हर रोज़ देश के कोने कोने से न जाने कितने युवक युवतियाँ आँखों में सपने लिए माया नगरी मुंबई के रेल्वे स्टेशन पर उतरते हैं। फ़िल्मी दुनिया की चमक-दमक से प्रभावित होकर स्टार बनने का सपना लिए छोटे बड़े शहरों, कसबों और गाँवों से मुंबई की धरती पर क़दम रखते हैं। और फिर शुरु होता है संघर्ष। मेहनत, बुद्धि, प्रतिभा और क़िस्मत, इन सभी के सही मेल-जोल से इन लाखों युवक युवतियों में से कुछ गिने चुने लोग ही ग्लैमर की इस दुनिया में मुकाम बना पाते हैं। और कुछ फ़िल्मी घरानों से ताल्लुख रखते हैं जिनके लिए फ़िल्मों में क़दम रखना तो कुछ आसान होता है लेकिन आगे वही बढ़ता है जिसमें कुछ बात होती है। हर दशक की तरह वर्तमान दशक में भी ऐसे कई युवक फ़िल्मी दुनिया में क़दम जमाए हैं जिनमें से कुछ बेहद कामयाब हुए तो कुछ कामयाबी की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। कुल मिला कर फ़िल्मी दुनिया में आने के बाद भी उनका संघर्ष जारी है यहाँ टिके रहने के लिए। ’चित्रकथा’ में आज से हम शुरु कर रहे हैं इस दशक के नवोदित नायकों पर केन्द्रित एक लघु श्रॄंखला जिसमें हम बातें करेंगे वर्तमान दशक में अपना करीअर शुरु करने वाले शताधिक नायकों की। प्रस्तुत है ’इस दशक के नवोदित नायक’ श्रॄंखला की पाँचवीं कड़ी।
आयुष्मान खुराना, दिलजीत दोसंझ |
इस दशक के नवोदित नायकों की बातें इन दिनों हम आपको बता रहे हैं। आज शुरु करते हैं दो पंजाबी मुंडों से। आयुष्मान खुराना का जन्म चंडीगढ़ में हुआ था और वहीं से स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई पूरी की। पंजाब यूनिवर्सिटी से मास कम्युनिकेशन में मास्टर डिग्री लेने के बाद उन्होंने पाँच साल तक थिएटर की। अपने DAV College, जहाँ से उन्होंने पढ़ाई की थी, वहाँ के दो थिएटर ग्रूप ’आग़ाज़’ और ’मंचतन्त्र’ की उन्होंने स्थापना की थी जो अब तक सक्रीय हैं। कई राष्ट्रीय स्तर के कॉलेजों, जैसे कि IIT Bombay, Birla Institute of Technology और St. Bedes Simla, के थिएटर प्रतियोगिताओं में उन्होंने समय समय पर हिस्सा लिया और इनाम भी जीते। धरमवीर भारती के ’अंध युग’ में अश्वत्थामा का चरित्र निभा कर उन्हें ’बेस्ट ऐक्टर अवार्ड’ भी मिला था। 2002 में 17 वर्ष की आयु में आयुष्मान टीवी पर नज़र आए थे जब Channel V Popstars में उन्होंने हिस्सा लिया। उस शो के वो सबसे कम उम्र के प्रतियोगियों में से एक थे। इसके दो साल बाद उन्होंने MTV Roadies 2 में हिस्सा लिया और विजेता बन कर निकले। 19 साल की उम्र में इस तरह से वो देश भर में मशहूर हो गए थे। पढ़ाई पूरी कर उन्होंने दिल्ली में Big FM में RJ की नौकरी कर ली जहाँ उन्होंने ’बिग चाय’ और ’मान ना मान, मैं तेरा आयुष्मान’ जैसे शोज़ होस्ट किए। नई दिल्ली के ’भारत निर्माण पुरस्कार’ के वो सबसे कम उम्र के प्रापक बने। RJ से आयुष्मान बन गए VJ और MTV Wassup - The Voice of Youngistaan में शो होस्ट करते हुए दिखाई दिए। फिर इसके बाद आयुष्मान कई टीवी शोज़ होस्ट करते हुए नज़र आए और एक सफल और लोकप्रिय ऐंकर के रूप में वो उभरे। 