स्वरगोष्ठी – 248 में आज
संगीत के शिखर पर – 9 : पण्डित रघुनाथ सेठ
पण्डित रघुनाथ सेठ के जन्मदिन पर एक स्वरांजलि

आज
बाँसुरी शास्त्रीय संगीत के मंच पर स्वतन्त्र वाद्य, संगति वाद्य, सुगम और
लोक-संगीत का मधुर और लोकप्रिय वाद्य बन चुका है। सामान्य तौर पर देखने
में बाँस की, खोखली, बेलनाकार आकृति होती है, किन्तु इस सुषिर वाद्य की
वादन तकनीक सरल नहीं है। बाँसुरी का अस्तित्व महाभारतकाल से पूर्व कृष्ण से
जुड़े प्रसंगों में उपलब्ध है। शास्त्रीय वाद्य के रूप में इसे उत्तर भारत
के साथ दक्षिण भारत के संगीत में समान रूप से लोकप्रियता प्राप्त है।
पण्डित रघुनाथ सेठ की छवि आधुनिक बाँसुरी वादकों में प्रयोगशील वादक के रूप
में लोकप्रिय रही है।

राग शुद्ध सारंग : बाँसुरी पर द्रुत तीनताल की रचना : पण्डित रघुनाथ सेठ

“सूर्योदय’ : एक प्रयोगधर्मी रचना : पण्डित रघुनाथ सेठ
श्री
सेठ ने शास्त्रीय मंचों पर अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को सम्मोहित
करने के साथ-साथ भारत सरकार के फिल्म डिवीजन के लगभग दो हज़ार वृत्तचित्रों
में संगीत दिया है। वर्ष 1969 में वे फिल्म डिवीज़न के संगीतकार हुए थे।
उनके अनेक वृत्तचित्रों को राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले।
श्री सेठ ने संगीत के मानव जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का गहन अध्ययन किया है
और इस विषय पर अनेक संगीत रचनाएँ भी की है। बहुआयामी संगीतज्ञ पण्डित
रघुनाथ सेठ ने कई फिल्मों में भी संगीत निर्देशन किया है। उनके संगीत से
सजी फिल्में हैं- ‘फिर भी’ (1971), ‘किस्सा कुर्सी का’ (1977), ‘एक बार
फिर’ (1980), ‘ये नज़दीकियाँ’ (1982), ‘दामुल’ (1985), ‘आगे मोड़ है’ (1987),
‘सीपियाँ’ (1988) और ‘मृत्युदण्ड’ (1997)। आज हम आपको 1982 में प्रदर्शित
फिल्म ‘ये नज़दीकियाँ’ का एक मधुर गीत सुनवाते हैं। गणेश बिहारी श्रीवास्तव
के गीत को पार्श्वगायक भूपेंद्र सिंह ने स्वर दिया है। इस गीत के साथ हम आज
के अंक को यहीं विराम देते है।
फिल्म - ये नज़दीकियाँ : ‘दो घड़ी बहला गई परछाइयाँ...’ : भूपेन्द्र सिंह : संगीत - रघुनाथ सेठ
संगीत पहेली
‘स्वरगोष्ठी’
के 248वें अंक की संगीत पहेली में आज हम आपको वाद्य संगीत का एक अंश सुनवा
रहे हैं। इसे सुन कर आपको निम्नलिखित तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के
उत्तर देने हैं। ‘स्वरगोष्ठी’ के 250वें अंक की पहेली के सम्पन्न होने तक
जिस प्रतिभागी के सर्वाधिक अंक होंगे, उन्हें इस वर्ष की पाँचवीं श्रृंखला
(सेगमेंट) का विजेता घोषित किया जाएगा। ‘स्वरगोष्ठी’ के 152वें अंक में हम
वार्षिक विजेताओं के नाम की घोषणा भी करेंगे।
1 – संगीत का यह अंश सुन कर बताइए कि आपको किस राग का आभास हो रहा है?
