स्वरगोष्ठी – 303 में आज 
राग और गाने-बजाने का समय – 3 : दिन के तीसरे प्रहर के राग 
राग पीलू की ठुमरी - ‘पपीहरा पी की बोल न बोल...’ 
 ‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी 
श्रृंखला- “राग और गाने-बजाने का समय” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन 
मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय
 रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के 
प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात 
संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत
 किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु 
में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर 
रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही 
राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का 
प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ
 प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के चार प्रहर को दिन 
के और सूर्यास्त से लेकर अगले सूर्योदय से पहले के चार प्रहर को रात्रि के 
प्रहर कहे जाते हैं। उत्तर भारतीय संगीत के साधक कई शताब्दियों से विविध 
प्रहर में अलग-अलग रागों का परम्परागत रूप से प्रयोग करते रहे हैं। रागों 
का यह समय-सिद्धान्त हमारे परम्परागत संस्कारों से उपजा है। विभिन्न रागों 
का वर्गीकरण अलग-अलग प्रहर के अनुसार करते हुए आज भी संगीतज्ञ व्यवहार करते
 हैं। राग भैरव का गायन-वादन प्रातःकाल और मालकौंस मध्यरात्रि में ही किया 
जाता है। कुछ राग ऋतु-प्रधान माने जाते हैं और विभिन्न ऋतुओं में ही उनका 
गायन-वादन किया जाता है। इस श्रृंखला में हम विभिन्न प्रहरों में बाँटे गए 
रागों की चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में आज हम आपसे दिन के 
तृतीय प्रहर के रागों पर चर्चा करेंगे और इस प्रहर के राग पीलू की एक ठुमरी
 सुविख्यात गायिका विदुषी गिरिजा देवी के स्वरों में प्रस्तुत करेंगे। इसके
 साथ ही संगीतकार रोशन का स्वरबद्ध किया राग भीमपलासी पर आधारित, फिल्म 
‘बावरे नैन’ का एक गीत गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ में सुनवा रहे हैं।
‘रेडियो
 प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ के मंच पर हमारी 
श्रृंखला- “राग और गाने-बजाने का समय” की तीसरी कड़ी में मैं कृष्णमोहन 
मिश्र आप सब संगीत-प्रेमियों का हार्दिक स्वागत करता हूँ। है। उत्तर भारतीय
 रागदारी संगीत की अनेक विशेषताओं में से एक विशेषता यह भी है कि संगीत के 
प्रचलित राग परम्परागत रूप से ऋतु प्रधान हैं या प्रहर प्रधान। अर्थात 
संगीत के प्रायः सभी राग या तो अवसर विशेष या फिर समय विशेष पर ही प्रस्तुत
 किये जाने की परम्परा है। बसन्त ऋतु में राग बसन्त और बहार तथा वर्षा ऋतु 
में मल्हार अंग के रागों के गाने-बजाने की परम्परा है। इसी प्रकार अधिकतर 
रागों को गाने-बजाने की एक निर्धारित समयावधि होती है। उस विशेष समय पर ही 
राग को सुनने पर आनन्द प्राप्त होता है। भारतीय कालगणना के सिद्धान्तों का 
प्रतिपादन करने वाले प्राचीन मनीषियों ने दिन और रात के चौबीस घण्टों को आठ
 प्रहर में बाँटा है। सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त तक के चार प्रहर को दिन 
के और सूर्यास्त से लेकर अगले सूर्योदय से पहले के चार प्रहर को रात्रि के 
प्रहर कहे जाते हैं। उत्तर भारतीय संगीत के साधक कई शताब्दियों से विविध 
प्रहर में अलग-अलग रागों का परम्परागत रूप से प्रयोग करते रहे हैं। रागों 
का यह समय-सिद्धान्त हमारे परम्परागत संस्कारों से उपजा है। विभिन्न रागों 
का वर्गीकरण अलग-अलग प्रहर के अनुसार करते हुए आज भी संगीतज्ञ व्यवहार करते
 हैं। राग भैरव का गायन-वादन प्रातःकाल और मालकौंस मध्यरात्रि में ही किया 
जाता है। कुछ राग ऋतु-प्रधान माने जाते हैं और विभिन्न ऋतुओं में ही उनका 
गायन-वादन किया जाता है। इस श्रृंखला में हम विभिन्न प्रहरों में बाँटे गए 
रागों की चर्चा कर रहे हैं। श्रृंखला की आज की कड़ी में आज हम आपसे दिन के 
तृतीय प्रहर के रागों पर चर्चा करेंगे और इस प्रहर के राग पीलू की एक ठुमरी
 सुविख्यात गायिका विदुषी गिरिजा देवी के स्वरों में प्रस्तुत करेंगे। इसके
 साथ ही संगीतकार रोशन का स्वरबद्ध किया राग भीमपलासी पर आधारित, फिल्म 
