स्वरगोष्ठी – 333 में आज
पावस ऋतु के राग – 8 : कजरी गीतों के विविध प्रयोग
“कइसे खेले जइबू सावन में कजरिया बदरिया घेरि आइल ननदी...”
उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ |
(बाएँ से) तृप्ति शाक्य, कौमुदी मजूमदार और गीता दत्त |
कजरी : शहनाई पर दादरा और कहरवा ताल में निबद्ध कजरी : उस्ताद बिस्मिल्लाह खाँ और साथी
कजरी : ‘कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया...’ : तृप्ति शाक्य और साथी
कजरी : ‘नीक सइयाँ बिन भवनवा...’ : गीता दत्त और कौमुदी मजुमदार : फिल्म बिदेशिया
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 333वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको तीसरे और चौथे दशक के
सुविख्यात उस्ताद गायक के स्वर में गायकी का एक अंश सुनवा रहे हैं। संगीत
के इस अंश को सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के
उत्तर देने हैं। यदि आपको तीन में से एक ही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप
प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 340वें अंक की पहेली के
सम्पन्न होने के बाद जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष
के चौथे सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा।
1 – संगीत के इस अंश को सुन कर पहचानिए कि यह कौन सा राग है?
2 – संगीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – यह तीसरे और चौथे दशक के किस उस्ताद गायक की आवाज़ है?
आप उपरोक्त तीन मे से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com पर ही शनिवार 9 सितम्बर, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक भेजें। आपको यदि उपरोक्त तीन में से केवल एक प्रश्न का सही उत्तर ज्ञात हो तो भी आप पहेली प्रतियोगिता में भाग ले सकते हैं। COMMENTS
में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते हैं, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर
देने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। विजेता का नाम हम उनके शहर,
प्रदेश और देश के नाम के साथ ‘स्वरगोष्ठी’ के 335वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रस्तुत गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के
बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना
चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे
दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
की 331वीं कड़ी की पहेली में हमने आपको विदुषी गिरिजा देवी के स्वरों में
बड़े रामदास जी द्वारा रचित कजरी का एक अंश प्रस्तुत कर आपसे तीन में से दो
प्रश्नों का उत्तर पूछा था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है, शैली – कजरी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है, ताल – मध्यलय दादरा और तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है, स्वर – विदुषी गिरिजा देवी।
इस अंक की पहेली प्रतियोगिता में प्रश्नों के सही उत्तर देने वाले हमारे नियमित प्रतिभागी हैं - चेरीहिल न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल, वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया, हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका से विजया राजकोटिया और जबलपुर मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी।
आशा है कि हमारे अन्य पाठक / श्रोता भी नियमित रूप से साप्ताहिक स्तम्भ
‘स्वरगोष्ठी’ का अवलोकन करते रहेंगे और पहेली प्रतियोगिता में भाग लेंगे।
उपरोक्त सभी प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक
बधाई।
अपनी बात
मित्रों,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर हमारी
श्रृंखला “पावस ऋतु के राग” की यह समापन कड़ी थी। इस श्रृंखला में हमने आपके
लिए ऋतु प्रधान गीतो को प्रस्तुत किया। आज की कड़ी में हमने आपके लिए कजरी
गीत का वाद्य संगीत के रूप में, पारम्परिक लोक संगीत के स्वरूप का और फिल्म
में प्रयोग की गई कजरी का एक उदाहरण प्रस्तुत किया। आगामी अंक से हम एक नई
श्रृंखला की शुरुआत करेंगे और शास्त्रीय और उपशास्त्रीय संगीत और रागों पर
चर्चा करेंगे और सम्बन्धित रागों तथा संगीत शैली में निबद्ध कुछ रचनाएँ भी
प्रस्तुत करेंगे। हमारी आगामी श्रृंखलाओं के लिए विषय, राग, रचना और
कलाकार के बारे में यदि आपकी कोई फरमाइश हो तो हमें swargoshthi@gmail.com पर अवश्य लिखिए। अगले अंक में रविवार को प्रातः 8 बजे हम ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर सभी संगीत-प्रेमियों का स्वागत करेंगे।
वाचक स्वर : संज्ञा टण्डन
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
आलेख व प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
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