2 – संगीत में प्रयोग किये गए ताल का नाम बताइए।
3 – क्या आप संगीत वाद्य को पहचान रहे हैं? यदि हाँ, तो हमें उस वाद्य का नाम बताइए।
आप उपरोक्त तीन में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर केवल swargoshthi@gmail.com या radioplaybackindia@live.com
पर इस प्रकार भेजें कि हमें शनिवार, 19 दिसम्बर, 2015 की मध्यरात्रि से
पूर्व तक अवश्य प्राप्त हो जाए। COMMENTS में दिये गए उत्तर मान्य हो सकते
है, किन्तु उसका प्रकाशन पहेली का उत्तर भेजने की अन्तिम तिथि के बाद किया
जाएगा। इस पहेली के विजेताओं के नाम हम ‘स्वरगोष्ठी’ के 250वें अंक में
प्रकाशित करेंगे। इस अंक में प्रकाशित और प्रसारित गीत-संगीत, राग, अथवा
कलासाधक के बारे में यदि आप कोई जानकारी या अपने किसी अनुभव को हम सबके बीच
बाँटना चाहते हैं तो हम आपका इस संगोष्ठी में स्वागत करते हैं। आप पृष्ठ
के नीचे दिये गए COMMENTS के माध्यम से तथा swargoshthi@gmail.com अथवा radioplaybackindia@live.com पर भी अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त कर सकते हैं।
पिछली पहेली के विजेता
‘स्वरगोष्ठी’
क्रमांक 246 की संगीत पहेली में हमने आपको मोहनवीणा वाद्य के सुविख्यात
वादक पण्डित विश्वमोहन भट्ट द्वारा प्रस्तुत एक राग-रचना का एक अंश सुनवा
कर आपसे तीन प्रश्न पूछा था। आपको इनमें से किसी दो प्रश्न का उत्तर देना
था। इस पहेली के पहले प्रश्न का सही उत्तर है- राग हंसध्वनि, दूसरे प्रश्न
का सही उत्तर है- ताल तीनताल और तीसरे प्रश्न का उत्तर है- वाद्य –
मोहनवीणा (गिटार)। सही उत्तर देने वाले प्रतिभागी हैं- हैदराबाद से डी.
हरिणा माधवी, जबलपुर, मध्यप्रदेश से क्षिति तिवारी, पेंसिलवेनिया, अमेरिका
से विजया राजकोटिया और वोरहीज, न्यूजर्सी से डॉ. किरीट छाया। चारो
प्रतिभागियों को ‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ की ओर से हार्दिक बधाई।
अपनी बात
मित्रो,
‘रेडियो प्लेबैक इण्डिया’ के साप्ताहिक स्तम्भ ‘स्वरगोष्ठी’ पर लघु
श्रृंखला ‘संगीत के शिखर पर’ का यह आठवाँ अंक था। इस अंक में हमने
प्रयोगधर्मी बाँसुरी-वादक पण्डित रघुनाथ सेठ के व्यक्तित्व और उनके वादन पर
संक्षिप्त प्रकाश डालने का प्रयत्न किया है। अगले अंक में हम भारतीय संगीत
की किसी अन्य विधा के किसी शिखर व्यक्तित्व के कृतित्व पर आधारित
कार्यक्रम प्रस्तुत करेंगे। इस श्रृंखला के लिए यदि आप किसी राग, गीत अथवा
कलाकार को सुनना चाहते हों तो अपना आलेख या गीत हमें शीघ्र भेज दें। हम
आपकी फरमाइश पूर्ण करने का हर सम्भव प्रयास करते हैं। आपको हमारी यह
श्रृंखला कैसी लगी? हमें ई-मेल अवश्य कीजिए। अगले रविवार को एक नए अंक के
साथ प्रातः 9 बजे ‘स्वरगोष्ठी’ के इसी मंच पर आप सभी संगीतानुरागियों का हम
स्वागत करेंगे।
प्रस्तुति : कृष्णमोहन मिश्र
Comments