2012 में आयुष्मान को छोटे परदे से बड़े परदे में उतरने का सुनहरा मौक़ा मिला जब उन्हें शूजित सरकार निर्देशित ’विक्की डोनर’ फ़िल्म में नायक की भूमिका करने का न्योता मिला। यामी गौतम और अन्नु कपूर के साथ उनकी यह फ़िल्म बेहद कामयाब रही। इसी फ़िल्म से जॉन एब्रहम एक निर्माता बने थे। एक कम बजट की फ़िल्म होते हुए भी इसने व्यावसायिक कामयाबी के झंडे गाढ़ दिए। इस फ़िल्म में आयुष्मान ने अपनी आवाज़ में एक गीत "पानी दा रंग" भी गाया जिसकी भी भूरी भूरी प्रशंसा हुई। इस फ़िल्म के लिए उन्हें एक नहीं बल्कि दो दो फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार मिले - ’बेस्ट मेल डेब्यु’ और ’बेस्ट प्लेबैक सिंगर - मेल’। अन्य कई पुरस्कारों में भी वो बेस्ट डेब्यु का पुरस्कार जीते। पहली ही फ़िल्म में अपार सफलता प्राप्त करने के बावजूद आयुष्मान खुराना ने टेलीविज़न नहीं छोड़ी और एक के बाद एक शोज़ होस्ट करते नज़र आए। 2013 की रोहन सिप्पी की फ़िल्म ’नौटंकी साला’ में उन्होंने एक बार फिर दर्शकों को गुदगुदाया। 2014 की यश राज की फ़िल्म ’बेवकूफ़ियाँ’ में सोनम कपूर और ॠषी कपूर के साथ आयुष्मान ख़ूब जँचे और इसी फ़िल्म में फिर एक बार उन्होंने एक गीत गाया "ख़ामख़ा"। यह फ़िल्म ख़ास नहीं चली, लेकिन आयुष्मान की लोकप्रियता बरक़रार रही। 2015 में वो दो फ़िल्मों में नज़र आए - ’हवाज़ादा’ और ’दम लगा के हाइशा’, और इन दोनों में आयुष्मान का अभिनय सर चढ़ कर बोला। 2017 में उनकी तीन फ़िल्में आ रही हैं - ’बरेली की बरफ़ी’, ’शुभ मंगल सावधान’ और ’मनमर्ज़ियाँ’। और अब ज़िक्र दूसरे पंजाबी मुंडे का। दिलजीत दोसंझ आजकल युवा वर्ग में बेहद लोकप्रिय हैं। जिस तरह आयुष्मान अभिनेता होने के साथ-साथ गायक भी हैं, वैसे ही दिलजीत एक गायक होने के साथ-साथ एक अभिनेता भी हैं। दिलजीत का जन्म जलंधर के दोसंझ कलाँ गाँव में एक सिख परिवार में हुआ था।पिता पंजाब रोडवेज़ के कर्मचारी और माँ एक गृहवधु, ऐसे सादे परिवार से ताल्लुख़ है दिलजीत का। लुधियाना से हाइ स्कूल डिप्लोमा की पढ़ाई के दौरान ही वो गुरुद्वाराओं में शबद-कीर्तन गाया करते थे। यह तो सभी जानते हैं कि पंजाब में आज भी पंजाबी गीतों के ऐल्बम्स का काफ़ी चलन है। दिलजीत ने भी 2004 में अपनी पहली ऐल्बम ’इश्क़ का उड़ा अदा’ बनाई जिसे लोगों ने पसन्द किया। नतीजा यह हुआ कि उनके अगले ऐल्बम की डिमांड आ गई। अगले छह सालों तक एक के बाद एक ऐल्बम बनाने के बाद 2011 में दिलजीत पंजाबी फ़िल्मों में उतरे। उनकी पहली दो पंजाबी फ़िल्में असफल रही। इसी दौरान दिलजीत ने यो यो हनी सिंह के साथ भी कुछ गीत रेकॉर्ड किए। बॉलीवूड में दिलजीत की एन्ट्री हुई 2012 की फ़िल्म ’तेरे नाल लव हो गया’ में एक गीत गा कर। इसी साल उनकी अगली पंजाबी फ़िल्म ’जट ऐण्ड जुलियट’ सुपरहिट हुई और दिलजीत दोसंझ रातों रात पंजाबी के सुपरस्टार बन गए। इस फ़िल्म के लिए उन्हें कई बड़े पुरस्कार मिले और फिर इसके बाद उनकी पंजाबी फ़िल्मों और ऐल्बमों की कतार लग गई। बॉलीवूड में बतौर अभिनेता उनकी पहली फ़िल्म थी 2016 की ’उड़ता पंजाब’ जो विवादों से घिर गई थी। इस फ़िल्म में उनके अभिनय से ज़्यादा तारीफ़ हुई उनके गाए गीत "इक कुड़ी जिदा नाम मोहब्बत" के लिए। 2017 में दिलजीत की दूसरी हिन्दी फ़िल्म आई ’फिल्लौरी’ जिसमें उनके साथ अनुष्का शर्मा और सूरज शर्मा ने अभिनय किया। इस फ़िल्म को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली। देखते हैं आने वाले समय में दिलजीत दोसंझ हिन्दी फ़िल्म जगत में कौन सा मुकाम हासिल करते हैं!
रणवीर सिंह, सिद्धार्थ मल्होत्रा |
साक़िब सलीम, जैकी भगनानी |
आख़िरी बात
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शोध,आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग : कृष्णमोहन मिश्र
रेडियो प्लेबैक इण्डिया
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