‘बावरे नैन’ का एक गीत गायिका लता मंगेशकर की आवाज़ में सुनवा रहे हैं। |  | 
| विदुषी गिरिजा देवी | 
आज
 हम आपसे दिन के तीसरे प्रहर के रागों पर चर्चा कर रहे हैं। दिन का तीसरा 
प्रहर, अर्थात मध्याह्न 12 से अपराह्न 3 बजे के बीच का समय। इस प्रहर के 
रागों का का वादी स्वर सप्तक के पूर्वांग के स्वर में से कोई एक स्वर होता 
है। इस प्रहर का एक बेहद लोकप्रिय राग पीलू है। राग पीलू में उपशास्त्रीय 
रचनाएँ खूब निखरती हैं। अब हम आपको राग पीलू में निबद्ध एक ठुमरी विदुषी 
गिरिजा देवी की आवाज़ में सुनवाते हैं। पीलू काफी थाट और सम्पूर्ण जाति का 
राग है। इसका वादी स्वर गान्धार और संवादी स्वर निषाद होता है। इस राग में 
गान्धार, धैवत और निषाद स्वर के दोनों रूप, शुद्ध और कोमल प्रयोग किये जाते
 हैं। अब आप राग पीलू की ठुमरी- ‘पपीहरा पी की बोल न बोल...’ सुनिए, जिसे विदुषी गिरिजा देवी ने गाया है। 
राग पीलू ठुमरी : “पपीहरा पी की बोल न बोल...” : विदुषी गिरिजा देवी 
|  | 
| रोशन और लता मंगेशकर | 
राग भीमपलासी : “ए री मैं तो प्रेम दीवानी...” : लता मंगेशकर : फिल्म – नौबहार 
संगीत पहेली 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 के 303वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको 60 के दशक की फिल्म का राग 
आधारित फिल्मी गीत का एक अंश सुनवा रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित 
तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 310वें
 अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, 
उन्हें इस प्रथम सत्र का विजेता घोषित किया जाएगा। 
1 – संगीत का यह अंश सुन कर बताइए कि यह गीत किस राग पर आधारित है? 
2 – संगीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए। 
3 – गीतांश मे गायक और गायिका के युगल स्वरों को पहचानिए और हमे उनके नाम बताइए। 
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com  या  radioplaybackindia@live.com पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 4 फरवरी, 2017 की मध्यरात्रि से पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS
 में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर 
भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम 
‘स्वरगोष्ठी’ के 305वें अंक में प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और 
प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या 
अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी 
में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं। 
पिछली पहेली के विजेता 
 
‘स्वरगोष्ठी’
 क्रमांक 301 की संगीत पहेली में हमने आपको फिल्म ‘सन्त ज्ञानेश्वर’ से एक 
गीत का अंश सुनवा कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो 
प्रश्न का उत्तर देना था। पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग तोड़ी, दूसरे प्रश्न का सही उत्तर है- ताल एकताल तथा तीसरे प्रश्न का सही उत्तर है- गायक मन्ना डे। इस बार की पहेली में जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, चेरीहिल, न्यूजर्सी से प्रफुल्ल पटेल और हैदराबाद से डी. हरिणा माधवी ने सही उत्तर दिये हैं। तीनों प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई। 
अपनी बात 
मित्रो,
 ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर लघु 
श्रृंखला ‘राग और गाने-बजाने का समय’ का यह तीसरा अंक था। इस अंक में हमने 
दिन के तीसरे प्रहर के कुछ रागों की चर्चा की है। अगले अंक में हम दिन के 
चौथे प्रहर के रागों पर आधारित कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इस श्रृंखला के 
लिए यदि आप किसी राग, गीत अथवा कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना आलेख या 
गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास 
करते हैं। आपको हमारी यह श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल swargoshthi@gmail.com
 पर अवश्य लिखिए। अगले रविवार को एक नए अंक के साथ प्रातः 8 बजे 
‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम स्वागत करेंगे। 
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र   
  
 
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