"जाँ की यह बाज़ी आख़िरी बाज़ी खेलेंगे हम..." - क्यों इस गीत की धुन चुराने पर भी अनु मलिक को दोष नहीं दिया जा सकता!
एक गीत सौ कहानियाँ - 71
'जाँ की यह बाज़ी आख़िरी बाज़ी खेलेंगे हम...'
अनु मलिक |
निनो रोटा |
निनो रोटा की यह धुन इतना ज़्यादा लोकप्रिय हुआ समूचे विश्व में कि बहुत से कलाकारों ने इसे अपने-अपने ऐल्बमों में शामिल किया। जहाँ एक तरफ़ कलाकारों ने मूल गीत को ही अपनी आवाज़ में रेकॉर्ड करवाया, बहुत से कलाकार ऐसे भी थे जिन्होंने अपनी-अपनी भाषाओं के बोलों को इस धुन पर फ़िट किया। अब एक नज़र ऐसे ही कुछ गीतों और भाषाओं पर डालते हैं।
इटली - "Parla più piano..."
फ़्रांस - "Parle Plus Bas..."
यूक्रेन - "Skazhy scho lyubysh..."
यूगोस्लाविया - "Govori Tiše..."
हंगरी - "Gyöngéden ölelj át és ringass szerelem..."
कम्बोडिया - "Khum Joll Snaeha..."
स्लोवाकिया - "Býval som z tých..."
पोर्तुगल - "Fale Baixinho..."
इरान - "Booye Faryad..."
ये तो थे कुछ ऐसे उदाहरण जिनमें इस धुन पर अलग-अलग भाषाओं के गीत बने। इनके अलावा और भी असंख्य कलाकारों ने अपनी-अपनी साज़ पर इस धुन को instrumental के रूप में रेकॉर्ड करवाया। ऐसे में जहाँ दुनिया भर के कलाकारों ने इस धुन को गले लगाया, तो फिर क्या अनु मलिक या संजीव दर्शन पर इस धुन की चोरी का इलज़ाम लगाना ठीक होगा? फ़ैसला आप पर छोड़ते हैं, फ़िल्हाल सुनते हैं ’The Godfather' की धुन पर आधारित फ़िल्म ’आख़िरी बाज़ी’ का शीर्षक गीत।
फिल्म आखिरी बाज़ी : 'जाँ की यह बाज़ी आखिरी बार...' : अमित कुमार : इन्दीवर : अनु मालिक
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खोज, आलेख व प्रस्तुति : सुजॉय चटर्जी
प्रस्तुति सहयोग: कृष्णमोहन मिश्र
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