में रिलीज़ हुई थी। 2017 में हिमांश कई फ़िल्मों में नज़र आए जैसे कि ’जीना इसी का नाम है’, ’स्वीटी वेड्स NRI', 'रांची डायरीज़’, और ’दिल जो ना कह सका’। दुर्भाग्यवश इनमें से एक भी फ़िल्म चली नहीं और हिमांश को ’यारियाँ’ के बाद जिस सफलता की तलाश थी, वह उनसे दूर दूर ही भारती रही। करण जोहर की 2018 की महत्वाकांक्षी फ़िल्म ’Student of the Year 2’ में हिमांश को कास्ट किया गया है जो अपने आप में उनके लिए एक सम्मान की बात है। जिस तरह से ’’Student of the Year’ से वरुण धवन और सिद्धार्थ मल्होत्रा की गाड़ी चल पड़ी थी, देखना यह है कि क्या ’Student of the Year 2’ में हिमांश की भी क़िस्मत चमकेगी? इस फ़िल्म में टाइगर श्रॉफ़ मुख्य नायक रहेंगे। 

यहाँ आकर समाप्त होती है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रृंखला की नौवीं कड़ी। अगली बार फिर कुछ और नए अभिनेताओं की बातें लेकर हाज़िर होंगे। बने रहिए ’रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के ’चित्रकथा’ के साथ।




आख़िरी बात

’चित्रकथा’ स्तंभ का आज का अंक आपको कैसा लगा, हमें ज़रूर बताएँ नीचे टिप्पणी में या soojoi_india@yahoo.co.in के ईमेल पते पर पत्र लिख कर। इस स्तंभ में आप किस तरह के लेख पढ़ना चाहते हैं, यह हम आपसे जानना चाहेंगे। आप अपने विचार, सुझाव और शिकायतें हमें निस्संकोच लिख भेज सकते हैं। साथ ही अगर आप अपना लेख इस स्तंभ में प्रकाशित करवाना चाहें तो इसी ईमेल पते पर हमसे सम्पर्क कर सकते हैं। सिनेमा और सिनेमा-संगीत से जुड़े किसी भी विषय पर लेख हम प्रकाशित करेंगे। आज बस इतना ही, अगले सप्ताह एक नए अंक के साथ इसी मंच पर आपकी और मेरी मुलाक़ात होगी। तब तक के लिए अपने इस दोस्त सुजॉय चटर्जी को अनुमति दीजिए, नमस्कार, आपका आज का दिन और आने वाला सप्ताह शुभ हो!




शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी 
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र  



रेडियो प्लेबैक इण्डिया 

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स्वरगोष्ठी – 180 में आज वर्षा ऋतु के राग और रंग – 6 : कजरी गीतों का उपशास्त्रीय रूप   उपशास्त्रीय रंग में रँगी कजरी - ‘घिर आई है कारी बदरिया, राधे बिन लागे न मोरा जिया...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी लघु श्रृंखला ‘वर्षा ऋतु के राग और रंग’ की छठी कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र एक बार पुनः आप सभी संगीतानुरागियों का हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन करता हूँ। इस श्रृंखला के अन्तर्गत हम वर्षा ऋतु के राग, रस और गन्ध से पगे गीत-संगीत का आनन्द प्राप्त कर रहे हैं। हम आपसे वर्षा ऋतु में गाये-बजाए जाने वाले गीत, संगीत, रागों और उनमें निबद्ध कुछ चुनी हुई रचनाओं का रसास्वादन कर रहे हैं। इसके साथ ही सम्बन्धित राग और धुन के आधार पर रचे गए फिल्मी गीत भी सुन रहे हैं। पावस ऋतु के परिवेश की सार्थक अनुभूति कराने में जहाँ मल्हार अंग के राग समर्थ हैं, वहीं लोक संगीत की रसपूर्ण विधा कजरी अथवा कजली भी पूर्ण समर्थ होती है। इस श्रृंखला की पिछली कड़ियों में हम आपसे मल्हार अंग के कुछ रागों पर चर्चा कर चुके हैं। आज के अंक से हम वर्षा ऋतु की

काफी थाट के राग : SWARGOSHTHI – 220 : KAFI THAAT

स्वरगोष्ठी – 220 में आज दस थाट, दस राग और दस गीत – 7 : काफी थाट राग काफी में ‘बाँवरे गम दे गयो री...’  और  बागेश्री में ‘कैसे कटे रजनी अब सजनी...’ ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर जारी नई लघु श्रृंखला ‘दस थाट, दस राग और दस गीत’ की सातवीं कड़ी में मैं कृष्णमोहन मिश्र, आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। इस लघु श्रृंखला में हम आपसे भारतीय संगीत के रागों का वर्गीकरण करने में समर्थ मेल अथवा थाट व्यवस्था पर चर्चा कर रहे हैं। भारतीय संगीत में सात शुद्ध, चार कोमल और एक तीव्र, अर्थात कुल 12 स्वरों का प्रयोग किया जाता है। एक राग की रचना के लिए उपरोक्त 12 में से कम से कम पाँच स्वरों की उपस्थिति आवश्यक होती है। भारतीय संगीत में ‘थाट’, रागों के वर्गीकरण करने की एक व्यवस्था है। सप्तक के 12 स्वरों में से क्रमानुसार सात मुख्य स्वरों के समुदाय को थाट कहते है। थाट को मेल भी कहा जाता है। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति में 72 मेल का प्रचलन है, जबकि उत्तर भारतीय संगीत में दस थाट का प्रयोग किया जाता है। इन दस थाट